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Explainer: क्या होता है Bumper to Bumper बीमा? ऐसे होगा गाड़ी मालिकों को फायदा

शरद अग्रवाल
  • नई दिल्ली,
  • 02 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST
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इन दिनों Bumper to Bumper बीमा के बारे में काफी सुनने को मिल रहा है. वजह है मद्रास हाइकोर्ट का एक फैसला जिसने देश में 1 सितंबर से सभी नई गाड़ियों की खरीद पर 5 साल के Bumper to Bumper बीमा को अनिवार्य कर दिया है. हालांकि बीमा कंपनियों के इसे लागू करने के लिए समय मांगे जाने पर फिलहाल इस पर रोक लगा दी गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि Bumper to Bumper बीमा होता क्या है. ये गाड़ियों पर अभी होने वाले Third Party Insurance से कैसे अलग है और एक गाड़ी मालिक को इससे क्या फायदे हो सकते हैं...

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अगर Bumper to Bumper बीमा को आसान भाषा में समझें तो ये किसी कार या बाइक का एक्सीडेंट होने की स्थिति में नुकसान पर लगभग 100% बीमा कवर देता है. इसे कई बार ‘Zero Depreciation Cover’ के तौर पर भी जाना जाता है. इस तरह के बीमा में बीमा कंपनी गाड़ी के कलपुर्जों के मूल्यह्रास (depreciation) को नहीं काटती है, जबकि सामान्य या कॉम्प्रिहेंसिव बीमा में बदले जाने वाले पार्ट्स की डेप्रिसिएशन वैल्यू कम कर दी जाती है. बंपर-2-बंपर इंश्योरेंस में क्या-क्या कवर होता है? (Photo : Getty)

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आम तौर पर वाहन मालिक गाड़ी खरीदने पर कॉम्प्रिहेंसिव बीमा कवर लेते हैं. इसममें ग्राहक को Third Party Liability कवरेज, खुद से गाड़ी को नुकसान होने पर कवर, आग, चोरी, आपदा, तोड़-फोड़ से हुए नुकसान पर कवर मिलता है. लेकिन इसमें बड़ा नुकसान डेप्रिसिएशन वैल्यू को कम करने का होता है. अब मानकर चलिए आपकी कार का कोई पुर्जा खराब हो जाता है तो जब आप उसे बदलवाते हैं तो इस तरह के बीमा में कंपनी आपको नए पुर्जे का खर्च नहीं देती, बल्कि आपके पुराने पुर्जे की मौजूदा वैल्यू के हिसाब से ही खर्च देती है. इससे जो नए पुर्जे और पुराने पुर्जे का अंतर होता है वो ग्राहक को उठाना पड़ता है.  जबकि Bumper to Bumper बीमा में ऐसा नहीं होता. क्या आप जानते हैं कि Bumper to Bumper बीमा में क्या कवर होता है. (Photo : Getty)

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Bumper to Bumper बीमा आम तौर पर एड-ऑन बीमा कवरेज के तौर पर दिया जाता है. इसमें गाड़ी के एक्सीडेंट या नुकसान की स्थिति में लगभग सभी पार्ट पर बीमा कवर मिलता है. बस इंजन, बैटरी, टायर, ट्यूब और ग्लास को कवर नहीं किया जाता. हालांकि कुछ कंपनियां विंडस्क्रीन इत्यादि के डैमेज का भी खर्च उठाती हैं, लेकिन आम तौर पर ये बीमा पॉलिसी का हिस्सा नहीं होता. (Photo : Getty)

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आम तौर पर नई गाड़ियों की खरीद पर जो बीमा मिलता है. उसमें पहले साल के लिए कॉम्प्रिहेंसिव बीमा और बाकी 4 साल के लिए Third Party Liability कवर मिलता है. थर्ड पार्टी बीमा में किसी वाहन से दुर्घटना में शिकार हुए पक्ष को बीमा कवर मिलता है, ना कि वाहन में सवार लोगों को. Bumper to Bumper बीमा को अनिवार्य बनाने वाले फैसले के मामले में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी ने मद्रास हाइकोर्ट में जो रिट याचिका दाखिल की थी, उसमें उसने यही दलील दी थी कि मृतक के पास थर्ड पार्टी बीमा था. (Photo : Getty)

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Bumper to Bumper बीमा नई गाड़ियों के खरीदार, लक्जरी गाड़ियों के खरीदार, गैर-अनुभवी गाड़ी मालिकों, दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में रहने वाले गाड़ी मालिकों और जिन्हें अपनी गाड़ी पर छोटे भी 

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Bumper to Bumper बीमा का सबसे बड़ा फायदा 100% डैमेज कवर का होता है. इससे ग्राहक निश्चिंत रहता है. वहीं क्लेम सेटलमेंट के वक्त ग्राहक को पूरा कवरेज मिलता है. ऊपर से ग्राहक को डैमेज के बाद सर्विस कराने पर डेप्रिसिएशन कॉस्ट का नुकसान भी नहीं उठाना पड़ता. लक्जरी कारों की सर्विस पर ये बहुत काम आता है.

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