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Chandrayaan 3: चंद्रमा पर इन दिग्ग़ज कार कंपनियों की नज़र! एडवांस मून रोवर्स से चांद को नापने की तैयारी

Chandrayan-3 हर पल चांद के और करीब पहुंच रहा है और यदि सबकुछ ठीक रहा तो आज शाम को भारतीय समयानुसार तकरीबन 5 बजकर 45 मिनट पर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. लेकिन इन सबके बीच कुछ दिग्गज वाहन निर्माता कंपनियां ऐसी भी हैं जो चांद की सतह पर कार दौड़ाने की तैयारी में हैं.

General Motors Lunar Rover Concept- Pic: GM General Motors Lunar Rover Concept- Pic: GM
अश्विन सत्यदेव
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के सफर के साथ दुनिया भर की निगाहें आज भारत और ISRO के हुनरमंदों पर आ टिकी हैं, जहां पहुंचकर उम्मीदों का ये यान चांद के उन हिस्सों और राज को टटोलेगा जो आज तक इंसानी पहुंच से दूर रहा है. चंद्रयान-3 के इस सफर को हमारी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं हैं. स्याह फलक पर चमकता चांद जो कभी कवियों और गजल कहने वालों का सबसे पसंदीदा मज़मून हुआ करता था, अब उस पर कार कंपनियों की भी नज़रें गड़ चुकी हैं. चंद्रमा पर जाना जाहिर तौर पर क्रिप्टोकरेंसी के शौकीनों, शेयर बाजार के खिलाड़ियों और अब कार कंपनियों के लिए किसी रफ्तारी जंग जैसा हो चला है. 

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साल 1969 में अमेरिका द्वारा चांद की सतह पर अपना झंडा लहराने के बाद से पृथ्वी के इस पसंदीदा उपग्रह ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ तेजी से खींचा है. आलम ये है कि, हुंडई, टोयोटा और जनरल मोटर्स जैसे कई दिग्गज प्लेयर्स हैं जो चांद पर लूनर रोवर (Lunar Rover) दौड़ाने की तैयारी में हैं. हाल ही में किआ और हुंडई ने घोषणा की थी कि दोनों कार कंपनियां चांद की सतह पर मोबिलिटी सॉल्यूशन डेवलप करने के लिए 6 कोरियाई अनुसंधान संस्थानों के साथ काम कर रही हैं. वहीं नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) भी लूनर सरफेस साइंस मोबिलिटी स्ट्रेटजी पर काम कर रहा है. 

लैंडिंग से पहले कहां है चंद्रयान-3, Live Tracker में देखें पल-पल की लोकेशन

क्या है NASA का प्लान: 

दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी NASA का कहना है कि, चंद्रमा पर कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां मनुष्य आसानी से नहीं जा सकते हैं ये इलाके अंतरिक्ष यात्रियों की पहुंच को भी सीमित करते हैं. अमेरिका के आर्टेमिस (Artemis) मून मिशन से जुड़ी एजेंसी एक्सप्लोरेशन साइंस स्ट्रेट्जी एंड इंटिग्रेशन ऑफिस (ESSIO) को लेकर नासा का कहना है कि, इस एजेंसी ने चांद पर लंबे समय तक यात्रा करने वाले रोवर्स और अन्य मोबिलिटी असेस्ट्स के अध्ययन को काफी आसान बनाया है. भविष्य में ऐसे मून-रोवर्स को डेवलप करने की तैयारी चल रही है, जो चांद की सतह पर बिना किसी परेशानी के स्वयं (Autonomous) मोड में चल सकेंगे. यहां तक कि ये रोवर्स चांद के उन हिस्सों पर भी दौड़ने में सक्षम होंगे जहां सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती है और बिना झंझट के खुद ही अंधेरे इलाकों में भी नेविगेट कर सकेंगे. 

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जब शुरू हुआ चांद पर रोवर्स का दौर: 

20 जुलाई 1969 से पहले तक चांद अकेला था... कम से कम हम धरती वासियों के लिए तो ये आसमान के ललाट पर चमकता सितारा मात्र था. लेकिन अमेरिका के अपोलो-11 मिशन के दौरान नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन के छोटे इंसानी कदमों ने तो जैसे चांद के कद को ही नाप दिया था. पहली बार ऐसा लगा था कि, विज्ञान के आगे कुछ भी नामुमकिन नहीं है. अपोलो-11 के बाद अमेरिका ने चांद पर कई मिशन भेजें जिनमें कुछ असफल भी हुएं. लेकिन साल 1971 में अपोलो-15 मिशन के दौरान चांद की सतह पर पहली बार मून-रोवर भेजा गया और मिशन के कमांडर 'डेविड रैंडोल्फ स्कॉट' (David Randolph Scott) चांद की सरजमीं पर मून-रोवर चलाने वाले पहले धरती वासी बनें. तकरीबन 52 साल पहले शुरू हुआ लूनर-रोवर्स का ये दौर आज भी बदस्तूर जारी है और समय के साथ और भी एडवांस हो चला है. 

इन कंपनियों की है तैयारी: 

अभी चंद्रमा की सतह पर अमेरिका के तीन मून रोवर (Moon Rover) खड़े हैं. जल्द ही किसी दिन उनकी कतार में कुछ और रोवर्स भी जुड़ जाएंगे. कुछ साल पहले जनरल मोटर्स और लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने घोषणा की थी कि वे "... चंद्रमा की सतह पर अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए नेक्स्ट जेनरेशन के मून व्हीकल्स को डेवलप करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं." यह मनुष्यों को चंद्रमा से वापस लाने के नासा के आर्टेमिस प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसके अलावा हुंडई, टोयोटा, किआ भी इस तेजी से अपने व्यक्तिगत प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं. 

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General Motors Lunar Rover: 

जनरल मोटर्स को मून रोवर्स के निर्माण का पुराना अनुभव है, कंपनी ने चांद के सतह पर भेजे गए पहले मून रोवर को बोइंग के साथ साझेदारी में डिज़ाइन किया था. जिनका इस्तेमाल 70 के दशक की शुरुआत में अपोलो अंतरिक्ष कार्यक्रम के दौरान किया गया था. अब डेट्रॉइट स्थित कार निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ साझेदारी में बनाए गए एक नए रोवर - या लूनर मोबिलिटी व्हीकल (LMV) के साथ चंद्रमा की सतह पर दौड़ने की तैयारी में है. आगामी आर्टेमिस मिशन के लिए दोनों कंपनियों ने मिलकर एक प्रोटोटाइप डिजाइन किया है. 

अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ले जाने के लिए ज्यादा पावरफुल बैटरी के साथ डिजाइन किया गया है, जहां का इलाका सूर्य की रोशनी न पहुंच पाने के कारण अंधेरों से भरा हुआ अधिक कठिन और ठंडा है. यह एक ऑटोनॉमस (स्वयं चलने वाला) वाहन होगा. कुल मिलाकर, इसका उद्देश्य चंद्रमा पर अधिक व्यापक और दीर्घकालिक रिचर्स को सुविधाजनक बनाना है.

Hyundai TIGER X-1: 

साउथ कोरियन कार निर्माता कंपनी हुंडई ने हाल ही में एक रोबोट कार कॉन्सेप्ट को पेश किया था, जो कि धरती के अलावा दूसरे ग्रहों के सतह पर भी आसानी से दौड़ने में सक्षम होगा. हुंडई की पहली अनक्रूड अल्टीमेट मोबिलिटी व्हीकल (UMV) कॉन्सेप्ट को कंपनी ने टाइगर एक्स-1 नाम दिया है. टाइगर का उद्देश्य दूरस्थ और दुर्गम इलाकों में पेलोड ले जाना है और इसे चार-पहिया ड्राइव वाहन या चार-पैरों  पर चलने वाली मशीन के रूप में ऑपरेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस वाहन को हुंडई मोटर ग्रुप के न्यू होराइजन्स स्टूडियो द्वारा ऑटोडेस्क और सुंदरबर्ग-फेरार के साथ साझेदारी में विकसित किया जा रहा है. 

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हालांकि, इस रोबोट कार के डिज़ाइन में यात्रियों के लिए जगह नहीं दी गई है, लेकिन यह इसे वहां जाने में सक्षम बना सकता है जहां पहले कोई आदमी (या वाहन) नहीं गया है. चांद की सतह पर उन दक्षिणी ध्रुव के इलाकों की पड़ताल के लिए इसे बेहद मुफीद माना जा रहा है. बिना किसी चालक के चलने वाली इस मशीन में एक मॉड्यूलर आर्किटेक्चर, मजबूत धातु से बने पैर, 360-डिग्री ट्रैक्शन कंट्रोल जैसे फीचर्स दिए गए हैं.

जो कि दूसरे ग्रहों पर उबड़-खाबड़ या खराब रास्तों पर भी आसानी से दौड़ने में सक्षम होगा. ये चांद के गढ्ढों में से भी आसानी से निकल सकेगा. बता दें कि, चांद की सतह पर गड्ढों की संख्या तकरीबन 14 लाख से ज्यादा है. चंद्रमा पर सबसे बड़ा गड्ढा दक्षिणी ध्रुव के पास है. इसे पार करने के लिए आपको इसके अंदर करीब 290 किलोमीटर चलना पड़ेगा.

Toyota Lunar Cruiser: 

साल 2019 में, टोयोटा और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने हाइड्रोजन से चलने वाले एक मून रोवर (Moon Rover) को डेवलप करने की घोषणा की थी. अब दुनिया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा एक ऐसे ही मून-रोवर को तैयार कर रही है, जिसे "लूनर क्रूजर" (Lunar Cruiser) नाम दिया गया है. टोयोटा ने इस रोवर के लिए जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ साझेदारी की है.

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टोयोटा एक ऐसे मून रोवर को तैयार कर रहा है जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को अंदर अंतरिक्ष सूट पहनने की आवश्यकता नहीं होगी. इसमें लगभग 460 क्यूबिक फीट रहने की जगह होगी - यह आपातकालीन स्थिति में चार लोगों के लिए पर्याप्त होगा, लेकिन आइडियली इसमें दो लोगों के लिए जगह दी जाएगी. इस रोवर का उपयोग चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए किया जाएगा, मुख्य रूप से यह देखने के लिए कि क्या अंतरिक्ष यात्री जमे हुए पानी और अन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं. इस रोवर का वजन तकरीबन 10 टन तक होने की उम्मीद है. साथ ही इसे इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि, ये चंद्रमा पर धूल भरे वातावरण और अत्यधिक तापमान का भी आसानी से सामना कर सके.

SpaceX Flex Moon Rover: 

मशहूर अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) ने हाल ही में घोषणा की थी कि, वो 2026 तक पहले प्राइवेट मून रोवर को लॉन्च करेगा. कैलिफोर्निया बेस्ड एस्ट्रोलैब ने चंद्रमा पर आगामी स्टारशिप मिशन पर अपने फ्लेक्सिबल लॉजिस्टिक्स एंड एक्सप्लोरेशन (FLEX) रोवर को लॉन्च करने के लिए स्पेसएक्स के साथ एक समझौता किया है. एस्ट्रोलैब ने एजेंसी के लूनर टेरेन व्हीकल (LTV) को नासा के स्पेसिफिकेशन के आधार पर तैयार किया है, और कंपनी को उम्मीद है कि आर्टेमिस मिशन के तहत Flex को भी शामिल किया जाएगा. 

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बताया जा रहा है कि, जब ये आएगा तो Flex चंद्रमा की सतह पर घूमने वाला अब तक का सबसे बड़ा और सबसे बेहतरीन मून रोवर होगा. इसके प्रोटोटाइप की जो तस्वीरें पेश की गई हैं उन्हें देखने पर पता चलता है कि, यह एक चार-दरवाजे वाली कार से थोड़ी छोटी होगी और कार्गो लोड के साथ इसका वजन दो टन से अधिक होगा. यह दो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने में सक्षम होगा, जो ऑनबोर्ड पैनल का उपयोग करके वाहन चला सकते हैं. फ्लेक्स को किसी व्यक्तिगत ऑपरेटर की अनुपस्थिति में दूर से भी कंट्रोल करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और यह एक रोबोटिक हैंड से लैस है. 

बोनस इंफॉर्मेशन: 

सबसे आखिरी में कुछ बोनस इंफो, अपोलो-15 मिशन के दौरान चांद की सतह पर दौड़ने वाले सबसे पहले लूनर रोविंग व्हीकल (LRV) को बोइंग (Boeing) ने तैयार किया था. इस रोवर को "मून बग्गी" (Moon Buggy) के नाम से भी जाना जाता है. लूनर रोविंग व्हीकल का उपयोग करते हुए, अपोलो-15 के अंतरिक्ष यात्रियों ने तीन अलग-अलग ट्रेक पर लगभग 28 किलोमीटर की दूरी तय की थी. चांद की सतह पर उतारते समय इसका वजन 209 किलोग्राम था और दो अंतरिक्ष यात्रियों और उनके उपकरणों को ले जाते समय इसका वजन 700 किलोग्राम था.
 

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