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बिना ड्राइवर चलेगी गाड़ी! क्या भारत आ रही हैं ड्राइवरलेस कारें? सामने आई टेस्टिंग की तस्वीरें

Driverless Cars in India: हमेशा टेक्नोलॉजी और ग्रीन-एनर्जी जैसे विषयों को सपोर्ट करने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी ड्राइवरलेस कारों की खिलाफत कर चुके हैं. इसी बीच पुणे में एक Toyota RAV4 कार LiDAR सिस्टम के साथ स्पॉट किया गया है, जिसे लेकर संभावना जताई जा रही है कि, सेल्फ-ड्राइविंग कारों की टेस्टिंग हो रही है.

प्रतिकात्मक तस्वीर: Self Driving Car प्रतिकात्मक तस्वीर: Self Driving Car
अश्विन सत्यदेव
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

Self-Driving Cars in india: इंडियन ऑटो सेक्टर तेजी से अपडेट हो रहा है, पेट्रोल-डीजल से आगे बढ़ते हुए CNG, फिर इलेक्ट्रिक तक आ पहुंचा भारतीय कार बाजार अब एक नई तैयारी में जुटता नज़र आ रहा है. जी हां, बहुत अधिक संभावना है कि आने वाले कुछ सालों में आपको सड़क पर बिना ड्राइवर के दौड़ती हुई कारें नज़र आएं. हम बात कर रहे हैं ड्राइवरलेस कारों (Driverless Cars) की. मीडिया रिपोर्ट्स में टोयोटा की एक ऐसी कार की तस्वीर सामने आई है, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये ड्राइवरलेस कारों की टेस्टिंग हो रही है. दिलचस्प ये है कि टेस्टिंग मॉडल पर ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) का स्टीकर भी लगा हुआ है.

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कहां और कैसे हो रही है टेस्टिंग: 

ऑटोमोबाइल वेबसाइट रशलेन ने अपने सोशल मीडिया पेज पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं ये तस्वीरें Toyota RAV4 एसयूवी (अभी भारत में लॉन्च नहीं हुई है) की हैं. बताया जा रहा है कि इस कार के टेस्टिंग मॉडल को पुणे के सड़कों पर स्पॉट किया गया है. इस एसयूवी पर कुछ ऐसे डिवाइसेज लगे हुए देखे गए हैं जिनसे अंदाजा लगाया जा रहा है कि, संभवत: ये सेल्फ-ड्राइविंग कार की टेस्टिंग हो रही है. 

हालांकि Toyota RAV4 को साल 2020 से लेकर अब तक कई बार टेस्टिंग के दौरान देखा गया है, लेकिन एक बार फिर से ये एसयूवी सुर्खियों में है क्योंकि इसके टेस्टिंग मॉडल पर कई LiDAR सेंसर लगे हुए दिखे हैं. आमतौर पर ये LiDAR सेंसर ड्राइवरलेस कारों या ऑटोनॉमस ड्राइविंग वाली कारों की टेस्टिंग के लिए लगाए जाते हैं. 

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जैसा कि टेस्टिंग मॉडल को देखने पर पता चलता है कि, Toyota RAV4 एसयूवी में कुल 4 सेंसर लगे हुए दिखे हैं. जो कि एसयूवी के छत, साइड पैनल्स और पिछले हिस्से में लगे हैं. इनमें से जो LiDAR सेंसर कार की छत पर लगा था वो ज्यादा बड़ा और प्रभावी नज़र आ रहा है. इसके अलावा कार के पिछले विंडशील्ड पर "ऑन टेस्ट बाई ARAI, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया" का स्टीकर भी लगा हुआ पाया गया है. 

क्या है ARAI: 

सबसे पहले तो ये जान लें कि, ARAI क्या है, और ये संस्था क्या करती है? ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) उद्योग मंत्रालय और भारत सरकार के साथ ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की एक सहकारी औद्योगिक अनुसंधान संघ है. इस एसोसिएशन का उद्देश्य इंडस्ट्री के लिए ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में रिसर्च और डेवलपमेंट, प्रोडक्ट डिजाइन और डेवलपमेंट, ऑटोमोटिव डिवाइसेज का मूल्यांकन, मानकीकरण, तकनीकी सूचना सेवाएं, आधुनिक टेक्नोलॉजी के एक्जक्यूशन और उनके प्रयोग सहित विशेष टेस्ट करना है.

फोटो साभार: ARAI

क्या होता है LiDAR?

LiDAR, का का अर्थ, लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग होता है. सामान्य भाषा में समझें तो LiDAR एक रेंजिंग डिवाइस है, जो किसी लक्ष्य की दूरी को मापता है. दूरी को एक छोटी लेजर पल्स भेजकर और बाहर जाने वाली लाइट पल्स और रिफ्लेक्टेड (पीछे बिखरी हुई) लाइट पल्स का पता लगाने के बीच के समय अंतराल को रिकॉर्ड करके मापा जाता है.

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सेंसर बेस्ड ये तकनीक मुख्य रूप से सेल्फ ड्राइविंग कारों की टेस्टिंग के दौरान आसपास की वास्तविक स्थिति और वस्तु इत्यादि का पता लगाने के लिए इस्तेमाल की जाती है. LiDAR दूर की वस्तुओं या ऑब्जेक्ट को ट्रैक करता है और कार में दिए गए मल्टीपल कैमरों के माध्यम से इमेज क्रिएट करता है. 

LiDAR एक ऑप्टिकल तकनीक है जिसे अक्सर ऑटोनॉमस (Autonomous) कारों के लिए दूरी संवेदन (डिस्टेंस सेंसिंग) यानी कि ऑब्जेक्ट की दूरी पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कई वाहन निर्माता कंपनी एक किफायती और कॉम्पैक्ट LiDAR सिस्टम डेवलप करने के लिए काम कर रही हैं. सेल्फ ड्राइविंग या यूं कहें कि ऑटोनॉमस ड्राइविंग कार बनाने वाले लगभग सभी निर्माता LiDAR को एक महत्वपूर्ण तकनीक मानते हैं, और कुछ LiDAR सिस्टम एडवांस ड्राइविंग असिस्ट सिस्टम (ADAS) के लिए पहले से ही उपलब्ध हैं. 

कैसे काम करती है ये तकनीक: 

LiDAR सेंसर आप-पास के वस्तु-स्थिति को ट्रैक करने में अहम भूमिका निभाते हैं. इससे बिना किसी बाधा के कार को आगे बढ़ाने और रास्तों की प्लानिंग करने में मदद मिलती है. LiDAR में, लेज़र लाइट को एक सोर्स (ट्रांसमीटर) से भेजा जाता है और ये ऑब्जेक्ट्स से सीन में रिफ्लेक्ट होता है. रिफ्लेक्टेड लाइट का पता सिस्टम रिसीवर द्वारा लगाया जाता है और इसका उपयोग इमेज के माध्यम से आसपास के वस्तुओं का डिस्टेंस मैप डेवलप करने के लिए किया जाता है.

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सेल्फ ड्राइविंग कारों को लेकर सरकार का रूख:

भारत जैसे देश में ऑटोनॉमस ड्राइविंग या फिर सेल्फ-ड्राइविंग कारों का ऑपरेशन बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. हमेशा टेक्नोलॉजी और ग्रीन-एनर्जी जैसे विषयों को सपोर्ट करने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी ड्राइवरलेस कारों की खिलाफत कर चुके हैं. उन्होनें कई बार खुले मंच से ड्राइवरलेस कारों को भारत में न लाने की बात कही है. हाल ही में IIM नागपुर द्वारा आयोजित 'जीरो माइल' कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, "जब तक मैं मंत्री हूं भारत में बिना ड्राइवर (Driverless) के चलने वाली ऑटोनॉमस कारों को लॉन्च करने की अनुमति नहीं होगी."

नितिन गडकरी ने बिजनेस टुडे के एक सवाल पर कहा था कि, ''मैं कभी भी ड्राइवरलेस कारों को भारत में आने की अनुमति नहीं दूंगा क्योंकि इससे 70 से 80 लाख ड्राइवरों का रोजगार खत्म हो जाएगा और मैं ऐसा नहीं होने दूंगा.''


इस टेस्टिंग का क्या है मतलब: 

ऐसा माना जा रहा है कि, संभवत: ARAI भारतीय परिस्थितियों में ऑटोनॉमस ड्राइविंग में रुचि रखने वाले ग्राहकों के बारे में रिचर्स कर रहा हो. इसके अलावा यह टोयोटा का स्टैंडर्ड टेस्टिंग प्रोटोकॉल भी हो सकता है, जहां वे वैश्विक ऑटोमोटिव बाजारों में ट्रैफ़िक बिहैवियर डेटा एकत्र करते हैं और ARAI जैसे संस्थानों से आउटसोर्स करते हैं. बहरहाल, इस परीक्षण का नतीजा दिलचस्प होगा, खासकर तब जब भारत में सेल्फ ड्राइविंग कारों पर नितिन गडकरी अपना रूख साफ कर चुके हैं. 

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