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'आपकी कार में विस्फोट हो सकता है'! इलेक्ट्रिक गाड़ी होने के नाते नहीं मिली अस्पताल की पार्किंग में जगह

Electric Car Fire: एक व्यक्ति को अस्पताल की कार पार्किंग में इसलिए जगह नहीं मिली क्योंकि उसकी कार इलेक्ट्रिक थी. अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड ने कहा कि, 'कार की बैटरी मेटल कार पार्क के साथ रिएक्ट कर सकती हैं जिससे आग लगने और विस्फोट होने का खतरा है.'

Image credit: Paul Freeman-Powell Image credit: Paul Freeman-Powell
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST

दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कवायद हो रही है. ताकि फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता को कम करने के साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सके. लेकिन हाल ही में एक बेहद ही हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक व्यक्ति अपने बीमार बच्चे को लेकर हॉस्पिटल गया. लेकिन उस व्यक्ति को अस्पताल के कार पार्किंग में सिर्फ इसलिए जगह नहीं मिली क्योंकि उसकी कार इलेक्ट्रिक थी. उक्त व्यक्ति को मौके पर मौजूद हॉस्पिटल के पार्किंग गार्ड ने यह कहकर बाहर का रास्ता दिखा दिया कि, उसकी कार में विस्फोट हो सकता है. 

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क्या है मामला: 

दरअसल, ये मामला इंग्लैंड के लीवरपूल इलाके का है. जहां के रहने वाले पॉल फ्रीमैन-पॉवेल (Paul Freeman-Powell) नाम का शख्स बीते दिनों अपने बीमार बेटे को लेकर एल्डर हे (Alder Hey) अस्पताल गया. जब फ्रीमैन हास्पिटल की कार पार्किंग में अपनी कार लगा रहे थें उस वक्त मौके पर मौजूद गार्ड ने उन्हें कार पार्किंग में जगह देने से इंकार कर दिया. इस बारे में फ्रीमैन ने सोशल नेटवर्किंग साइट 'X' पर अपने अनुभव को साझा करते हुए लिखा है कि, उन्हें गार्ड ने इसलिए कार पार्क करने से मना कर दिया क्योंकि उनकी कार इलेक्ट्रिक थी.

फ्रीमैन ने अपने पोस्ट में लिखा है कि, अस्पताल के सिक्योरिटी गार्ड का कहना है कि "इलेक्ट्रिक वाहनों की पार्किंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कार की बैटरी मेटल कार पार्क के साथ रिएक्ट कर सकती हैं जिससे आग लगने और विस्फोट होने का खतरा है." इसके साथ ही फ्रीमैन ने पार्किंग की कुछ तस्वीरों को भी साझा किया है, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि नोटिस बोर्ड पर लिखा है 'नो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स' (No Electric Vehicles). 

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क्या कहता है अस्पताल: 

ग्लोबल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले में एल्डर हे अस्पताल के मैनेजमेंट का कहना है कि, उन्होनें अपने छोटे कार पार्किंग में से एक हिस्से में अस्थाई रूप से (टेंपरेरी) प्रतिबंध लगाया था. क्योंकि कुछ समय के लिए उस लॉट के स्प्रिंकलर सिस्टम को अपग्रेड किया जा रहा था. एक बयान में अस्पताल ने कहा कि मर्सीसाइड फायर एंड रेस्क्यू की सलाह पर उन्होनें छोटे कार पार्कों में से एक में इलेक्ट्रिक वाहनों की पार्किंग को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया है.

बताया जा रहा है कि, इस अस्पताल के मेन पार्किंग में 14 इलेक्ट्रिक वाहनों को पार्क करने की व्यवस्था है. इतना ही नहीं यहां पर इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की भी सुविधा दी गई है. अब वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन फ्रीमैन द्वारा इस मामले को सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने के बाद यूजर्स तमाम तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

सांकेतिक तस्वीर: 

इलेक्ट्रिक कारों में आग लगने का कितना खतरा:

AutoInsuranceEZ की एक स्टडी की मुताबिक पेट्रोल-डीजल और इलेक्ट्रिक कारों के मुकाबले हाइब्रिड कारों में आग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. अमेरिकी संस्था की इस स्टडी में नेशनल ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बोर्ड द्वारा 2020 से रिकॉल किए गए वाहनों के उपलब्ध कराए गए आंकड़ों पर विश्लेषण किया गया. इस विश्लेषण में बताया गया है कि, प्रति 1 लाख यूनिट्स बेचे गए वाहनों में सबसे ज्यादा हाइब्रिड कारों में आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं. वहीं दूसरे स्थान पर गैसोलिन यानी पेट्रोल और तीसरे स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहन रहे हैं.

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चूंकि अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन अभी तक पुराने पेट्रोल-डीजल वाहनों की उम्र तक नहीं पहुंचे हैं, इसलिए वर्तमान में ऐसा कोई डेटा नहीं है जो यह दर्शाता हो कि पुराने होने के साथ उनमें बैटरी और इलेक्ट्रिक विस्फोट का खतरा अधिक होगा या नहीं. हालाँकि, इलेक्ट्रिक वाहनों में ओवरचार्जिंग और हाई-ट्रेंप्रेचर के कारण बैटरी में आग लगने का खतरा होता है. ऐसे कुछ मामले हाल के दिनों में भारत में भी देखे गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रिक कारों और स्कूटरों में आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं.
 
इसके अलावा स्वीडिश सिविल कंटीजेंसीज़ एजेंसी द्वारा पिछले साल एक अध्ययन में पाया गया कि 2022 में प्रति 1 लाख इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड कारों में तकरी 4 कारों में आग लगी थीं, जबकि सभी प्रकार के फ्यूल वाले प्रति 1 लाख वाहनों में से तकरीबल 68 कारों में आग लगने के मामले सामने आए थें. इसमें कुछ मामलों में आगजनी की भी घटनाएं शामिल हैं.

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