
हर साल दिवाली के आसपास उत्तर भारत में लोगों को ‘स्मॉग’ की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसकी एक बड़ी वजह पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर खेतों में ‘पराली’ जलाना होता है. लेकिन अब इस ‘पराली’ से बायोगैस तैयार की जा रही है और इनसे गाड़ियां दौड़ेंगी.
पराली, कचरे से बनेगी कंप्रेस्ड बायोगैस
पराली और कचरे से बायोगैस बनाने की प्रौद्योगिकी नोएडा की ग्रीन एनर्जी कंपनी नेक्सजेन एनर्जिया लिमिटेड ने विकसित की है. बायोगैस बनाने की इस प्रोसेस में बड़ी मात्रा में जैविक खाद भी मिलती है. इस बायोगैस को कंप्रेस करके सिलेंडर में भरा जाता है और ‘सीएनजी स्टेशन’ की बायोगैस पंप पर इसे गाड़ियों में रीफिल किया जा सकता है.
कंपनी का कहना है कि वो ये बायोगैस बनाने के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों से बड़ी मात्रा में पराली खरीदेगी. साथ ही किसानों को सस्ते दामों पर जैविक खाद भी देगी. कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने के लिए कंपनी ने हरियाणा के अंबाला में प्लांट शुरू कर दिया है. जल्द ही पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी इस तरह के प्लांट लगाए जाने हैं.
इन शहरों में खुलेंगे बायोगैस स्टेशन
नेक्सजेन एनर्जिया के एमडी डॉ. पीयूष द्विवेदी ने बताया कि सबसे पहले ये कंप्रेस्ड बायोगैस स्टेशन (सीबीजी स्टेशन) जींद, अंबाला, बागपत, खुर्जा और फतेहाबाद में लगाए जाएंगे. ये अगले साल मार्च से पहले काम करना शुरू कर देंगे.
इंडियन ऑयल कर चुकी है पहल
इससे पहले इंडियन ऑयल भी पराली से सीबीजी बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. कंपनी ने पंजाब सरकार के साथ इसके लिए एक एमओयू भी साइन किया हुआ है. वहीं पराली की समस्या से निपटने के लिए आईआईटी दिल्ली ने इससे डिस्पोजेबल बर्तन बनाने और कागज बनाने की तकनीक भी विकसित की है.
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