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Driverless Car: बिना ड्राइवर के ही फर्राटे भर रही ये गाड़ी, अब तक 50 हजार Km का ट्रायल रन हुआ कंप्लीट

Driverless Car Trial: यह एक गाड़ी है जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की ज़रूरत नहीं पड़ती. शुरुआत में ड्राइवर इसे बस चालू कर के छोड़ दे फिर तो सामने से गाड़ी आए या फिर इंसान, यह गाड़ी अपनी कैलकुलेशन लगाकर अपना रास्ता खुद ही बना लेती है. 

बिना ड्राइवर वाली कार का ट्रायल. बिना ड्राइवर वाली कार का ट्रायल.
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल ,
  • 03 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:36 PM IST

क्या भारत में भी कभी ड्राइवरलेस कार कार दौड़ सकेगी? यह सवाल तो आपके मन में भी कई बार आया होगा. लेकिन इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हम आपको लेकर चलते हैं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, जहां इन दिनों बिना ड्राइवर वाली कार का ट्रायल चल रहा है.

बेहद आम-सी और सड़क पर चलने वाली दूसरी जीप की तरह ही दिखने वाली यह बोलेरो कुछ खास है. दरअसल, यह एक गाड़ी है जिसे चलाने के लिए ड्राइवर की ज़रूरत नहीं पड़ती. शुरुआत में ड्राइवर इसे बस चालू कर के छोड़ दे फिर तो सामने से गाड़ी आए या फिर इंसान, यह गाड़ी अपनी कैलकुलेशन लगाकर अपना रास्ता खुद ही बना लेती है. 

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दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रूड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर चुके भोपाल के युवा इंजीनियर संजीव शर्मा ने करीब 8 साल की मेहनत के बाद बिना ड्राइवर की कार बनाने में सफलता हासिल की है और करीब 50 हजार किमी तक बिना ड्राइवर के जीप चलाकर ट्रायल रन भी किया है. यह जीप रोबोटिक तकनीक से चलती है. देखें Video:-

संजीव शर्मा ने IIT रूड़की से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद  इज़रायल और कनाडा के कॉलेजों में भी पढ़ाई की. लेकिन संजीव की आंखों में अपने देश आकर यहां सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने का सपना था और इसके लिए उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की और एक सॉफ्टवेयर बनाया जो कार में लगे सेंसर और कैमरों के जरिए और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बगैर ड्राइवर वाली कार को कंट्रोल करता है. 

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इसके सेंसर इतने कारगर हैं कि किसी भी गाड़ी या शख्स के सामने आने से गाड़ी खुद ही रास्ते का अनुमान लगाकर किनारे से निकल जाती है. स्वायत्त रोबोटिक कंपनी बनाकर संजीव शर्मा ने 2015-16 से इस जीप का ट्रायल शुरू किया, जिसमें 12 कैमरे और कई सेंसर हैं. जीप में लगे कैमरों, सेंसर और GPS की मदद से जीप में लगे सॉफ्टवेयर को एक विज्युली ईवैल्यूएशन डाटा पहुंचाता है जिससे जीप में लगा सॉफ्टवेयर गाड़ी के आसपास का 3डी मैप बना लेता है और गाड़ी सामने मौजूद दूसरी गाड़ियों या इंसानों का आंकलन कर खुद-ब-खुद आगे चलती रहती है. देखें Video:-


 
संजीव के मुताबिक, 2015 में कंपनी स्टार्ट की और साल 2021 में उन्हें इस प्रोजेक्ट के ट्रायल के लिए 3 मिलियन डॉलर की ग्रांट मिली. अब तक वो करीब 50 हज़ार किलोमीटर तक गाड़ी चलाकर ट्रायल कर चुके हैं. इंजीनियर संजीव का मानना है कि इस साल के अंत तक वो पूरी तरह से इस ट्रायल को पूरा कर लेंगे. 

संजीव के इस स्टार्टअप में देश-विदेश की कई कंपनियां रुचि दिखा रही हैं, तो वहीं जल्द ही वेस्ट सेंट्रल रेलवे भी संजीव के इस प्रोजेक्ट को काम में ले सकता है ताकि रेलवे में सुरक्षा की दृष्टि से इसे लागू किया जा सके.  

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