Advertisement

इस कीड़े के बिना नहीं बन सकता रेशम, जानिए सिल्कवर्म की खासियत

प्राकृतिक रेशम को कीटों की मदद से तैयार किया जाता है. इसके लिए किसानों को सिल्क वर्म पालने की सलाह दी जाती है. सिल्क वर्म को मल्बरी यानि शहतूत के पेड़ पर उगाया जाता है. इनके पत्तों पर कीट अपने लार से रेशम बनाते हैं. इनका इस्तेमाल वस्त्रों को बनाने में किया जाता है.

Silkworm rearing Silkworm rearing
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

खेती में नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. नए-नए तरीकों के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाई जा रही है. इसी कड़ी में किसानों को रेशम कीट के पालन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार का मानना है की रेशम कीट का पालन कर किसान अपनी आय में कई गुना ज्यादा इजाफा कर सकते हैं.

रेशम की खेती कैसे होती है?

Advertisement

रेशम की खेती, आपको ये वाक्य सुनकर थोड़ा अटपटा लगेगा. लेकिन देश में बड़े पैमाने पर रेशम की खेती होती है. बता दें कि प्राकृतिक रेशम को कीटों की मदद से तैयार किया जाता है. इसके लिए किसानों को सिल्क वर्म पालने की सलाह दी जाती है. सिल्क वर्म को मल्बरी यानि शहतूत के पेड़ पर उगाया जाता है. इनके पत्तों पर कीट अपने लार से रेशम बनाते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक एक एकड़ में 500 किलोग्राम रेशम के कीटों की जरूरत पड़ती है.

सिल्क वर्म की आयु दो से तीन दिन की मानी जाती है. यह रोजाना 200 से 300 अंडा देने की क्षमता रखती है. 10 दिन में अंडे लार्वा निकलता है. लार्वा अपने मुंह से तरल प्रोटीन का स्त्राव करता है. जैसे ही यह प्रोटील हवा के संपर्क में आता है, यह कठोर होकर धागे का रूप ले लेता है. इसे ककून कहते हैं. ककून का उपयोग रेशम बनाने में किया जाता है. गर्म पानी डालने पर ककून पर मौजूद कीट मर जाते हैं. इस ककून को फिर रेशम के रूप में धाला जाता है.

Advertisement

यहां होता है रेशम का इस्तेमाल

कीड़े द्वारा तैयार किए गए इस धागे का इस्तेमाल साड़ियों को बनाने में किया जाता है. इससे रेशम के दुपट्टे भी बनते हैं. बनाते भारतीय पहनावे में रेशम से तैयार किए गए वस्त्रों का काफी महत्व है. इस धागे की कीमत 2 हजार से लेकर 7 हजार रुपये प्रति किलो है. ऐसे में किसान रेशम के कीटों का पालन कर कम वक्त में ही लाखों का मुनाफा हासिल कर सकता है. 

रेशम की खेती को लेकर यहां से ले जानकारी

भारत में केंद्रीय रेशम रिसर्च सेंटर बहरामपुर,  मेघालय के केंद्रीय इरी अनुसंधान संस्थान और रांची के केंद्रीय टसर अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान रेशम और उसके कीट को लेकर तमाम रिसर्च होते हैं. किसान भाई इन संस्थानों से संपर्क कर आसानी से बढ़िया मुनाफा हासिल कर सकते हैं.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement