
खेती में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. नए तरीकों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाई जा रही है. इसी कड़ी में किसानों को रेशम कीट के पालन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार का मानना है कि रेशम कीट का पालन करके किसान अपनी आय में कई गुना ज्यादा इजाफा कर सकते हैं.
रेशम की खेती से सालाना 10 लाख का मुनाफा
लातूर जिले के रेनापुर तहसील में खरोला गांव के रहने वाले सिद्धेश्वर भगवान कारले ने अपने डेढ़ एकड़ क्षेत्र में रेशम की खेती करके 1 साल में दस लाख रुपये की कमाई करके दिखाई है. उन्होंने बताया कि इस खेती में हर 3 महीने में एक बार रेशम को क्रॉप लिया जाता है. इस दौरान पच्चीस हजार रुपयों की लागत आती है. वहीं, इससे लगभग ढाई लाख रुपयों की कमाई भी हो जाती है. इस हिसाब से 1 साल में 4 बार रेशम क्रॉप लिया जाता है.
रेशम की खेती के लिए शहतूत का पेड़ महत्वपूर्ण
रेशम खेती के लिए डेढ़ एकड़ में शहतूत के पेड़ लगाएं. रेशम खेती में शहतूत के पेड़ों का महत्वपूर्ण कार्य होता है. इसी शहतूत के पत्तों को रेशम कीट खाकर रेशम बनाते हैं. इसी के चलते सिद्धेश्वर कारले ने अपने डेढ़ एकड़ क्षेत्र में शहतूत के पेड़ों का बगीचा तैयार किया है. इसी बगीचे से शहतूत की पत्तियों को तोड़कर नेट पर रखे गए रेशम कीट को खाने के लिए डाला जाता है. शहतूत की पत्तियां रेशम कीट का पसंदीदा खाना है. इसे खाकर अधिक मात्रा में रेशम का उत्पादन करते हैं.
(लातूर से अनिकेत जाधव की रिपोर्ट)