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Mitsubishi India Plan: आपको नब्बे के दशक की मित्सुबिशी पजेरो और लांसर कारें तो याद होंगी ही, अब एक बार फिर से Mitsubishi भारतीय बाजार में दोबारा एंट्री करने की तैयारी में है. जानकारी के मुताबिक यदि सबकुछ ठीक रहा तो कंपनी इस साल गर्मियों में अपनी कारों की बिक्री भी शुरू कर सकती है. निक्केई एशिया के अनुसार, मित्सुबिशी का निवेश 33 मिलियन डॉलर से 66 मिलियन डॉलर के बीच होने का अनुमान है, जिसे नियामक मंजूरी का इंतजार है. एक बार निवेश सौदा पक्का हो जाने के बाद, मित्सुबिशी पूरे भारत में अपना डीलरशिप नेटवर्क स्थापित करने की योजना बना रही है.
भारत में दोबारा कारोबार शुरू करने के लिए मित्सुबिशी ने टीवीएस मोबिलिटी के साथ हाथ मिलाया है. रॉयटर्स के मुताबिक, जापानी कार कंपनी मित्सुबिशी ने टीवीएस मोबिलिटी में 32 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली है. कंपनी टीवीएस के साथ मिलकर देश भर में अपना डीलरशिप नेटवर्क शुरू करेगी. बता दें कि, टीवीएस मोटर्स पहले से ही होंडा कार्स इंडिया का डीलरशिप मैनेज कर रहा है.
कारों की बिक्री के मामले में भारत का स्थान दुनिया में तीसरा है, लेकिन बावजूद इसके देश में सुजुकी और निसान के अलावा अन्य जापानी कार कंपनियों की संख्या बहुत ही सीमित है. मित्सुबिशी के भारत में दोबारा एंट्री के साथ ही ये गैप खत्म होगा.
107 साल पुरानी कंपनी:
मित्सुबिशी का इतिहास तकरीबन 107 साल पुराना है, कंपनी साल 1917 में जापान में फर्म हुई थी. जब मित्सुबिशी शिपबिल्डिंग कंपनी लिमिटेड ने मित्सुबिशी मॉडल ए, जापान की पहली सीरीज-प्रोडक्श कार को लॉन्च किया था. Fiat Tipo-3 पर बेस्ड ये पूरी तरह से हाथ से निर्मित सात सीटों वाली सेडान कार थी. हालांकि ये अपने अमेरिकी और यूरोपीय प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में महंगी साबित हुई, और केवल 22 यूनिट्स के निर्माण के बाद 1921 में इसका प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था.
साल 1934 में, मित्सुबिशी शिपबिल्डिंग को मित्सुबिशी एयरक्राफ्ट कंपनी के साथ मर्ज कर दिया गया, जो 1920 में विमान के इंजन और अन्य कंपोनेंट्स के निर्माण के लिए स्थापित की गई थी. इस मर्जर के बाद कंपनी को मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज (MHI) के नाम से जाना जाता था, और यह जापान की सबसे बड़ी निजी कंपनी थी. MHI ने विमान, जहाज, रेल कारों और मशीनरी के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन 1937 में सैन्य उपयोग के लिए एक प्रोटोटाइप सेडान PX33 तैयार किया. यह एक फोर-व्हील ड्राइव पहली जापानी पैसेंजर कार थी.
26 साल पहले भारत में एंट्री:
तकरीबन 26 साल पहले 1998 में मित्सुबिशी ने भारतीय कार कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स के सहयोग के साथ भारतीय बाजार में प्रवेश किया. हिंदुस्तान मोटर्स के उपर भारत में मित्सुबिशी की कारों की मैन्युफैक्चरिंग और असेंबलिंग की जिम्मेदारी थी. तब से कंपनी ने हमारे देश में कई कारों को लॉन्च किया, जिसमें पजेरो और लांसर देश भर में लोकप्रिय हुई.
Mitsubishi Lancer से आगाज:
जापान में प्रसिद्ध लक्जरी कॉम्पैक्ट सेडान लांसर को 1998 में भारत में भी लॉन्च किया गया था. कार ने वास्तव में भारत में अच्छा प्रदर्शन किया. यह सेडान 1.5-लीटर पेट्रोल इंजन से लैस थी जो 85hp की पावर और 132Nm का पीक टॉर्क जेनरेट करता था. इसमें 2.0-लीटर डीजल इंजन का विकल्प मिलता था, जो 68hp की पावर और 122Nm का जेनरेट करता था. सेडान में एयर कंडीशनर, पावर स्टीयरिंग, पावर विंडो, एडजस्टेबल स्टीयरिंग, पावर-एडजस्टेबल रियर-व्यू मिरर जैसे कई एडवांस फीचर्स दिए गए थें जो कि उस दौर में प्रीमियम कारो में ही देखने को मिलता था. लांसर को भारत में 2012 तक बेचा गया था उसके बाद इसे डिस्कंटीन्यू कर दिया गया.
लांसर के बाद मित्सुबिशी ने Cedia सेडान कार को भी लॉन्च किया था, जिसमें 2.0 लीटर पेट्रोल इंजन के साथ कई एडवांस फीचर्स को शामिल किया गया था. लेकिन साल 2013 आते-आते इस कार की डिमांड घट गई और बाजार में कई नए मॉडलों ने जगह बना ली, जिसके बाद इस पावर पैक्ड सेडान कार की बिक्री बंद कर दी गई.
Pajero ने दी रफ्तार:
मित्सुबिशी का पोर्टफोलियो इंडिया में कभी बहुत ज्यादा विस्तृत नहीं रहा, लेकिन जो भी मॉडल यहां उतारे गएं तकरीबन सभी ही हर ग्राहक वर्ग के बीच लोकप्रिय रहें. उनमें से ही एक थी Mitsubishi Pajero, जब इस एसयूवी ने भारतीय बाजार में एंट्री की थी उस वक्त इसका क्रेज सेलिब्रिटीज से लेकर टॉप लीडर्स के बीच भी खूब था.
आज जो मुकाम टोयोटा फॉर्च्यूनर का है, कभी किसी दौर में वो जगह मित्सुबिशी पजेरो की थी. 2.8-लीटर 4M40 इंटरकूलर टर्बो-डीजल इंजन से लैस इस एसयूवी के प्रसंशक आज भी हैं. आखिरी समय में कंपनी ने पजेरो स्पोर्ट और आउटलैंडर जैसी लग्ज़री एसयूवी को भी पेश किया, लेकिन कारोबार बहुत अच्छा नहीं चला. एक बार फिर से जापानी कंपनी भारत में नई उम्मीदों के साथ एंट्री करने जा रही है.
जब माइलेज स्कैंडल में फंसी कंपनी:
कार की दुनिया में उस वक्त तहलका मच गया, जब जापानी कार कंपनी पर कारों के माइलेज को लेकर गलत डाटा प्रचारित करने का आरोप लगा. इस मामले के सामने आते ही एक बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया. इस मामले में कंपनी ने भी खुद स्विकार किया कि उससे गलती हुई है. मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्पोरेशन ने जून 2016 में कहा कि पिछले 10 वर्षों में बेचे गए उसके 20 मॉडल फ्यूल इकोनॉजी घोटाले में शामिल थे, जिसमें कंपनी उलझी हुई थी.
इससे पहले 20 अप्रैल, 2016 को मित्सुबिशी ने स्वीकार किया था कि उसने जापान में बेची गई 6,25,000 कारों के लिए फ्यूल इकोनॉमी डेटा तैयार किया था. कंपनी ने माना कि उसके इंजीनियरों ने जानबूझकर कारों के माइलेज डेटा में हेरफेर किया था. इसमें कहा गया है कि गलत परीक्षणों में निसान मोटर कंपनी (निसान) के लिए बनाए गए Dayz Roox कार और उसके अपने ब्रांड EK Wagon और EK Space कारें शामिल थें. बताया जाता है कि, कंपनी ने इन कारों की रियल वर्ल्ड माइलेज के आंकड़ों में 5 से 10 प्रतिशत की हेर-फेर की थी. इस घटना के बाद मित्सुबिशी के शेयरों में भयंकर गिरावट देखने को मिला था.
भारत में क्यों फेल हुई मित्सुबिशी:
मित्सुबिशी एक बार फिर से री-एंट्री को तैयार है, लेकिन ऐसा क्या हुआ जो तमाम लोकप्रियता के बावजूद मित्सुबिशी की कारें भारत में आगे सफल नहीं हो सकी. ऐसा माना जाता है कि, मित्सुबिशी बहुत ज्यादा अपने ज्वाइंट वेंचर यानी कि हिंदुस्तान मोटर्स पर निर्भर था, चाहे वो प्रोडक्शन की बात हो या फिर नेटवर्क की. किसी भी मुद्दे पर मित्सुबिशी सीधे तौर पर शामिल नहीं था. ऐसे में बहुत ज्यादा निर्भरता कंपनी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ.
इसके अलावा मित्सुबिशी की कारों की कीमत अपने प्रतिद्वंदियों की तुलना में काफी ज्यादा थीं और जिस दौर में कंपनी ने भारत में कदम रखा था वो समय बजट फ्रेंडली किफायती कारों का था. यहां तक कि, उस मारुति सुजुकी की Kizashi और Grand Vitara भी उस समय फेल हो गई थीं.