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कार चोरी की घटनाएं तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन क्या कभी साइलेंसर चोरी की वारदात ने आपको चिंता में डाला है? हाल के दिनों में देश के कई राज्यों में साइलेंसर चोरी करने की घटनाओं ने पुलिस सहित वाहन मालिकों के माथे पर बल ला दिया है. यानी चोरो की नज़र अब कार पर नहीं बल्कि मामूली समझे जाने वाले साइलेंसर पर आ टिकी है. और साइलेंसर भी हर गाड़ी का नहीं बल्कि Maruti की एक ख़ास कार चोरों का सॉफ्ट टॉर्गेट बनी है. मिनटों में लाखों का खेल हो रहा है और चोर बड़े ही आसानी से ऐसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. लखनऊ, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद जैसे कई बड़े शहरों में इस तरह के गैंग एक्टिव हैं जो पलक झपकते ही कार का साइलेंसर गायब कर दे रहे हैं.
Maruti की इस कार पर चोरो की नज़र:
मारुति सुजुकी की सबसे किफायती वैन Maruti Eeco इस समय चोरो की सॉफ्ट टार्गेट बनी हुई है. इस मामले में एडिश्नल एसपी, दक्षिण लखनऊ मनीषा सिंह ने बताया कि, मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में कुछ महीनों पहले एक ऐसे ही गैंग को धरा गया था जो कार के साइलेंसर चोरी की वारदात को अंजाम दे रहे थें. उन्होनें बताया कि, ये चोर बेहद ही कम समय में कार के साइलेंसर को निकाल लेते थें और इसमें पाए जाने वाले डस्ट में महंगे तत्वों को ब्लैक मार्केट में बेचते थें.
उन्होनें बताया कि, इस वारदात की तरफ पुलिस का ध्यान इसलिए गया क्योंकि ज्यादातर मामलों में मारुति सुजुकी इको गाड़ी के ही साइलेंसर के चोरी होने की सूचना मिल रही थी. मनीषा सिंह का कहना है कि, इस मामले में जो आरोपी शामिल थें वो साइलेंसर से निकलने वाले डस्ट भारी मात्रा में एकत्र कर के दिल्ली में किसी व्यापारी को बेचते थें.
मिनटों में होता है लाखों का खेल:
शिवा मोटर्स गाजियाबाद के महेश सिंह का कहना है कि, "Maruti Eeco के साइलेंसर को खोलना चोरों के लिए काफी आसान होता है, क्योंकि ये साइलेंसर केवल दो बोल्ट पर ही टिका होता है." महेश ये भी बताते हैं कि, "साइलेंसर चोरी की घटनाओं में ज्यादातर वही लोग शामिल होते हैं जो पेशे से मैकेनिक रहे हों या जिन्हें गाड़ी के बारे में जानकारी हो. क्योंकि उन्हें पता होता है कि वाहन के कौन से पार्ट में कौन सा स्पेनर (पाना, रिंच) इस्तेमाल होगा या फिर किसी तरह से पार्ट को आसानी से खोला जा सकता है. चोर महज 10 से 15 मिनट में ही साइलेंस को खोलकर ले उड़ते हैं."
साइलेंसर के डस्ट में क्या है ख़ास:
चोरों की दिलचस्पी कार के साइलेंसर चुराने में ज्यादा इसलिए है क्योंकि इसे खोलना आसान होता है और इसमें कुछ महंगी धातुओं से बना कैटेलिटिक कन्वर्टर लगा होता है. चोरी की घटनाएं तब बढ़ गईं जब कंपनी ने BS6 वाहनों में गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कैटेलिक कन्वर्टर को जोड़ा. साइलेंसर में पाई जाने वाली मेटल डस्ट को ब्लैक मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि नए वाहनों में डस्ट की मात्रा पुराने वाहनों की तुलना में अधिक है, और इसलिए, नए BS6-स्टैंडर्ड वाली कारों को टार्गेट किया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्लैक मार्केट में मेटल डस्ट की कीमत करीब 2,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति 10 ग्राम है जबकि साइलेंसर में लगे सेंसर, जो कि एग्जॉस्ट गैस में ऑक्सीजन लेवल का पता लगाता है उसे चोर आसानी से 10,000 से 15,000 रुपये में बेच देते हैं. कैटेलिक कन्वर्टर्स की चोरी के पीछे पैसा ही मुख्य कारण है. इसमें (PGM) ग्रुप के तीन महंगी धातुएँ पाई जाती हैं जो रासायनिक प्रतिक्रिया में सहायता करती हैं जो साइलेंसर से निकलने वाले प्रदूषकों को कम हानिकारक बनाती हैं: जिसमें प्लैटिनम, पैलेडियम और रोडियम शामिल हैं.
साइलेंसर की कीमत:
गाजियाबाद स्थित मारुति के एक अधिकृत सर्विस सेंटर के मोहर सिंह ने बताया कि "मारुति सुजुकी इको के साइलेंसर की कीमत तकरीबन 35,000 रुपये से लेकर 72,000 रुपये के बीच है, जो कि अलग-अलग मॉडल के अनुसार भिन्न है. चूकिं साइलेंसर में कुछ महंगे कंपोनेंट्स इस्तेमाल होते हैं इसलिए चोरों की नज़र इस वाहन पर ज्यादा रहती है." उन्होनें बताया कि, "साइलेंसर कार के नीचले हिस्से में कुछ बोल्ट पर ही टिका होता है यही कारण है कि चोर आसानी से इसे खोल लेते हैं." कार में इस्तेमाल होने वाले कैटेलिक कन्वर्टर को एग्जॉस्ट मेनिफोल्ड भी कहा जाता है और इसकी कीमत तकरीबन 6,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये के बीच है.
मिनटों में होता है लाखों का खेल:
शिवा मोटर्स गाजियाबाद के महेश सिंह का कहना है कि, "Maruti Eeco के साइलेंसर को खोलना चोरों के लिए काफी आसान होता है, क्योंकि ये साइलेंसर केवल दो बोल्ट पर ही टिका होता है." महेश ये भी बताते हैं कि, "साइलेंसर चोरी की घटनाओं में ज्यादातर वही लोग शामिल होते हैं जो पेशे से मैकेनिक रहे हों या जिन्हें गाड़ी के बारे में जानकारी हो. क्योंकि उन्हें पता होता है कि वाहन के कौन से पार्ट में कौन सा स्पेनर (पाना, रिंच) इस्तेमाल होगा या फिर किसी तरह से पार्ट को आसानी से खोला जा सकता है. चोर महज 10 से 15 मिनट में ही साइलेंस को खोलकर ले उड़ते हैं."
इन शहरों में हुई साइलेंसर चोरी की वारदातें:
देश के कई बड़े शहरों जैसे मुंबई, लखनऊ, अहमदाबाद, सानंद, गोवा में कारों के साइलेंस की चोरी की घटनाएं सामने आई हैं. कई मामलों में पुलिस ने ऐसे गिरोह को धरा भी है और उनके पास से भारी मात्रा में चोरी किए गए साइलेंसर को भी बरामद किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते साल अप्रैल महीने में मुंबई के तुलिंज, मानेकपुर, वसई, नौपाड़ा और मुंबई के पूर्वी उपनगरों में मारुति ईको वैन के साइलेंसर चोरी करने के आरोप में मीरा भायंदर में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
वहीं 8 जुलाई को गुजरात के मोटा वराछा में साइलेंसर चोरी करने वाले सात लोगों के गिरोह को गिरफ्तार किया गया और इनके पास से करीब 21 साइलेंसर बरामद किए गए थें. इसके अलावा 7 जून को, पुलिस ने अहमदाबाद से एक गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया, जिन्होनें बरेजा, कलोल, साणंद, केडी और कथल जैसे अलग-अलग स्थानों पर खड़े मारुति इको से साइलेंसर चोरी के वारदात को अंजाम दिया था.