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Sagwan Cultivation: सागवान के लकड़ी की गिनती सबसे मजबूत और महंगी लकड़ियों में होती है. इससे फर्नीचर, प्लाइवुड तैयार किया जाता है. इसके अलावा सागवान का इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. लंबे समय तक टिकने की क्षमता होने के कारण इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है. सागवान की लकड़ी में बहुत कम सिकुड़न होती है.
कौन सा मौसम सागवान की बुवाई के लिए ठीक?
सागवान की बुवाई के लिए मॉनसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है. इस मौसम में पौधा लगाने से वो तेजी से बढ़ता है. शुरुआती सालों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले साल में तीन बार दूसरो साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार अच्छे से खेत की सफाई जरूरी है, सफाई के दौरान खरपतवार को पूरी तरह खेत से बाहर करना होता है.
ठंडे स्थानों पर ना लगाएं ये पौधे
सागवान की लकड़ी की सबसे खास बात है कि इसमें दीमक नहीं लगता है. यही वजह है कि ये लंबे समय तक टिकी रहती है. हालांकि, ठंडे स्थानों पर इस पेड़ का विकास काफी प्रभावित होता है. इस वजह से पहाड़ी स्थानों पर इसकी खेती को मनाही मिलती है.
सागवान के पेड़ को जानवरों से डर नहीं
सागवान के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं, यही कारण है कि इसे जानवर खाना पसंद नहीं करते. साथ ही अगर पेड़ की देखभाल ठीक से की जाए तो इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती और ये बिना किसी परेशानी के 10 से 12 साल में तैयार हो जाता है.
सागवान से करोड़ों का मुनाफा
सागवान के पेड़ की कीमत की बात करें तो तैयार होने के बाद प्रति पेड़ लम्बाई और मोटाई के हिसाब से 25 हजार से 40 हजार रुपये तक बिकती है. विशेषज्ञों के अनुसार अगर किसान एक एकड़ खेत में सागवान की खेती करते हैं तो लगभग 120 सागवान के पौधे लगते हैं. जब ये पौधे कटाई के लिए तैयार होते हैं तो इससे जो कमाई होती है वह करोड़ों में पहुंच जाती है.
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