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Lumpy Virus: विधायक फंड से खरीदी जाएगी पशु एंबुलेंस, लंपी के खिलाफ यूं जंग लड़ेगी राजस्थान सरकार

Ambulance for Animals: पशुओं को लंपी जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है. इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने विधायक निधि से पशुओं के लिए एंबुलेंस खरीदने का फैसला लिया है. जिससेे बीमार एवं घायल पशुओं को ले जाया जा सकेगा.

Rajasthan Govt to buy ambulance for animals Rajasthan Govt to buy ambulance for animals
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:37 PM IST

Ambulance for Animals: उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई है. इसकी सबसे ज्यादा मार राजस्थान में पड़ी है. राज्य में तकरीबन 70 हजार के गायें लंपी स्किन वायरस की चपेट में आकर दम तोड़ चुकी हैं. भविष्य में पशुओं को इस तरह की महामारी से बचाया जा सके इसके लिए पशुपालन विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जा रहा है. इसी कड़ी में राजस्थान सरकार ने विधायक निधि से पशुओं के लिए एंबुलेंस खरीदने का फैसला लिया है.

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राजस्थान सरकार ने लिया ये फैसला

राज्य सरकार ने इसके लिए एमएलए लेड के दिशा-निर्देशिका में बदलाव किया है.अब विधायक स्थानीय क्षेत्र कार्यक्रम की तहत बीमार और घायल पशुओं के लिए एम्बुलेंस खरीदने की मंजूरी दे दी गई है. माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से दुधारू पशुओं में फैल रहे लंपी वायरस के रोकथाम में काफी ज्यादा मदद मिलेगी.

लंपी की रोकथाम के लिए टीकाकरण अभियान तेज

गायों को लंपी वायरस से बचाने के लिए टीकाकरण के अभियान को तेज कर दिया गया है. पशुपालकों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. अपनी गायों में लंपी का थोड़ा सा भी लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी पशुपालन केंद्र से संपर्क करने को कहा गया है. इसके अलावा अगर गाय लंपी वायरस से संक्रमित हो गई है तो उसे अन्य गायों से अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं, पशुओं के रहने के रखने के स्थान की साफ-सफाई रखने के निर्देश हैं.

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कैसे फैलता है लंपी?

लंपी वायरस मक्खियों और मच्छरों की कुछ प्रजातियों और टिक्स द्वारा एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर तक यात्रा करता है. लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं को तेज बुखार आने के साथ ही उनकी भूख कम हो जाती है. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें बन जाती हैं. साथ ही पैरों में सूजन, लंगड़ापन और नर पशु में काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है.

 

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