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Maruti Wagon R का फ्लेक्स-फ्यूल अवतार, बेहद कम खर्च में चलेगी ये कार! जानिए कंपनी का प्लान

Maruti Wagon R का ये नया फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल ऑटो एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है. इस कार में मैकेनिकल कंपोनेंट्स के अलावा अन्य कंपोनेंट्स जैसे कि, इंजन मैनेजमेंट सिस्टम, अपग्रेड फ्यूल इंजेक्टर्स इत्यादि को भी नए तरह से विकसित किया गया है.

Maruti Suzuki Wagon R Flex-Fuel Maruti Suzuki Wagon R Flex-Fuel
अश्विन सत्यदेव
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

मारुति सुजुकी इंडिया ने ऑटो एक्सपो में अपनी मशहूर टॉल ब्वॉय कही जाने वाली हैचबैक कार Wagon R के नए फ्लेक्स-फ्यूल वर्जन के प्रोटोटाइप को पेश किया है. नए लुक और फ्लेक्स-फ्यूल स्टीकर से सजी ये कार मारुति के पोडियम में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इससे पहले इस कार को दिसंबर 2022 में सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी में भी प्रदर्शित किया गया था. मॉडल को सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन, जापान के सपोर्ट के साथ मारुति के स्थानीय इंजीनियरों द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. यह कार 20 प्रतिशत (E20) और 85 प्रतिशत (E85) ईंधन के बीच इथेनॉल-पेट्रोल मिश्रण पर चल सकती है.

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कंपनी ने कोल्ड स्टार्ट असिस्ट के लिए हीटेड फ्यूल रेल और इथेनॉल प्रतिशत का पता लगाने के लिए इथेनॉल सेंसर जैसी नए फ्यूल सिस्टम तकनीक को डिजाइन किया है, जो इंजन को हाई इथेनॉल मिश्रणों (E20-E85) के साथ अधिक कम्पैटिबल बनाने में मदद करता है. इस कार में मैकेनिकल कंपोनेंट्स के अलावा अन्य कंपोनेंट्स जैसे कि, इंजन मैनेजमेंट सिस्टम, अपग्रेड फ्यूल इंजेक्टर्स इत्यादि को भी नए तरह से विकसित किया गया है. 
 
इंजन क्षमता और परफॉर्मेंस: 

Maruti WagonR के नए फ्लेक्स फ्यूल प्रोटोटाइप में कंपनी ने 1.2 लीटर की क्षमता का नेचुरल एस्पायर्ड इंजन का इस्तेमाल किया है, जो कि E20 और E85 रेंज के फ्लेक्स फ्यूल पर चल सकती है. कंपनी ने रेगुलर मॉडल के मुकाबले इस कार के इंजन में कई बदलाव किए हैं, जिससे ये इथेनॉल-पेट्रोल मिश्रण पर बेहतर परफॉर्म करते हुए चलती है. ये इंजन इस तरह से तैयार किया गया है जो कि, बीएस6 के नए उत्सर्जन नियमों का भी पालन करता है, इसमें 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स दिया गया है. 

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Maruti Suzuki Wagon R Flex-Fuel Verison at 2023 Auto Expo.

कंपनी का कहना है कि इथेनॉल ईंधन आधारित वैगनआर रेगुलर आईसीई-संचालित (मौजूदा मॉडल) की तुलना में टेलपाइप उत्सर्जन को 79 प्रतिशत तक कम कर सकता है. इसकी पावर और परफॉर्मेंस रेगुलर पेट्रोल वर्जन की तरह ही होगी. मारुति सुजुकी ने पुष्टि की है कि उसका पहला फ्लेक्स फ्यूल मॉडल कॉम्पैक्ट सेगमेंट में होगा और यह 2025 तक लॉन्च होगा. रिपोर्ट्स की मानें तो मार्च 2023 तक कंपनी का पूरा प्रोडक्ट लाइनअप E20 कंप्लेंट होगा.

मारुति सुजुकी के सीईओ और प्रबंध निदेशक हिसाशी ताकेची ने फ्लेक्स-फ़्यूल वैगन आर के कमर्शियल लॉन्च के बारे में ऑटोकार प्रोफेशनल से एक विशेष बातचीत में कहा कि, "हम अपने फ्लेक्स-ईंधन की पेशकश के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक इस तरह के ईंधन पूरे भारत में आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं, तब तक हमारे लिए व्यावसायिक रूप से उत्पादन शुरू करना बेहद मुश्किल होगा,"

Maruti Suzuki Wagon R Flex-Fuel Verison at 2023 Auto Expo.

ऑटो एक्सपो के दौरान पेश की Wagon R Flex-Fule मॉडल का इंटीरियर रेगुलर कार जैसा ही है. दरअसल, फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल में सबसे बड़ा बदलाव इंजन कंपार्टमेंट में ही किया जाता है. हालांकि ये एक प्रोटोटाइप है तो जाहिर है कि फाइनल प्रोडक्ट तक आते-आते कई बदलाव संभव है. 

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देश के केंद्रीय परिवहन मंत्री, नितिन गडकरी भी लगातार वाहन निर्माताओं को फ्लेक्स-फ्यूल टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने में लगे हैं. उन्होनें कई मौकों पर खुले मंच से Flex Fuel इंजन के इस्तेमाल करने पर जोर दिया है. इस तकनीक के माध्यम से, पेट्रोल कारें 20 प्रतिशत से 85 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित ईंधन के बीच कहीं भी चल सकेंगी. मारुति सुजुकी का कहना है कि, हमारे पास पूरी तकनीकी तैयार है, यदि बुनियादी ढांचा तैयार होता है तो हम जल्द से जल्द फ्लेक्स फ्यूल लॉन्च कर सकेंगे. 

क्या होता है फ्लेक्स फ्यूल: 

फ्लेक्स फ्यूल, गैसोलीन (पेट्रोल) और मेथनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. फ्लेक्स-ईंधन वाले वाहन के इंजन एक से अधिक प्रकार के ईंधन पर चलने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं. इंजन और फ्यूल सिस्टम में कुछ संशोधनों के अलावा, ये वाहन रेगुलर पेट्रोल मॉडलों जैसे ही होते हैं. बता दें कि, यह कोई नई तकनीक नहीं है, कार बाइबल्स के अनुसार इस तकनीकी की शुरुआत पहली बार 1990 के दशक में हुई थी और बड़े पैमाने पर इसका प्रयोग 1994 में पेश की गई फोर्ड टॉरस में देखने को मिला था. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, साल 2017 तक, दुनिया की सड़कों पर लगभग 21 मिलियन फ्लेक्स-फ्यूल वाहन थें. 

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कैसे बनता है ये ईंधन: 

फ्लेक्स फ्यूल का उत्पादन भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि इसे गन्ने, मक्का जैसे उत्पादों से बनाया जाता है, और भारत में पर्याप्त मात्रा में इन फसलों का उत्पादन होता है. गन्ना और मक्के से बनने के कारण इसे अल्कोहल बेस फ्यूल भी कहा जाता है. इसकी निर्माण प्रक्रिया में स्टार्च और शुगर फर्मेंटेशन किया जाता है. इसके अलावा सामान्य पेट्रोल के मुकाबले इथेनॉल वाला ईंधन काफी किफायती है, जहां पेट्रोल की कीमत तकरीबन 100 रुपये के आस-पास है तो इथेनॉल की कीमत 60 से 70 रुपये के बीच देखने को मिलती है. ऐसे में यह एक बेहतर विकल्प साबित होगा. 

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