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Strawberry Farming Profit : ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसान अब फलों और सब्जियों की खेती की ओर रुख करने लगे हैं. पिछले कुछ समय से भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है. इससे कई किसान लाखों में मुनाफा कमा रहे हैं. आमतौर पर किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती करने की सही जानकारी नहीं होने की वजह से वे इसकी खेती नहीं कर पाते हैं. ऐसे में हम आपको स्ट्रॉबरी की खेती के बारे में सभी जानकारियां दे रहे हैं.
इन प्रदेशों में होती है स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी भारत की एक महत्वपूर्ण फल फसल है. यह देशभर में खूब बिकती है और इसे खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में की जाती है. यह विटामिन-सी और आयरन से भरपूर है. कुछ किस्में जैसे- उच्च स्वाद और चमकीले लाल रंग वाले ओलंपस, हुड और शुक्सान आइसक्रीम बनाने के लिए उपयुक्त हैं. वहीं, अन्य वैराइटीज जैसे- मिडवे, मिडलैंड, कार्डिनल, हुड आदि का इस्तेमाल ब्यूटी प्रोडक्ट्स के लिए होता है. भारत मुख्य रूप से ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, जर्मनी, जॉर्डन और अमेरिका को स्ट्रॉबेरी का एक्सपोर्ट करता है.
स्ट्रॉबेरी की किस्में और इसे उगाने का सही समय
भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण स्ट्रॉबेरी की किस्में- चांडलर, टियागा, टोरे, सेल्वा, बेलरूबी, फ़र्न और पजारो हैं. अन्य किस्मों में प्रीमियर, रेड कॉस्ट, लोकल ज्योलिकोट, दिलपसंद, फ्लोरिडा 90, कैटरीन स्वीट, पूसा अर्ली ड्वार्फ और ब्लेकमोर शामिल हैं. स्ट्रॉबेरी को पर्वतीय क्षेत्रों में उगाने का सबसे सही समय सितंबर-अक्टूबर का महीना है. अगर पौधे को समय से पहले लगा दिया जाता है तो इसकी उपज में कमी आ सकती है.
साथ ही फसल की गुणवत्ता भी काफी अच्छी नहीं होती. वहीं, अगर पौधे को तय समय से देरी से लगाया जाए तो यह हल्की रह जाती हैं. इसे पहले नर्सरी से उखाड़कर बंडल बनाकर खेत में लगाया जाता है. इन्हें रोपाई से पहले कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है. पत्ती में पानी की कमी को कम करने के लिए मिट्टी की बार-बार सिंचाई करनी चाहिए. पतझड़ पौधों की वृद्धि को रोकता है, फलने में देरी करता है और उपज और गुणवत्ता को कम करता है.
एक एकड़ में लगाए जा सकते हैं इतने पौधे
स्ट्रॉबेरी को खेत में लगाने की दूरी कम से कम 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. एक एकड़ में 22 हजार स्ट्रॉबेरी के पौध लगाए जा सकते हैं. इसमें फसल के अच्छे होने की संभावना रहती है. फलों को उनके वजन, आकार और रंग के आधार पर बांटा जाता है. फलों को कोल्ड स्टोरेज में 32 डिग्री सेल्सियस पर 10 दिनों तक स्टोर किया जा सकता है. अगर आपको स्ट्रॉबेरी को दूर कहीं ले जाना है तो इसे दो घंटे के भीतर 40 डिग्री सेल्सियस पर प्री-कूल किया जाना चाहिए. प्री-कूलिंग के बाद स्ट्रॉबेरीज को रेफ्रिजेरेटेड वैन में भेज दिया जाता है. लंबी दूरी के बाजारों के लिए ग्रेड के अनुसार पैकिंग की जाती है. अच्छी गुणवत्ता के फलों को कुशनिंग सामग्री के रूप में पेपर कटिंग के साथ गत्ते के डिब्बों में पैक किया जाता है. फलों को टोकरियों में पैक किया जाता है. इसे बाजार में बेचने के बाद किसानों को बंपर मुनाफा हो सकता है.