
सोचिए आपके पास ऐसी कोई कार या SUV हो, जिसमें इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी चंद्रमा पर रिसर्च के दौरान काम आने वाली हो. जी हां, ऐसा होने जा रहा है जल्द इंडियन मार्केट में दस्तक देने जा रही Nissan X-Trail के साथ. कंपनी ने अपनी इस एसयूवी में नए जमाने की हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया है, जिसे जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) अपने लूनर रोवर में इस्तेमाल करने जा रही हैं. लूनर रोवर का मतलब होता है चंद्रमा पर रिसर्च के लिए इस्तेमाल होने वाला रोबोटिक यंत्र. जो चलता-फिरता है.
निसान मोटर्स और JAXA जनवरी 2020 से लूनर रोवर पर रिसर्च कर रहे हैं. रोवर की ड्राइविंग के नियंत्रित करने के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल होने जा रहा है, कंपनी ने उसी टेक्नोलॉजी को अपनी X-Trail में दिया है. इसका नाम कंपनी ने e-4ORCE रखा है.
क्या है Nissan की e-4ORCE टेक्नोलॉजी?
ये हम सभी जानते हैं कि कारें मुख्य तौर पर 2-व्हील ड्राइव और 4-व्हील ड्राइव मोड पर चलती हैं. एक अच्छी एसयूवी 4-व्हील ड्राइव (4WD) मोड वाली कार को माना जाता है. निसान मोटर्स ने इसी 4-व्हील ड्राइव कॉन्सेप्ट को इलेक्ट्रिक मोटर के साथ जोड़ कर अपनी हाइब्रिड कार में पेश किया है.
कैसे काम करती हे e-4ORCE टेक्नोलॉजी?
आम तौर पर हाइब्रिड कार में आगे के पहियों पर इंजन के साथ इलेक्ट्रिक मोटर जोड़े जाते हैं, जो पॉवर देने के साथ-साथ गियर और ब्रेक कंट्रोल में भी काम आती है. इसमें कई बार री-जेनरेशन टेक्नोलॉजी का भी इस्तेमाल होता है, जिससे बैटरी खुद-ब-खुद चार्ज होती है और दोनों के कॉम्बिनेशन से कार को बेहतर एक्सीलरेशन मिलता है. जैसा Honda City eHEV में किया गया है.
निसान इंडिया ने e-4ORCE टेक्नोलॉजी के तहत कार के अगले और पिछले दोनों पहियों अलग-अलग इलेक्ट्रिक मोटर फिट की है. इससे हाई आउटपुट और टॉर्क मिलता है. वहीं दोनों इलेक्ट्रिक मोटर, कार के चारों अलग-अलग पहियों के ब्रेक और स्पीड को ऑप्टिमाइज तरीके से कंट्रोल करती हैं, इससे कार को सड़क पर बेहतरीन स्टेबिलिटी मिलती है.
आम आदमी के लिए होगी फायदेमंद?
e-4ORCE को लेकर कंपनी का दावा है कि इसकी वजह से कार में जब ब्रेक लगते हैं, तो राइडर और पीछे बैठी सवारी को कम झटका महसूस होता है. वहीं अलग-अलग पहियों पर ब्रेक और स्पीड कंट्रोल होने से स्टेबिलिटी बेहतर होती है. इससे मोशन सिकनेस की समस्या कम होती है. वहीं री-जेनरेटिव मोटर होने की वजह से बैटरी खुद-ब-खुद चार्ज भी होती हैं, जिससे फ्यूल एफिशिएंसी बेहतर होती है.
लूनर रोवर में कैसे काम आएगी e-4ORCE?
चंद्रमा की सतह काफी उबड़-खाबड़ है. ऐसे में इस तकनीक से रोवर के चारों पहियों को अलग-अलग कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. चंद्रमा पर खोज अभियान के दौरान रोवर इस टेक्नोलॉजी की मदद से हर तरह की सतह पर बेहतर कंट्रोल के साथ चल सकेगा. वहीं सेल्फ चार्जिंग बैटरी होने की वजह से रोवर को कम एनर्जी सोर्स की जरूरत पड़ेगी.
इतनी महंगी हो सकती है X-Trail
कंपनी ने अभी Nissan X-Trail की कीमत का खुलासा नहीं किया है. हालांकि इसकी टेस्टिंग इंडिया में शुरू हो चुकी है. उम्मीद है कि इसकी कीमत 40 लाख रुपये रेंज में हो सकती है. वहीं यूरोपीय मार्केट में इसकी कीमत 26 लाख रुपये से शुरू होकर 34.60 लाख रुपये के बीच है.