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दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मशहूर अमेरिका की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla) आए दिन चर्चा में रहती है. कभी अपने एडवांस फीचर्स वाली कारों के चलते तो कभी ऑटोनॉमस ड्राइविंग सिस्टम में आने वाली तकनीकी खराबियों को लेकर. हालांकि आज हम आपको इस ब्रांड के किसी मॉडल की नहीं बल्कि इसके नाम के पीछे की कहानी को लेकर आए हैं, आखिर किस तरह इलेक्ट्रिक वाहनों का पर्याय बनी टेल्सा को ये नाम मिला.
साल 2003 में इलेक्ट्रिक व्हीकल स्पेस में एंट्री करने के बाद समय के साथ टेस्ला अब एक बड़ा नाम बन चुकी है. हालांकि बाजार में कई दिग्गज कंपनियां हैं, जो कि इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण करती हैं, लेकिन Tesla अपने एडवांस फीचर्स वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के चलते एक अलग मुकाम बना चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि 'टेस्ला' ब्रांड नेम का अधिकार पहले से कंपनी के पास नहीं था, बल्कि इसे किसी और से खरीदा गया था.
एलन मस्क ने एक साक्षात्कार के दौरान इस बात की पुष्टी की थी कि, किस तरह उन्हें इस नाम के अधिकार को प्राप्त करने के लिए इसे किसी और से खरीदना पड़ा था. टेक इम्पल्स के एक यूट्यूब शॉर्ट ने मस्क को टेस्ला मोटर्स के नाम के बारे में बात करते हुए दिखाया गया है. जिसमें मस्क बताते हैं कि, यह नाम किसी अन्य स्रोत से आया है, और उनके पास भी इस नाम का अधिकार (राइट्स) नहीं था.
आखिरकार मस्क को नाम कैसे बेचा गया, इसकी कहानी दिलचस्प है. इस शॉर्ट वीडियो में मस्क बताते हैं कि, वे टेस्ला नाम के साथ नहीं आए थे, न ही उनके पास यह नाम था. वास्तव में, यह नाम पहले से ही मौजूद था, और इसका अधिकार मूल रूप से सैक्रामेंटो के एक लड़के के पास था, जो कि पहले से ही इसका मालिक था. मस्क को ये नाम काफी पसंद था और वो इस नाम को अपने ब्रांड के लिए इस्तेमाल करने के लिए दृढ़ थें। इस नाम को खरीदने के लिए उन्होंने शुरू में 75,000 डॉलर की पेशकश की थी, लेकिन सैक्रामेंटो का लड़का उस नाम को बेचना ही नहीं चाहता था.
कंपनी के सबसे अच्छे व्यक्ति को नाम खरीदने भेजा:
मस्क इस वीडियो में बताते हैं कि, उन्होनें उस लड़के से नाम प्राप्त करने के लिए एक रणनीति बनाई और कंपनी के सबसे अच्छे, सबसे प्यारे और बेहतर व्यक्ति को उस लड़के के पास भेजा ताकि इस नाम के राइट्स को खरीदा जा सके. वो बताते हैं कि कंपनी के कर्मचारी को निर्देशित किया गया था कि, वो उस लड़के के दरवाजे पर तब तक बैठा रहे जब तक कि वो नाम बेचने के लिए राज़ी न हो जाए. वीडियो में देखा जा सकता है कि, मस्क उक्त व्यक्ति को 'नाइसेस्ट पर्सन' कह कर संबोधित करते हैं, जिसके बारे में वो बताते हैं कि उससे नाराज होना असंभव है.
आखिरकार, मस्क का फैसला सही साबित हुआ और अंत में सैक्रामेंटो के उस लड़के ने 'Tesla' नाम बेचने का फैसला किया. इसका मतलब था कि अब मस्क टेस्ला नाम का इस्तेमाल कर सकते थें.
मस्क को आखिर क्यों पसंद था ये नाम:
टेस्ला मोटर्स, जिसे अब टेस्ला इंक कहा जाता है, को पहली बार साल 2003 में स्थापति किया गया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कंपनी के लिए ये नाम इतना महत्वपूर्ण क्यों है. दरअसल, मस्क के इस ब्रांड का नाम एक सर्बियाई-अमेरिकी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर निकोला टेस्ला (Nikola Tesla) के नाम पर रखा गया है, जिसे अल्टरनेटिंग करंट (AC) इलेक्ट्रिक सप्लाई सिस्टम के डिजाइन में योगदान के लिए जाना जाता है.
आपको बता दें कि, टेस्ला मोटर्स का गठन इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार बनाने के लिए किया गया था. एबरहार्ड टेस्ला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) थें और तारपेनिंग इसके मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) थें। कंपनी के लिए धन विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किया गया था, विशेष रूप से PayPal के तत्कालीन सह-संस्थापक एलन मस्क, जिन्होंने इस बिजनेस में 6.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया और वो कंपनी में सबसे बड़े शेयर होल्डर बन गएं. साल 2008 तक वो कंपनी के सीईओ के रूप में कार्यरत रहें.
मस्क का बढ़ता कद और कंपनी की बदलती तस्वीर:
एलन मस्क ने कंपनी के भीतर एक सक्रिय भूमिका निभाई और रोडस्टर इलेक्ट्रिक कार के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने की तैयारी करने लगें. कंपनी की रणनीति थी कि, शुरुआत में एक प्रीमियम स्पोर्ट्स कार को पेश किया जाएगा, बाद में सेडान और सस्ती कॉम्पैक्ट सहित ज्यादा डिमांड वाली कारों पर फोकस किया जाएगा. अब कंपनी में मस्क का कद तेजी से बढ़ रहा था और लगातार निवेश करने में लगे थें. टेस्ला की पहली कार, रोडस्टर को आधिकारिक तौर पर 19 जुलाई, 2006 को सांता मोनिका, कैलिफ़ोर्निया में, सांता मोनिका हवाई अड्डे पर बार्कर हैंगर में आयोजित एक कार्यक्रम के तहत पेश किया गया, इस इवेंट में केवल 350 लोगों को ही आमंत्रित किया गया था.
अगस्त 2007 में, एबरहार्ड को एलोन मस्क के नेतृत्व वाले बोर्ड द्वारा सीईओ के पद से हटने के लिए कहा गया. जनवरी 2008 में अंततः कंपनी छोड़ने से पहले एबरहार्ड को "प्रेसिडेंट ऑफ टेक्नोलॉजी" की उपाधि दी गई. सह-संस्थापक मार्क तारपेनिंग, जिन्होंने कंपनी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था, उन्होनें ने भी जनवरी 2008 में कंपनी छोड़ दी. अगस्त 2007 में, माइकल मार्क्स को अंतरिम सीईओ के रूप में लाया गया, और दिसंबर 2007 में, ज़ीव ड्रोरी सीईओ और अध्यक्ष बने. अक्टूबर 2008 में ड्रोरी के बाद एलन मस्क सीईओ बने. महज दो सालों के भीतर कंपनी में एक बड़ा बदलाव देखा गया और जून 2009 में, एबरहार्ड ने कथित रूप से उन्हें बाहर करने के लिए मस्क के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया था.
लॉन्च हुई Tesla की पहली कार:
बहरहाल, टेस्ला ने साल 2008 में रोडस्टर का उत्पादन शुरू किया, और जनवरी 2009 में कंपनी ने पहली खेप में 147 कारों की डिलीवरी शुरू की. समय के साथ इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में कंपनी का नाम और कद बढ़ता गया और बाद में मॉडल थ्री, मॉडल एक्स, मॉडल वाई और मॉडल एस सहित कई इलेक्ट्रिक कारों को पेश किया गया. फरवरी 2017 में, टेस्ला मोटर्स ने अपने विस्तारित व्यवसाय के दायरे को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए अपना नाम बदलकर टेस्ला, इंक कर दिया, जिसमें अब इलेक्ट्रिक व्हीकल, बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम और सोलर पॉवर जेनरेशन जैसे व्यवसाय शामिल हैं.