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Audi को चुकानी पड़ी थी World War-2 की कीमत, Soviet Russia ने किया था ये काम

ऑडी (Audi) आज दुनिया के सबसे पॉपुलर लक्जरी कार ब्रांड में से एक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दूसरे विश्वयुद्ध (World War II) से भी कंपनी का गहरा नाता है. अब जब पुरी दुनिया को रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) में बदल जाने का डर बना हुआ है, तब ऐसे में ये कहानी जानना काफी रोचक हो सकता है.

ऑडी का लोगो (Photo : Audi Media Centre) ऑडी का लोगो (Photo : Audi Media Centre)
शरद अग्रवाल
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:17 PM IST
  • 4 कंपनियों से मिलकर बनी ऑडी
  • 1932 में बनी थी Auto Union
  • दूसरे विश्वयुद्ध में बनाए जंगी वाहन

आज जब हम ऑडी (Audi) को देखते हैं, तो महंगी-लक्जरी और शानदार टेक्नोलॉजी वाली कार का ही ख्याल हमें आता है. लेकिन जब एक तरफ पूरी दुनिया को रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग (Russia Attack on Ukraine) के तीसरे विश्व युद्ध (World War III) में बदलने का डर सता रहा है, तब ऑडी के इतिहास (Audi History) का दूसरे विश्वयुद्ध (Second World War) से जुड़ा ये पन्ना काफी अनोखा बन जाता है.

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4 कंपनियों से मिलकर बनी ऑडी
हम सभी को ऑडी की कार पर चार छल्ले (Audi Logo) नजर आते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि ये 4 छल्ले क्यों हैं? दरअसल ऑडी की कहानी तो 1885 से शुरू होती है, लेकिन कई उतार-चढ़ाव के बाद कंपनी को Audi नाम 1909 में मिला. कंपनी के फाउंडर August Horch ने Horch के लैटिन शब्द Audi के नाम पर इस कंपनी की शुरुआत जर्मनी के Zwickau में की. 1910 में कंपनी ने अपनी पहली कार उतारी. लेकिन 1932 में इसके इतिहास ने करवट बदली. 1932 में चार कंपनी Audi, Wanderer, DKW और Horch का विलय हो गया और ऑटो यूनियन (Auto Union) बनी जो उस समय जर्मनी की सबसे प्रमुख कार कंपनियों में से एक बन गई. इन्हीं चार कंपनियों के विलय के प्रतीक के तौर पर ऑडी के लोगो में 4 छल्ले हैं. 

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Audi का पहले नाम Auto Union था (Photo: Audi Media Centre)

Audi और दूसरा विश्वयुद्ध
दूसरा विश्वयुद्ध 1939 में यूरोप में शुरू हुआ. हिटलर (Hitler) का जर्मनी इस युद्ध में धुरी राष्ट्रों का सिरमौर था. ऐसे में युद्ध की शुरुआत के बाद कार बनाने वाली कंपनी ऑडी ने जंगी वाहन (Armoured Cars) बनाने शुरू कर दिए. 1940 में कंपनी ने अपनी आखिरी सिविल कार (आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली कार) बनाई और द्वित्तीय विश्वयुद्ध के खत्म होने (1945) तक वो जंग में इस्तेमाल होने वाले वाहन बनाती रही. युद्ध में इस्तेमाल होने वाले वाहन बनाने की वजह से ऑडी मित्र राष्ट्रों के निशाने पर थी. ऐसे में जब दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हुआ तो इसका खामियाज़ा ऑडी को उठाना पड़ा.

दरअसल, युद्ध समाप्ति के बाद कंपनी की Zwickau फैक्टरी सोवियत सेना (रूस के नेतृत्व वाले सोवियत संघ की सेना) के कब्ज़े में आ गई. उस समय तक ऑटो यूनियन (ऑडी) भी एक कामकाजी इकाई नहीं रह गई. तब युद्ध के हर्जाने (War Reparations) के तौर पर कंपनी की इस फैक्टरी को सोवियत सेना (Soviet Army) ने डिस्मेंटल कर दिया. साथ ही कंपनी की पूरी संपत्ति भी जब्त हो गई. बाद में 1949 में Auto Union फिर से बनी और आज हम जिस Audi को देखते हैं वो 1969 में अपने वजूद में आई. इसके बाद ऑडी ने अपना कलेवर बदला और अब ये दुनिया की प्रमुख लक्जरी कार कंपनियों में से एक है.

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