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कल्याणी से लेकर मार्क्समैन तक... चीन-पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने का दम रखते हैं भारत के ये 'युद्धवीर'

Indian Army Vehicles: भारतीय सेना में इस समय एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक तकनीक से लैस बख्तरबंद (Armoured Vehicle) वाहन है, जो अपने जबरदस्त सेफ्टी और हर तरह के रास्तों पर आसानी से दौड़ने के लिए जाने जाते हैं.

सांकेतिक तस्वीर: Pic- Tata Motors सांकेतिक तस्वीर: Pic- Tata Motors
अश्विन सत्यदेव
  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:14 PM IST

देश आज 74वां गणतंत्र दिवस माना रहा है. 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया और तब से इस दिन को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के तौर पर मनाया जाता है. समय के साथ देश के सीमाओं की सुरक्षा में तैनात इंडियन आर्मी का स्वरूप तो बदला ही, साथ आर्मी व्हीकल्स भी अत्याधुनिक होते गएं. पुराने दौर में निसान जोंगा (Nissan Jonga) जैसे वाहन भारतीय सेना की सेवा में थें लेकिन अब ये दारोमदार कल्यानी एम4 (Kalyani M4) और मार्क्समैन (Marksman) जैसे युद्धवीरों के कंधों पर आ टिकी है. भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे चुनिंदा आर्मी व्हीकल्स के बारे में बताएंगे, जिससे विरोधियों के भी पसीने छूट जाते हैं. आज हम आपको इस लेख में उन वाहनों के बारे में भी बताएंगे, जिन्होनें इंडियन आर्मी में अपनी सेवा दी और रिटायर हो गएं. 

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Nissan Jonga: 

सबसे पहले बात करते हैं उन वाहनों की जिन्होनें इंडियन आर्मी में अपनी सर्विस दी और अब रिटायर हो चुके हैं. बात शुरू होती है निसान जोंगा से, Jonga वास्तव में द्वितीय विश्व युद्ध के समय की आर्मी व्हीकल है. युद्ध के बाद जापान तबाह हो गया था, इसलिए, देश ने एक ऐसा वाहन खरीदने का फैसला किया जिसका इस्तेमाल सेना, अग्निशमन विभाग और स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया जा सके. जिसके बाद निसान ने 4W60 की फस्ट जेनरेशन मॉडल को तैयार किया, जिसे Patrol नाम दिया गया. आगे चलकर निसान ने इसे विश्व स्तर पर बेचना शुरू किया. 

Nissan Jonga - Pic: Wiki

60 के दशक में भारतीय सेना द्वारा महिंद्रा जीप जैसे मॉडल इस्तेमाल किए जाते थें, लेकिन उस दौर में जोंगा को भी इंडियन आर्मी में शामिल किया गया. ये एक मिड-साइज ऑफ रोड व्हीकल थी, जो कि साल 1969 से लेकर 1999 तक सेवा में रही. Jonga का नाम सुनकर आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि, भला ये कैसा नाम है लेकिन इसके नाम के पीछे का किस्सा भी बेहद दिलचस्प है. दरअसल, ये जबलपुर ऑर्डनेंस एंड गन-कैरिज असेंबली (Jabalpur Ordnance ANd Gun-carriage Assembly.) का एक संक्षिप्त नाम है, यह वह फेसिलिटी थी जहाँ सेना के लिए इस मजबूत ऑल व्हील ड्राइव (4X4) वाहनों का उत्पादन किया जाता था. 

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4.0 लीटर, 6 सिलिंडर इन-लाइन पेट्रोल इंजन से लैस Jonga की ख़ास बात ये थी कि इसमें 222एमएम का ग्राउंड क्लीयरेंस दिया गया था और ये भारी से भारी वजन को उठाकर हर तरह के रास्तों पर आसानी से दौड़ सकता था. ये इंजन 145hp की पावर और 330Nm का टॉर्क जेनरेट करता था और इसे 3-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन गियरबॉक्स को जोड़ा गया था. साल 1969 में जोंगा का पहला मॉडल तैयार किया गया बाद में साल 1996 में जोंगा को आम नागरिकों (Civilian Variant) भी पेश किया, प्रोडक्शन बंद होने तक तकरीबन 100 यूनिट्स को आम ग्राहकों को बेचा गया था. भारतीय सेना जोंगा का इस्तेमाल मुख्य रूप से एक एम्बुलेंस, गश्ती वाहन, बंदूक वाहक और सेना के जवानों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए करती थी. 

Maruti Gypsy- Pic: Wiki

Maruti Suzuki Gypsy: 

मारुति सुजुकी की ऑल व्हील ड्राइव जिप्सी को पहली बार कंपनी ने आम नागरिकों (सिविलियन) के लिए ही साल 1985 में लॉन्च किया था. कंपनी इसका प्रोडक्शन गुरुग्राम स्थित प्लांट में करती थी. अपने ख़ास ऑफ रोडिंग खूबियों के चलते ये SUV खूब लोकप्रिय हुई और आज भी इसका क्रेज युवाओं के बीच बना हुआ है. दरअसल, ये  Suzuki Jimny SJ40 का ही लांग व्हीलबेस वर्जन था. 

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साल 1991 में इंडियन ऑर्मी ने पहली बार मारुति सुजुकी को जिप्सी मॉडलों का ऑर्डर दिया. भारतीय सेना में शामिल किए जाने के बाद ये एसयूवी और भी ज्यादा मशहूर हुई. पहले 1.0 लीटर और बाद में 1.3 लीटर पेट्रोल इंजन के साथ पेश की गई इस एसयूवी में 4-स्पीड और 5-स्पीड मैनुअल ट्रांसमिशन गियरबॉक्स दिया गया था. तकरीबन 15 साल तक इंडियन आर्मी में सर्विस के बाद अब इसे डिस्कंटीन्यू कर दिया गया है.  

वो व्हीकल जो सेवा में हैं: 

Mahindra ALSV - Pic: Mahindra Armored

Mahindra ALSV:

महिंद्रा आर्मर्ड लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल (ALSV) एक लाइटवेट आर्मर्ड व्हीकल है जिसे ख़ास तौर पर मिलिट्री के इस्तेमाल के लिए बनाया गया है. इसकी ख़ास बात ये है कि इसका मॉड्यूलर डिज़ाइन इसे हर तरह के रास्तों पर सरपट दौड़ने में मदद करता है. इसके अलावा इसे अलग-अलग कामों के लिए कॉन्फ़िगर किया जा सकता है. ये बैलिस्टिक सुरक्षा तो प्रदान करता ही है साथ ही इंडियन आर्मी के लिए विशिष्ट सुविधाओं के साथ आता है. 

इसमें एक गन हैच, रन-फ्लैट सिस्टम (फ़ाइनेबल 50km के अनुसार), टायर इन्फ्लेशन सिस्टम, एयर फिल्ट्रेशन, और स्कैवेंजिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं दी गई है. इस व्हीकल में 3.2 लीटर की क्षमता का 6-सिलेंडर टर्बो डीजल इंजन इस्तेमाल किया गया है जो कि 215bhp की पीक पावर और 500Nm का टार्क जेनरेट करता है. इसमें 6-8 लोगों के बैठने की क्षमता है. इसकी पेलोड कैपिसिटी 1000 किलोग्राम है और इसका कुल वजन 2,500 किलोग्राम है. 

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Kalyani M4- Pic: Wiki

Kalyani M4:

भारतीय सेना में हाल ही में कल्याणी एम4 को शामिल किया गया है, इसे लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के दौरान सेना ने वाहन के लिए ऑर्डर दिया था. Kalyani M4 भारत में निर्मित एक आर्मड (बख्तरबंद) वाहन है जिसे कल्याणी समूह की पुणे स्थित रक्षा कंपनी भारत फोर्ज द्वारा बनाया गया है. कंपनी को कल्याणी एम4 वाहनों की आपूर्ति के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय से 177.95 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है. 

कल्याणी एम4 को भारतीय सेना की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए तैयार किया गया है. ये वाहन उबड़-खाबड़ इलाकों में बेहद ही तेज गति से निकल सकती है साथ लैंड माइनिंग, 50khs तक टीएनटी या आईईडी ब्लास्ट को भी झेल सकती है. इसकी टॉप स्पीड लगभग 140 किमी प्रति घंटा है और ये 2.3 टन तक का भार उठाने में सक्षम है. 

कल्याणी एम4 को मुख्य रूप से एक्स्ट्रैक्शन और जवानों को बेहतर सुरक्षा देने के लिए तैयार किया गया है. इसमें 8 लोगों के बैठने की व्यवस्था दी गई है, और सभी आर्मर के साथ, M4 का वज़न लगभग 16,000 किलोग्राम है. इसमें 43-डिग्री एप्रोच और 44-डिग्री डिपार्चर एंगल है, और ये 900 मिमी तक पानी की गहराई में भी उतर सकता है, जो इसे कठिन इलाकों या नदियों को पार करने में मदद करता है. 

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Mahindra MPV-I Pic: Mahindra Armored

Mahindra MPV-I: 

ये महिंद्रा द्वारा तैयार किया गया माइन-प्रोटेक्टेड व्हीकल-I (MPV-I) एक स्पेशलिस्ट ऑफ-रोड व्हीकल है जो कि माइन-रेसिस्टेंट एम्बुश प्रोटेक्टेड (MRAP) टाइप आर्मर्ड पर्सनेल कैरियर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. 6 पहियों वाले इस वाहन में 230hp की क्षमता का डीजल इंजन इस्तेमाल किया गया है. ख़ास बात ये है कि ये भी ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम से लैस है यानी कि इसके सभी पहियों में इंजन पावर देता है, जो कि खराब से खराब रास्तों पर भी इसे दौड़ने में मदद करता है. 

यह वाहन बैलिस्टिक और माइन प्रोटेक्शन तकनीक से लैस है, ये वाहन CEN लेवल B6 की साइड सुरक्षा तो प्रदान करता ही है साथ ही स्टैंग लेवल 4A तक ब्लास्टिक सेफ्टी भी देता है. इसका मतलब है कि यह वाहन 90 डिग्री पर 10 मीटर की दूरी से 7.62X51mm, 5.56mm, और 7.62mm साइज के एमिनेशन बॉल का सीधा सामना कर सकता है. भारी गोलीबारी, बम ब्लास्ट या माइन ब्लास्ट हर तरह के हमले को ये वाहन आसानी से झेल सकता है. 

Mahindra Marksman- Pic: Mahindra Armored

Mahindra Marksman:

Mahindra Marksman एक लाइटवेट आर्मड (बख्तरबंद) कैरियर व्हीकल है जिसमें 6 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. इस वाहन को कंपनी द्वारा काफी मजबूत बनाया गया है और ये 7.62 मिमी गोला बारूद और 2X डीएम 51 ग्रेनेड से सुरक्षा प्रदान करता है. यहां तक कि दो डीएम 51 हथगोले के विस्फोट को भी मार्क्समैन आसानी से झेल सकता है. सेफ्टी के अलावा, Mahindra Marksman में एक कपोला बुर्ज मशीन गन भी दिया गया है जो 270-डिग्री में फायर कर सकता है.

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आमतौर पर सेना इसका इस्तेमाल जवानों को आपात स्थिति में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए करती है. जहां तक इंजन की बात है तो इसमें 2.2-लीटर mHawk डीजल इंजन का इस्तेमाल किया गया है, जो 120bhp की पावर और 280Nm का अधिकतम टॉर्क जेनरेट करता है. ऑल व्हील ड्राइव सिस्टम से लैस मार्क्समैन को 5-स्पीड मैन्युअल ट्रांसमिशन से जोड़ा गया है. 
 

Tata Safari GS800- Pic: Tata Motors

 Tata Safari GS800: 

जिप्सी के रिस्पलेमेंट के तौर पर इंडियन आर्मी नए वाहनों की तलाश शुरू कर दी थी. 2017 में, इंडियन आर्मी ने टाटा मोटर्स के साथ 3,000 से अधिक सफारी स्टॉर्म एसयूवी की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए, और तब से टाटा सफारी सेना और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा परिवहन के लिए इसका उपयोग किया जाता है. SUV को GS800 के तौर पर कैटेगराइज किया गया है, इसमें GS जनरल सर्विस को और 800 इसके पेलोड क्षमता को दर्शाता है. 

सफारी के आर्मी वर्जन को ख़ास तौर पर सेना के उपयोग और जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. कंपनी का कहना है कि ये स्टैंडर्ड मॉडल के मुकाबले इसका इंजन तकरीबन 70% ज्यादा पावर और 200% ज्यादा टॉर्क जेनरेट करता है. टाटा ने इसके स्टैंडर्ड मॉडल को इस तरह से मॉडिफाई किया है ताकि ये ऊंचाई वाले ड्राइव, बर्फीले क्षेत्रों को पार करने, दलदली भूमि के रेगिस्तान को पार करने से लेकर गंभीर रूप से ऊबड़-खाबड़ खराब रास्तों पर भी दौड़ सके. 
 

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