
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को कम करने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर काबू पाने के लिए एक अप्रैल यानी आज से 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहनों की स्क्रैपिंग शुरू होगी. इस स्क्रैप पॉलिसी (Scrap Policy) के तहत परिवहन निगमों बसों और निकायों के वाहनों को भी स्क्रैप किया जाएगा. केवल इंटरनल सिक्योरिटी, डिफेंस और कानून एवं व्यवस्था में इस्तेमाल किए जा रहे वाहनों को इस स्क्रैप पॉलिसी से बाहर रखा जाएगा.
नौ लाख वाहन हो जाएंगे कबाड़
माना जा रहा है कि इस स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने के बाद करीब नौ लाख खटारा और अनफिट वाहन कबाड़ हो जाएंगे. इन वाहनों की जगह पर नए वाहनों को सरकारी बेड़े में शामिल किया जाएगा. पिछले साल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि 15 साल पुराने सभी वाहनों की स्क्रैपिंग की जाएगी. इसके लिए राज्यों से पुराने वाहनों की जानकारी भी मांगी गई थी.
राज्यों के परिवहन निगम अपनी पुरानी बसों को सर्विस से हटाने में अनाकानी करते हैं. इसके पीछे नई बसों के लिए फंड की समस्या होती है. केंद्र सरकार ने फंड की समस्या को सुलझाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों को प्रोत्साहन देने के साथ राज्यों को स्क्रैपिंग पॉलिसी पर वित्तीय वर्ष में तीन हजार करोड़ रुपये की मदद देने जा रही है.
टल गई थी अनिवार्य फिटनेस जांच
सड़क परिवहन मंत्रालय ने भारी माल और पैसेंजर व्हीकल्स की रजिस्टर्ड आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (ATS) में अनिवार्य फिटनेस जांच को 18 महीने के लिए टाल दिया है. यानी अक्टूबर 2024 तक अनिवार्य फिटनेस जांच नहीं होगी. सरकार ने पहले ऐलान किया था कि एक अप्रैल 2023 से सभी भारी माल तथा पैसेंजर वाहनों की एटीएस के जरिए फिटनेस टेस्टिंग अनिवार्य होगी.
हालांकि, मिड कैटेगरी के माल तथा पैसेंजर वाहनों और कारों की एटिएस के जरिए फिटनेस की जांच एक जून 2024 से अनिवार्य होगी. मंत्रालाय की ओर से कहा गया था कि देश में एटीएस की मौजूदा तैयारी को देखते हुए भारी माल तथा पैसेंजर वाहनों की अनिवार्य फिटनेस टेस्टिंग को फिलहाल टाल दिया गया है.
गौतमबुद्ध नगर में सख्ती शुरू
उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग ने स्क्रैप नियम लागू होने के बाद आज से सख्ती शुरू कर दी है. आज से गौतमबुद्ध जिले में जो भी 15 साल पुरानी गाड़ी सड़कों पर पकड़ी जाएगी, उसे बिना फॉर्मेलिटी के स्क्रैप सेंटर पर कटवा दिया जाएगा. साथ ही वाहन चालक पर कार्रवाई भी की जाएगी.
बात गौतमबुद्ध नगर की करें, तो 10 साल और 15 साल की कुल 1,68,000 गाड़ियां जिले में हैं, कार्रवाई से बचने के लिए वाहन मालिक अपनी गाड़ी को किसी दूसरे जिले में RTO दफ्तर से एनओसी लेकर बेच सकते है. बशर्ते जिला दूसरे मंडल का होना चाहिए, नोएडा में अभी दो प्रमाणित स्क्रैप सेंटर खोले जा चुके हैं, वहीं स्कैप सेंटर के लिए और भी आवेदन लगातार आ रहे हैं.
एआरटीओ सियाराम वर्मा ने जानकरी देते हुए कहा कि आज से स्क्रैप पॉलिसी लागू हो गई है. ऐसे में परिवहन विभाग 10 साल पुराने डीजल गाड़ी और 15 साल पुराने पेट्रोल के गाड़ियों को पकड़े जाने पर स्क्रैप में कटवा देगी, जिनको अपना वाहन बेचना है वो किसी दूसरे जिले में आरटीओ दफ्तर से एनओसी लेकर बेच सकते हैं.
दिल्ली सरकार उठा रही है पुराने वाहन
दिल्ली सरकार ने भी पुराने वाहनों को सीधे कबाड़ (Scrap) में भेजने का अभियान शुरू किया है. 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन को दिल्ली में बैन करने के बाद अब सरकार उनके कबाड़ को भी उठाने की योजना शुरू कर चुकी है. सरकार खुद गाड़ियां उठवा रही हैं और इसके लिए स्पेशल ऑपरेशन भी शुरू किया गया है.
2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसमें कहा गया था कि आदेश का उल्लंघन करने वाले वाहनों को ज़ब्त कर लिया जाएगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 2014 के एक आदेश में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को सार्वजनिकस्थानों पर खड़ा करने पर भी मनाही है.