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First Electric car: जापान ने 80 साल पहले बना दी थी टेस्ला के टक्कर की इलेक्ट्रिक कार

First electric car of the world: दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक कार 1890 में तैयार की गई थी. इसका श्रेय जाता है विलियम मॉरिसन को. उन्होंने इलेक्ट्रिक कारों के लिए सबसे जरूरी चीज बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक मोटर को डेवलप किया. बाद में पोर्श कंपनी ने 1898 में पी1 नाम से अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की.

1947 में बनी थी ये कार 1947 में बनी थी ये कार
सुभाष कुमार सुमन
  • नई दिल्ली,
  • 24 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:46 AM IST
  • 100 साल से भी पुराना है इलेक्ट्रिक कारों का इतिहास
  • 2010 में बनी थी पहली आधुनिक इलेक्ट्रिक कार

जापान को दुनियाभर में इनोवेशन के लिए जाना जाता है. पिछले कुछ साल के दौरान इलेक्ट्रिक कारों (Electric Car) की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जापान (Japan) ने करीब 80 साल पहले ऐसी इलेक्ट्रिक कार बना दी थी, जो टेस्ला (Tesla) की कारों को टक्कर दे सकती थी. हालांकि इलेक्ट्रिक कारों के इतिहास (EV History) की बात करें तो यह 100 साल से ज्यादा पुराना है.

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130 साल पुराना है इलेक्ट्रिक कारों का इतिहास

दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक कार 1890 में तैयार की गई थी. इसका श्रेय जाता है विलियम मॉरिसन को. उन्होंने इलेक्ट्रिक कारों के लिए सबसे जरूरी चीज बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक मोटर को डेवलप किया. बाद में पोर्श कंपनी ने 1898 में पी1 नाम से अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च की. इन कारों को लोगों ने हाथों-हाथ लिया. इन कारों से शोर या धुआं नहीं होता था. 20वीं सदी की शुरुआत में सिर्फ न्यूयॉर्क शहर की सड़कों पर 60 से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें टैक्सी सर्विस में लगी हुई थीं.

1947 में बनी थी टेस्ला के टक्कर की कार

जापान की इस इलेक्ट्रिक कार का जिक्र न हो तो इतिहास अधूरा रह जाएगा. जापान की कार कंपनी तोक्यो इलेक्ट्रो ऑटोमोबाइल कंपनी ने तामा (TAMA Electric Car) नाम से एक इलेक्ट्रिक कार तैयार की थी. कंपनी ने इस कार में ताचिकावा एयरक्राफ्ट की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. इस इलेक्ट्रिक कार को पहली बार 1947 में बाजार में उतारा गया. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जापान में इंडस्ट्री बर्बाद हो गई थी और वहां बिजली के मामले में सरप्लस की स्थिति बन गई थी. इस कारण जापान की तत्कालीन सरकार बिजली से जुड़े इनोवेशन पर कंपनियों को इन्सेन्टिव दे रही थी. तोक्यो इलेक्ट्रिक ऑटो कंपनी के बनने में सरकार की इसी मदद का योगदान था.

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200 किलोमीटर तक की थी रेंज

तामा इलेक्ट्रिक कार की खासियत इसे फीचर थे. इन इलेक्ट्रिक कारों में आधुनिक जमाने की कारों को टक्कर देने वाले फीचर्स थे. पहली टेस्टिंग में तामा इलेक्ट्रिक कार ने 96 किलोमीटर का रेंज दिया और इसकी टॉप स्पीड 35 किलोमीटर प्रति घंटे रही. बाद में कई सुधार के बाद ये कार एक बार चार्ज करने पर 200 किलोमीटर तक का रेंज और 50 किलोमीटर प्रति घंटे तक की टॉप स्पीड देने लगी. कंपनी ने इसका पिकअप वेरिएंट भी लॉन्च किया था.

आधुनिक जमाने की कारों को देखें तो टेस्ला की बेसिक इलेक्ट्रिक कार मॉडल3 एक बार चार्ज करने पर 400 किलोमीटर के आस-पास का रेंज देती है. इसकी टॉप स्पीड 225 किलोमीटर प्रति घंटे तक की है. भारत में उपलब्ध कारों को देखें तो टाटा नेक्सन ईवी एक बार चार्ज करने पर 300 किलोमीटर का रेंज देती है और इसकी टॉप स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे है.

कुछ ही साल हो पाया इस्तेमाल

तामा की इलेक्ट्रिक कारों में लीड एसिड बैटरी का इस्तेमाल किया गया था, जबकि अभी के समय में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है. तामा कंपनी ने कार के दोनों साइड में स्लाइड होने वाला स्पेस दिया था, जिससे बैटरी स्वैप करने में दिक्कत नहीं होती थी. पहले तामा का दो सीटर वैरिएंट लांच किया गया था. बाद में कंपनी ने 4 सीटर सेडान वैरिएंट भी पेश किया था, जिसे E4S-47 I कोडनेम दिया गया था. साल 1951 तक यह कार जापान में टैक्सी सेवाओं में बड़े स्तर पर इस्तेमाल हुई.

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स्वैपेबल बैटरी (Photo: Nissan)

पहली आधुनिक इलेक्ट्रिक कार में भी जापान का योगदान

तोक्यो इलेक्ट्रो ऑटोमोबाइल कंपनी का नाम बाद में बदलकर प्रिंस मोटर्स हो गया. निसान ने 1966 में प्रिंस मोटर्स का अधिग्रहण कर लिया. निसान ने ही 2010 में पहली आधुनिक इलेक्ट्रिक कार निसान लीफ तैयार की. कंपनी ने लीफ के साथ ही तामा को भी रिस्टोर किया. अभी रिस्टोर तामा इलेक्ट्रिक कार का एक मॉडल निसान के दफ्तर में शोकेस में रखा हुआ है.

 

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