
Camel Farming: भारत में पशुपालन के व्यवसाय में गाय, भैंस, बकरी जैसे जानवरों को ज्यादा तरजीह दी जाती है. हालांकि, अब किसानों के बीच ऊंट पालन को लेकर भी लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ी है. कई राज्यों में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ऊंट पालन करने पर आर्थिक तौर पर मदद भी दी जाती है.
ऊंट पालन करने वाले किसान पहले दुविधा में रहते थे. ऊंट के दूध को बेचने के लिए उनके पास कोई प्लेटफॉर्म नहीं था. सरकार किसानों की इस समस्या को खत्म करने के लिए सरकारी डेयरी आरसीडीऍफ (RCDF) का निर्माण भी किया. इससे किसानों को ऊंट का दूध बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ता है और उन्हें कम लागत में दोगुना मुनाफा भी हो जाता है.
भारत में पाई जाती हैं ऊंट की ये नस्लें
भारत में ऊंट की 9 मुख्य नस्लें पाई जाती हैं. राजस्थान में बीकानेरी, मारवाड़ी, जालोरी, जैसलमेरी व मेवाड़ी नस्लें पाई जाती हैं. इसके अलावा गुजरात में कच्छी और खरई नस्लें पाई जाती हैं. वहीं, मध्य प्रदेश में मालवी नस्ल के ऊंटे देखने को मिलते हैं. व्यापारिक स्तर पर ऊंट की बीकानेरी व जैसलमेरी नस्ल काफी उपयुक्त मानी गई हैं क्योंकि इनमें शुष्क पर्यावरण में जीने की जबरदस्त क्षमता होती है.
ऊंटों के निर्यात पर है प्रतिबंध
भारत के साथ बाकी देशों में भी इसकी मांग बहुत अधिक है. हालांकि, सरकार ने ऊंटों के निर्यात पर अभी प्रतिबंध लगा दिया है. दरअसल, सरकार ने ऐसा ऊंटों कम होती संख्या को रोकने के लिए किया है. सरकार द्वारा ऊंट पालकों की सहायता के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का रुझान इस पालन की तरफ बढ़े और ऊंटों की संख्या में भी इजाफा हो.
होगा बंपर मुनाफा
बता दें कि कई सारी बीमारियों में डॉक्टर्स ऊंट के दूध के सेवन करने की सलाह देते हैं. बाजार में ऊंट दूध की मांग अच्छी खासी बनी रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, व्यवसाय की शुरुआत में ऊंटों की संख्या कम रखें. बाद में ऊंटों की संख्या अपने हिसाब से बढ़ाते रहे तो आप पाएंगे कि मुनाफा धीरे-धीरे लागत से कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा.