फसलों की बुवाई से लेकर जुताई और कटाई की मशीनों पर 50 फीसदी सब्सिडी, यहां आवेदन करें किसान

राजस्थान कृषि तकनीक मिशन के तहत पिछले 4 वर्षों में 43 हजार 396 किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 91 करोड़ 44 लाख रुपये का अनुदान देकर लाभान्वित किया गया है. सीएम अशोक गहलोत द्वारा घोषित कृषि बजट के अनुसार 2023-24 में एक लाख किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 250 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

खेती में कृषि यंत्रों की मदद से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों में बढ़ोतरी होती है. हालांकि, इन कृषि यंत्रों के महंगे होने के चलते इन्हें खरीद पाना छोटे और सीमांत किसानों के बस की बात नहीं है. इन्हीं किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए राजस्थान सरकार कृषि तकनीकी मिशन के तहत हस्त चलित, शक्ति चलित, ट्रैक्टर चलित, स्वचलित जैसे अन्य श्रेणी के कृषि यंत्रों क पर की खरीद पर किसानों को बंपर अनुदान दे रही है.  

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कृषि यंत्रों की खरीद पर 91 करोड़ रुपये से अधिक का दिया अनुदान-

कृषि आयुक्त कानाराम के मुताबिक, राजस्थान कृषि तकनीक मिशन के तहत पिछले 4 वर्षों में 43 हजार 396 किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 91 करोड़ 44 लाख रुपये का अनुदान देकर लाभान्वित किया गया है. सीएम अशोक गहलोत द्वारा घोषित कृषि बजट के अनुसार 2023-24 में एक लाख किसानों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 250 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है.

खेती की मशीनों पर 50 प्रतिशत तक का अनुदान

कृषि आयुक्त कानाराम के मुताबिक योजना के अंतर्गत पावर टिलर्स, स्वचालित यंत्र, विशिष्टिकृत स्वचालित यंत्र जैसे अनेकों उपकरणों पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को कृषि यंत्र के क्रय पर राज्य सरकार द्वारा लागत राशि का 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है. वहीं, अन्य किसानों को इसपर लागत का 40 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा. इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों के लिए किसान राज किसान साथी पोर्टल पर जन आधार कार्ड के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

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किसानों को मिला फायदा

जयपुर जिले के ग्राम डेहरा निवासी श्रवण लाल ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग द्वारा अनुदान पाकर हल एवं बीज बुवाई यंत्र खरीदा है. जिससे वे खेत मे जुताई और बीज की बुवाई करते हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले वे किराए के यंत्रों से कृषि कार्य करवाते थे तो समय पर जुताई और बीज की बुवाई नहीं हो पाती थी. इससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता था. लेकिन अब ये खेती के काम को करने में किसी पर निर्भर नहीं हैं और अब समय पर जुताई और बुवाई कर पाते हैं इससे उनकी उपज में वृद्धि होने से आय में भी इजाफा हुआ है.

 

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