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लाल कंधारी गाय पालन में बंपर मुनाफा, साल में इतने दिनों तक दे सकती है दूध

लाल कंधारी गाय महाराष्ट्र के कंधार तालुका में पाई जाती है. लेकिन अब इनकी संख्या अन्य राज्यों में भी बढ़ गई हैं. इस गाय का पालन करना किसानों के लिए मुनाफे का सौदा माना जाता है. मानते हैं कि गाय की इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. इसे लखाल्बुन्दा भी कहा जाता है.

Lal Kandhari cow Lal Kandhari cow
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:46 PM IST

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आमदनी का सबसे बड़ा जरिया बनता जा रहा है. किसान बड़ी संख्या में गाय पालन करते नजर आते हैं. हालांकि, गाय की नस्लों के चुनाव में वह गलती कर देते हैं, इस वजह से उन्हें मन मुताबिक मुनाफा नहीं मिल पाता है. अगर किसान लंबे समय तक दूध उत्पादन चाहते हैं तो उसे अपने डेयरी में लाल कंधारी गाय को जरूर शामिल करना चाहिए. 

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महाराष्ट्र के कंधार तालुका में पाई जाती लाल कंधारी 

यह गाय महाराष्ट्र के कंधार तालुका में पाई जाती है. दावा किया जाता है कि इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. ये गाय गहरे भूरे व गहरे लाल रंग की होती हैं और इनके कान लंबे होते हैं. बता दें कि इस नस्ल की एक गाय 40 से 50 हजार रुपए में बिकती हैं.

इस गाय की खुराक में इन बातों का रखें ध्यान

इस गाय के पालन में ज्यादा मशक्कत की जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि, ये ध्यान रखें, इन्हें उनकी जरूरत के अनुसार ही खुराक दें. ज्यादा खुराक देने में ये गायें बदहजमी की शिकार हो सकती है. फलीदार चारे को खिलाने से पहले उनमें तूड़ी या अन्य चारा मिला लें. इनके खुराक पर जितना ध्यान देंगे, उतना ही इनका दूध उत्पादन होगा. इसके चलते किसानों के मुनाफे में भारी इजाफा होगा. 

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इतने दिनों तक दे सकती है दूध

विशेषज्ञ कहते हैं कि ये गाय साल के 275 दिनों तक दूध दे सकती है. ये लगातार 4 लीटर रोजाना दूध देने की क्षमता रखती है. अगर इसका एक लीटर दूध 60 रुपये के हिसाब से बिकता है तो ये गाय साल में  275*4= 1,100 लीटर तक दूध दे सकती है. इससे पशुपालक आसानी से 1, 100*60= 66,000 रुपये आराम से कमा सकता है.

 

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