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1200Km की रेंज... 10 मिनट में चार्ज! EV इंडस्ट्री को नई रफ्तार देगी Toyota की 'सॉलिड-स्टेट बैटरी'

Toyota ने घोषणा की है कि वो सॉलिड-स्टेट बैटरी बनाने के काफी करीब पहुंच चुका है और इसके लिए टोयोटा ने जापानी कंपनी इडेमित्सु (Idemitsu) के साथ समझौता भी किया है. ये नई बैटरी मौजूदा लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरियों के मुकाबले ज्यादा बेहतर होगी.

सांकेतिक तस्वीर: Solid State Battery For Electric Cars. Photo- FreePik सांकेतिक तस्वीर: Solid State Battery For Electric Cars. Photo- FreePik
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 9:21 AM IST

जापानी वाहन निर्माता टोयोटा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए मौजूदा बैटरी के जैसी ही एक सॉलिड-स्टेट बैटरी बनाने की तैयारी में जुटी है और इस मामले में वो काफी हद तक लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है. टोयोटा की ये बैटरी रेंज और चार्जिंग के मामले में मौजूदा बैटरियों के मुकाबले काफी बेहतर होगी. फिलहाल, कंपनी इस ख़ास बैटरी और तकनीक पर काम कर रही है और यदि सबकुछ ठीक रहा तो सॉलिड-स्टेट बैटरियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन 2027 या 2028 तक शुरू हो सकता है. 

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टोयोटा ने हाल ही में कहा है कि, एक ऐसी उपलब्धि पर पहुंच गया है जो इन बैटरियों की लागत और आकार को आधा कर सकती है. बताया जा रहा है कि, ये सॉलिड-स्टेट बैटरियां ईवी की रेंज को 1,200 किमी कर देंगी और चार्जिंग का समय 10 मिनट या उससे कम होगा. पिछले हफ्ते, टोयोटा ने सॉलिड-स्टेट बैटरियों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक प्रमुख जापानी तेल कंपनी इडेमित्सु (Idemitsu) के साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है.

यह डील टोयोटा के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि टोयोटा की योजना टेस्ला और बिल्ड योर ड्रीम (BYD) जैसी कंपनियों को पछाड़ने की है. हालांकि हाइब्रिड कारों के चलते टोयोटा इलेक्ट्रिक कार बाजार में इन दोनों ब्रांड्स से पिछड़ती जा रही है. इस समय दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरियों का इस्तेमाल होता है, लिथियम एक महंगा पदार्थ है और इसकी उपलब्धता भी सीमित है इसलिए इसका असर बैटरियों की कीमत पर भी पढ़ता है. 

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क्या होती है सॉलिड-स्टेट बैटरी, और लिथियम-आयन से कैसे है अलग:

जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि, सॉलिड-स्टेट बैटरी (SSB) में जो भी कंपोनेंट इस्तेमाल किए जाते हैं वो सॉलिड यानी ठोस अवस्था में होते हैं. सॉलिड-स्टेट बैटरी कैथोड, एनोड और सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट से बनी होती है. यह लिथियम-आयन बैटरियों से काफी अलग होती है, जिसमें लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग किया जाता है. लिथियम बैटरियों में फूलने, लीकेज या अन्य तरह के डैमेज होने की संभावना होता है, क्योंकि वे लिक्विड इलेक्ट्रोलाइट्स से बनी होती हैं. इनमें आग लगने का खतरा भी अधिक होता है.
 

हालाँकि, सॉलिड इलेक्ट्रोलाइट के साथ एक सॉलिड-स्टेट बैटरी में इस तरह की समस्याएं देखने को नहीं मिलती है. सॉलिड स्ट्रक्चर के चलते इनकी स्टैबिलिटी तो बढ़ती ही है साथ ही जिन उपकरण या वाहन में इनका इस्तेमाल किया जाता है उनकी सेफ्टी भी बेहतर होती है. यदि सॉलिड स्टेट बैटरियां क्षतिग्रस्त भी हो जाती हैं तो भी वो किसी तरह का नुकसान नहीं करती हैं. 

कितने तरह की होती हैं सॉलिड-स्टेट बैटरी: 

सॉलिड-स्टेट बैटरियों को निर्माण विधी के आधार पर मोटेतौर पर दो तरह से बांटा गया है. एक है "बल्क" और दूसरा है "थिन-फिल्म". इन दोनों में एनर्जी स्टोरेज कैपेसिटी भिन्न होती हैं. बल्क (Bulk) बैटरियों में ज्यादा एनर्जी स्टोर करने की क्षमता होती है जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहन इत्यादि में किया जा सकता है. दूसरी ओर 'थिन-फिल्म' (Thin-film) बैटरी में कम एनर्जी स्टोर होती हैं, लेकिन ये लांग लॉस्टिंग होती हैं. इस बैटरी का इस्तेमाल छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए किया जाता है. 
 

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