
यूपी में पीने के गंदे पानी से बड़ी संख्या में बीमारियां होती हैं. दूषित पेयजल से जल जनित बीमारियां (water borne diseases) होती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है. यूपी में जहां 'हर घर नल का जल' अभियान को तेज़ किया गया है, वहीं यूपी में अब जल जनित बीमारियों के खात्मे का जिम्मा महिलाएं सम्भालेंगी. ये अब तक का सबसे बड़ा टास्क फ़ोर्स होगा. गांव की महिलाओं को न सिर्फ़ इसके लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है, बल्कि उनके हाथों में सरकार पानी के सैम्पल की जांच के लिए फ़ील्ड टेस्ट किट (field test kit) भी देने वाली है.
गंदे पीने के पानी से होने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए अब उत्तर प्रदेश में एक बड़ी पहल होने जा रही है. पहली बार बड़ी संख्या में महिलाओं को इस कार्य में लगाया जाएगा. पहली बार 6 लाख महिलाओं को वॉटर सैम्पल (पानी के नमूने) की जांच में लगाया जाएगा. इन महिलाओं के हाथों में हथियार के रूप में फील्ड टेस्ट किट (FT Kit) होगी. ये महिलाएं पीने के पानी की जांच करेंगी. नमामि गंगे प्रोजेक्ट और जल जीवन मिशन की ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत पीने के पानी की शुद्धता की जांच के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया जा रहा है. इसकी शुरुआत केंद्र सरकार के जल शक्ति विभाग ने की थी. यूपी में 6 लाख से ज़्यादा महिलाओं को इसके लिए तैयार किया जा रहा है.
कई क्षेत्रों में हुआ प्रशिक्षण
यूपी के पूर्वांचल-बुंदेलखंड और मध्य यूपी जैसे क्षेत्रों में 1 लाख से ज़्यादा महिलाओं को अब तक इसके लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है. अब तक 70 हजार पानी के सैंपल की जांच महिलाओं ने की है. यह पहला मौका है जब यूपी में जल जनित बीमारियों को रोकने के लिए गांव-गांव में इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को तैयार किया जा रहा है. 'जल जीवन मिशन' की इस योजना के तहत गांव की महिलाओं को ही इस काम में लगाया गया है जिससे ये काम स्थानीय स्तर पर ही प्रभावी रूप से हो सके.
इस अभियान के लिए हर राजस्व ग्राम से 5 महिलाओं का चयन विकास खंड स्तरीय कमेटी करेगी.जिसके सदस्य विकास खंड अधिकारी, संबंधित जनपद के अधिशासी अभियंता, सहायक अभियंता,अवर अभियंता होते हैं. गाँव में महिलाओं से इसके लिए सहमति के आधार पर चयन किया जा रहा है. इस अभियान में सबसे महत्वपूर्ण है महिलाओं का प्रशिक्षण.इसके लिए इन्हें वॉटर सैम्पल की जांच के लिए फील्ड टेस्ट किट दिए जाएंगे. फ़ील्ड टेस्ट किट से पानी की गुणवत्ता(water quality) जाँचने के लिए 12 तरह की जांच सम्भव है.
फ़ील्ड टेस्ट किट से महिलाएं तालाब, नल, हैंडपम्प, कुएं के पानी की शुद्धता की जांच कर पाएंगी. दरअसल पीने के पानी में फ्लोराइड,आर्सेनिक जैसे तत्वों की अधिकता पाए से बीमारियों की एक लम्बी शृंखला है.ऐसे में इस तरह की अशुद्ध स्त्रोतों के मिलने पर जल निगम उस जल श्रोत को या तो बंद करेगा या फिर समस्या के समाधान के प्रयास करेगा. अब तक शहजहांपुर, बिजनौर, फिरोजाबाद, पीलीभीत, बदायूं, बरेली, मुरादाबाद, बुलंदशहर, अमबेडकरनगर, संभल के गाँव में महिलाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर लिया गया है.
यूपी के कुछ क्षेत्रों में फ्लोराइड और आर्सेनिक की समस्या से बहुत ज़्यादा बीमारियाँ होती हैं.फ्लोराइड की मात्रा ज़्यादा होने से फ्लोरोसिस जैसी दांतों की बीमारी हो जाती है. तो वहीं आर्सेनिक की अधिकता से त्वचा काली पड़ने लगती है. ग्रामीण क्षेत्रों में गंदे पानी से दस्त,हैजा, टायफायड, मलेरिया, डेंगू, स्किन कैंसर, किडनी में स्टोन जैसी बीमारियाँ होती रही हैं.
गांव की महिलाओं को मिलेंगे इतने रुपये
गांव की महिलाएं वॉटर सैम्पल की जाँच करेंगी तो उनको रोज़गार भी मिलेगा. महिलाओं को पानी की प्रत्येक सैम्पल की जांच के लिए 20-20 रुपये दिये जाएंगे. योजना के तहत प्रत्येक राजस्व गांव की 5 महिलाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य तय किया गया है.प्रशिक्षण के दौरान टेस्ट किट उपलब्ध करायी जाएगी.जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का कहना है कि इसके लिए कोशिश की जा रही है. गांव में महिलाओं के दिशा में भी ये एक प्रयास है.