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किसान का कमाल, दूध-गोबर बेचकर खड़ा कर लिया करोड़ों का आलीशान बंगला, हर महीने लाखों की कमाई

महाराष्ट्र के सोलापुर किसान प्रकाश इमड़े के पास 4 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी. सिंचाई के संकट के चलते उनके लिए खेती करना संभव नहीं था. ऐसे में उन्होंने इस जमीन पर साल 1998 में डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की. आज प्रकाश इमड़े ने गाय का दूध और गोबर बेचकर करोड़ों का आलीशान बंगला खड़ा कर लिया है.

aajtak.in
  • सोलापुर,
  • 25 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:55 PM IST

महाराष्ट्र के सोलापुर रहने वाले एक किसान ने गाय का दूध और गोबर बेचकर करोड़ों रुपये का आलीशान बंगला खड़ा लिया है. दरअसल, किसान प्रकाश इमड़े ने साल 1988 में दूध का बिजनेस शुरू किया था. एक गाय से शुरू हुए इस डेयरी में अब तकरीबन 150 गायें हैं. वह इन गायों का दूध और गोबर बेचकर हर महीने लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. 

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दूध और गोबर बेचकर कमाते हैं बंपर मुनाफा

किसान प्रकाश इमड़े के पास सिर्फ 4 एकड़ पुश्तैनी जमीन थी. सिंचाई के संकट के चलते उनके लिए खेती करना संभव नहीं था. ऐसे में उन्होंने इस जमीन पर डेयरी फार्मिंग की शुरुआत की. शुरुआत में उनके पास सिर्फ 1 गाय थी. इस गाय का दूध वह गांव में जाकर बेचते थे. आज उनके पास 150 गायें हैं. वह रोजाना 1000 लीटर दूध डेयरी को बेचते हैं. साथ ही वह गोबर बेचकर भी बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं. इस व्यवसाय में उनका पूरा परिवार मदद करता है.

युवाओं को दे रहे हैं रोजगार के अवसर

प्रकाश इमड़े बताते हैं क‍ि इस व्यवसाय से वह  गांव के युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं. उनके फार्म को देखने अन्य राज्यों से भी किसान आ रहे हैं. वह इन किसानों का मार्गदर्शन करते हैं. उन्होंने गाय पालन के सहारे ही करोड़ों का आलीशान बंगला खड़ा कर दिया है. अपने बंगले के अंदर उन्होंने गाय का स्टैचू भी बनाया है. 

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गायों का रखा जाता है खास ख्याल

प्रकाश इमड़े ने डेयरी के बिजनेस की शुरुआत 1998 में अपनी इकलौती गाय से की थी. इस एक गाय बदौलत आज लगभग 150 गायें पाल ली हैं.  उन्होंने कभी अपनी गाय का एक भी बच्चा नहीं बेचा. वह गाय के चारे, पानी, स्वच्छता, स्वास्थ्य का बहुत योजनाबद्ध तरीके से ध्यान रखते हैं. प्रकाश बापू ने वर्तमान नई तकनीक का सफल प्रयोग किया है.  उनकी गौशाला में ऐसी गायें भी हैं जो पंजाब की गायों जितना ही दूध देती हैं. इन गायो को  प्रतिदिन चार से पांच टन हरे चारे की आवश्यकता होती है.

(सोलापुर से नितिन शिंदे की रिपोर्ट)

 

 

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