
किसानों के लिए पशुपालन आमदनी का एक बढ़िया स्रोत साबित हो रहा है. ऐसे में बड़ी संख्या में किसान गाय पालन की ओर रुख कर रहे हैं. किसान पशुपालन के क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाएं, इसके लिए सरकार द्वारा भी बड़े स्तर पर मदद की जा रही है. सरकार की मदद और खुद की मेहनत की बदौलत बड़ी संख्या में ग्रामीण पशुपालन के जरिए बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. यह हम गाय की कुछ उन्नत नस्लों की जानकारी दे रहे हैं, जो देसी हैं और किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती हैं.
गिर नस्ल
इस नस्ल की हाय को भदावरी, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, सोरथी और सुरती भी कहा जाता है. यह सबसे पहले गुजरात के गिर के जंगलों में पाई गई थी. गिर गाय एक सीजन में 4000 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है.
हरियाणा नस्ल
इस नस्ल की गाय हरियाण राज्य में पायी जाती है. इस नस्ल की दूध उत्पादन क्षमता बहुत अधिक होती है. डेयरी किसानों के बीच ये बेहद लोकप्रिय भी है. माना जाता है कि ये गाय एक सीजन में 3000 लीटर तक दूध देने में सक्षम है.
कांकरेज नस्ल
राजस्थान में पाए जाने वाली गाय की ये नस्ल एक सीजन में 3000 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. किसानों के बीच ये गाय काफी लोकप्रिय भी है.
बर्गुर नस्ल
ये गाय तामिलनाडु के बर्गुर क्षेत्र में पाई जाती है. इस का सिर लंबा होता है, पूछ छोटी एवं माथा उभरा हुआ होता है. इस नस्ल की गाय का भी दूध उत्पादन ठीक-ठाक माना जाता है.
डांगी नस्ल
यह नस्ल महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश क्षेत्रों में पाई जाती है. ये गाय डेयरी किसानों की पसंदीदा मानी जाती है. दावा किया जाता है कि ये गाय एक सीजन में 2000 लीटर तक दूध दे सकती है.
केनकथा नस्ल
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली यह गाय अपने दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है. यह गाय कद में छोटी होती है एवं सर छोटा और चौड़ा होता है.
अमृतमहल नस्ल
कर्नाटक में पाई जाने वाली गाय की इस नस्ल की गाय के नथुने कम चौड़े होते है. इस नस्ल की औसतन दूध उत्पादन क्षमता 1000 लीटर एक सीजन के बराबर होती है.