
कम लागत और बढ़िया मुनाफे के चलते देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन एक लोकप्रिय व्यवसाय के तौर पर उभर कर सामने आया है. केंद्र सरकार प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन के इच्छुक लोगों की मदद करता है. इस योजना के तहत मछली पालकों को 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. वहीं, राज्य सरकार भी अपने स्तर पर मछली पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए मछली पालन संबंधित योजनाओं को लॉन्च करती रहती हैं.
तालाब और जलाशयों को 10 साल के लीज पर दिया जाएगा
छत्तीसगढ़ सरकार ने मछली पालकों को खुशखबरी देते हुए मछली पालन की नीति में बदलाव किया है. इस नई नीति के मुताबिक, अब राज्य में मछली पालन के लिए तालाब और जलाशयों को नीलाम नहीं किया जाएगा, बल्कि मछली पालकों को तालाब और जलाशयों को 10 साल के लीज पर दिया जाएगा. इन तालाब और जलाशयों में मछली पालन कर बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है. साथ ही नीलामी में तालाब नहीं लेने पर मछली पालन में उनकी लागत भी कम हो जाएगी.
इन्हें मिलेगी प्राथमिकता
सरकार के आदेश के मुताबिक, इन पट्टों के आबंटन में ढीमर, निषाद, केंवट, कहार, कहरा, मल्लाह के मछुआ समूह और मत्स्य सहकारी समिति को प्राथमिकता दी जाएगी. साथ ही, एससी-एसटी वर्ग के मछुआ समूहों और मत्स्य सहकारी समिति को भी इस योजना का लाभ मिलेगा.
मछली पालन में है बंपर मुनाफा
विशेषज्ञों के मुताबिक अगर सही तरीके से मछली पालन की प्रकिया अपनाई जाए तो मछली पालक एक तालाब से 1 साल में दो बार उत्पादन ले सकता है. 1 एकड़ में मछली पालन के माध्यम से 16 से 20 साल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इससे मछली पालक हर साल 5 से 8 लाख रुपये की कमाई आसानी से कर सकता है.