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Modern Farming: UP के तीन युवा दोस्तों ने पेश की मिसाल, नए जमाने की खेती से कमा रहे हैं भारी मुनाफा

Modern Farming: वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के नरायनपुर गांव के श्वेतांक, रोहित और अमित सीप यानी मोती(Pearl) की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. साथ ही वे मधुमक्खी और बकरी पालन के क्षेत्र में भी हाथ आजमा रहे हैं. इसके अलावा अन्य किसानों को प्रशिक्षित कर नए जमाने की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.

3 Friends of Varanasi started farming of pearl, goat and bee 3 Friends of Varanasi started farming of pearl, goat and bee
रोशन जायसवाल
  • वाराणसी,
  • 20 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST
  • उत्तर प्रदेश के तीन दोस्तों ने शुरू किया सीप की खेती
  • बकरी और मधुमक्खी पालन में भी आजमा रहे हैं हाथ

Modern Crops Farming In Uttar Pradesh: कोरोना काल में करोड़ों युवाओं ने अपनी नौकरियां एक झटके में गंवा दी. लाखों लोगों को वापस अपने गांव की तरफ लौटना पड़ा. लोगों के सामने अभी भी भविष्य का संकट है. लेकिन इन सबके बीच वाराणसी के तीन युवाओं ने कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसकी खासी तारीफ हो रही है.

तीन दोस्तों ने मिलकर की सीप की खेती की शुरुआत

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वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक के नरायनपुर गांव के श्वेतांक, रोहित और अमित सीप यानी मोती की खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. इसके अलावा वे मधुमक्खी और बकरी पालन के क्षेत्र में भी हाथ आजमा रहे हैं. श्वेतांक बताते हैं कि सीप (Pearl) यानी मोती की खेती बाकि फसलों की तरह ही की जाती है. सीप की खेती को शुरू करने से पहले उन्होंने इंटरनेट के माध्यम से इस बारे में पूरी जानकारी हासिल की. फिर एक जगह इसकी ट्रेनिंग ली और अपने दो दोस्तों को साथ लेकर इसपर काम करना शुरू कर दिया.

कैसे होती है सीप की खेती

श्वेतांक कहते हैं कि आज उनके साथ नए-नए लोग जुड़ते जा रहे हैं. उन्होंने 10 दिनों तक सबसे पहले घर पर ही बनाए गए छोटे तालाब में सीपों को वातावरण के अनुकुल ढालने के लिए छोड़ दिया. फिर सर्जरी करके उनमें न्यूक्लीयस डालकर तीन दिन एंटीबाॅडी में रखा. जिसके बाद सभी सीपों को 12-13 माह तक तालाब में छोड़ दिया. वे बताते हैं कि सीप से मोती निकालने के काम में तीन गुना तक का मुनाफा हो जाता है.

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मधुमक्खी पालन में भी आजमा रहे हैं हाथ

वहीं मधुमक्खी पालन ( Bee Keeping) का जिम्मा संभाल रहे मोहित आनंद ने सबसे पहले दिल्ली गांधी दर्शन से इसकी ट्रेनिंग ली. छोटी-छोटी बारीकियां सीखने के बाद इस क्षेत्र में हाथ आजमाने का फैसला लिया.अब उनसे कई कंपनियां और कई औषधालय भी शहद के लिए संपर्क कर रहे हैं. वे बताते हैं कि खुद तो मुनाफा कमा ही रहे हैं, अन्य किसानों को भी प्रशिक्षित कर उनकी मदद कर रहे है. 

हर साल उत्तर भारत से लाखों युवा करते हैं पलायन

उत्तर भारत के क्षेत्रों में अक्सर देखा जाता है कि रोजगार के लिए काफी बड़ी संख्या में युवा मेट्रो सिटी की ओर पलायन करते हैं. रोहित आनंद पाठक भी उन्हीं युवाओं में एक थे. कोरोना काल में एक बड़ी कंपनी के रिजनल हेड की पद छोड़कर वे वाराणसी लौट आएं. फिर अपने दोस्तों के साथ मिलकर पालन, सीप की खेती, बकरी पालन, मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. 

रोहित बताते हैं कि वे इस वित्तीय वर्ष अपने साथ दो सौ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. कोरोना काल ने उन्हें काफी कुछ सिखा दिया है. यही वजह है कि वे खुद और ग्रामीण क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए आय का स्थिर जरिया पैदा करने की कोशिश रहे हैं.

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