
देश में एक तरफ जहां लगभग हर ऑटोमोबाइल कंपनी इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने में लगी है. सरकार भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने के लिए कई कोशिश कर रही है. वहीं देश की सबसे बड़ी कार कंपनी Maruti Suzuki India इसे लेकर किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं दिख रही है और ना ही बहुत जल्द अपनी कोई इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने जा रही है. अब कंपनी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने इसकी वजह बताई है.
Maruti के मार्केट शेयर पर नहीं पड़ा असर
Maruti Suzuki India की 40वीं सालाना आम बैठक (AGM) में कंपनी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियों ने इलेक्ट्रिक व्हीकल उतारे हैं. लेकिन अगर इनकी सेल देखें तो ये बहुत कम है और इसका Maruti Suzuki के मार्केट शेयर पर कोई असर नहीं पड़ा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर कंपनी को कोई जल्दबाज़ी नहीं है.
Maruti कब लाएगी अपनी इलेक्ट्रिक कार?
कंपनी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने साफ कर दिया कि Maruti Suzuki इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में तभी प्रवेश करेगी, जब बाजार व्यावहारिक बन जाएगा और वो एक अच्छी-खासी संख्या में इलेक्ट्रिक कार बेचने की स्थिति में होगी. भार्गव ने ये भी कहा कि सरकार का फोकस अभी मुख्य तौर पर 2-व्हीलर्स को इलेक्ट्रिक बनाने पर है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि Maruti Suzuki की इच्छा EV सेगमेंट में भी मार्केट लीडर बनने की है. लेकिन अभी वो तब तक इंतजार करेगी जब तक भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने को लेकर माहौल नहीं बन जाता. अभी कंपनी का ज्यादा फोकस CNG और Hybrid कारों पर है.
दुनिया के दबाव में आने की जरूरत नहीं
Maruti Suzuki की पेरेंट कंपनी Suzuki का कहना है कि वह 2025 तक स्पेशली भारत के लिए तैयार की गई इलेक्ट्रिक कार को लॉन्च कर सकती है. Suzuki के अलावा Denso और Toshiba जैसी कंपनियों ने लिथियम-आयन बैटरीज के लोकलाइजेशन के लिए काम शुरू कर दिया है. लेकिन Maruti Suzuki का कहना है कि इलेक्ट्रिक कारों के लिए दुनिया के दबाव में आने की जरूरत नहीं है.
भार्गव ने कहा, ‘भारत अपनी टाइमलाइन के हिसाब से इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाएगा. ना कि जलवायु परिवर्तन पर दुनिया के विकसित देशों द्वारा तय की गई समयसीमा के दबाव में आकर. हमें और दुनिया दोनों को हमारे रहन-सहन, आय, प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत के अंतर को समझने की जरूरत है.’
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