
खरीफ फसलों की कटाई के वक्त हर साल प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के शहरों में वातावरण दमघोंटू सा हो जाता है. हरियाणा से भी हर साल खेतों में पराली जलाने के मामले दर्ज किए जाते हैं. हालांकि, इस बार खट्टर सरकार पहले से ही सतर्क है. इस दौरान पराली प्रबंधन को लेकर कई अहम फैसले भी लिए जा रहे हैं.
पराली की होगी खरीद
इस बार हरियाणा में किसानों से पराली की प्राइवेट खरीद होगी. दरअसल इस बार व्यापारियों को सूखे चारे की दिक्कत हुई थी. ऐसे में इस बार सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को पराली खरीदने का निर्देश दिया है. इसमें सबसे ज्यादा बासमती के पराली पर 6 हजार रुपये मिलेंगे. वहीं, 4 से 5 हजार रुपये परमल धान की पराली पर मिलेंगे.
क्या कहते हैं किसान
किसान कर्म सिंह कल्याण कहते हैं कि पराली की प्राइवेट खरीद शुरू होने के बाद किसानों के लिए अच्छी कमाई करने का यह सुनहरा मौका है. पहले पराली जलानी पड़ती थी. इससे प्रदूषण का स्तर तो बढ़ता ही था, मुनाफा भी नहीं था. अब यह 5-6 हजार रुपये में बिकेगी.
त्यागीमंडी में धान लेकर आए किसान सुरेन्द्र त्यागी ने बताया कि इसका किसानों को बहुत ज्यादा फायदा है.पहले पराली जलाने का सारा दोष किसानों पर ही आता था. उल्टा सरकार जुर्माना भी वसूलती थी. प्राइवेट कंपनियों द्वारा पराली खरीदने पर अब पैसे मिलेंगे. बस अब सरकार चार से पांच गांठ बनाने वाली मशीनें गांवों में पहुंचा दे.
इस तरह किसानों को मिल रहे एक हजार रुपये
वहीं, हरियाणा सरकार फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत सीटू व एक्स सीटू मैनेजमेंट के जरिए किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपए उपलब्ध करा रही है. अगर आप हरियाणा के किसान हैं, और फसल अवशेष प्रबंधंन स्कीम के तहत सीटू व एक्स सीटू मैनेजमेंट के जरिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ राशि पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर पंजीकरण करवाना पड़ेगा.
सीटू व एक्स सीटू मैनेजमेंट के तहत पराली का निस्तारण करना बेहद आसान है. इसके जरिए किसानों को बेलर मशीनों के माध्यम से पराली की गांठें बनाना सिखाया जाएगा और इसे बेचने के लिए बाजार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके अलावा धान के फानों को जमीन में कृषि मशीनों के सहारे दबाया जाने की प्रकिया भी बताई जाएगी. ऐसा करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी.