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भेड़ पालन से ठंड के महीने में खूब बढ़ेगा मुनाफा! ये आसान टिप्स आएंगे काम

भारत में फिलहाल मालपुरा, जैसलमेरी, मंडियां, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु, छोटा नागपुरी शहाबाबाद प्रजाति के भेड़ों के पालन का चलन ज्यादा है. ठंड के महीने में ये भेड़े बंपर मुनाफा दे सकती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक किसान सिर्फ एक लाख रुपये के खर्च में अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है.

Sheep Farming Sheep Farming
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

देश के कई राज्यों में भीषण ठंड पड़ रही है. न्यूनतम पारा गिरकर 5 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे आ गया है. इस बीच गर्म कपड़ों की बिक्री भी बढ़ गई है. ऐसे में खासकर भेड़ पालन किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. ग्रामीण इलाकों के लिए भेड़ पालन मुनाफे का सौदा होता है. इससे न सिर्फ ऊन बल्कि दूध, मांस और चमड़ा भी मिलता है. इससे किसान काफी बंपर मुनाफा कमा सकते हैं.

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भेड़ों के भोजन पर ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं

भेड़ो के पालन पर किसानों को ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है. भेड़े भोजन के तौर पर सिर्फ घास और हरी पत्तियां ही खाती हैं. भारत में फिलहाल मालपुरा, जैसलमेरी, मंडियां, मारवाड़ी, बीकानेरी, मैरिनो, कोरिडायल रामबुतु ,छोटा नागपुरी शहाबाबाद  प्रजाति के भेड़ों के पालन का चलन ज्यादा है.

भेड़ पालन पर बंपर सब्सिडी

केंद्र सरकार द्वारा नेशनल लाइवस्टॉक मिशन के तहत भेड़ पालन पालन के लिए 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. इसके अलावा कई राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर किसानों को भेड़ पालन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है.

बेहद कम पैसे में भेड़ पालन की हो सकती है शुरुआत

विशेषज्ञों के मुताबिक, एक किसान सिर्फ एक लाख रुपये के खर्च में अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है. बाजार में एक भेड़ की तीन से आठ हजार रुपये बिकती हैं. इसके पालन की शुरुआत आप साल के किसी भी महीने से कर सकते हैं. 20 भेड़ों के लिए 500 स्क्वैयर फीट का बाड़ा पर्याप्त माना जाता है. इस बाड़े को तीस से चालीस हजार रुपये में तैयार किया जा सकता है.

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सलिए भेड़ पालन के लिए ठंड का महीना फायदेमंद

भेड़ पालन करने वालों के लिए ठंड का महीना सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. इस महीने में ऊन की मांग बढ़ जाती है. ऐसे में भेड़ों के रोएं का इस्तेमाल ऊन बनाने के लिए किया जाता है. डिमांड के साथ-साथ किसान को इसपर कीमत भी अच्छी मिलनी शुरू हो जाती है.

 

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