
भारत बाइक्स निर्माता कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है. यहां हर साल बड़े पैमाने पर बाइक्स की बिक्री होती है. बाइक राइडिंग को लेकर यहां के युवाओं में काफी जुनून है. आजकल बाइक्स काफी एडवांस हो गई हैं. इन गाड़ियों में ऐसे फीचर्स आने लगे हैं जो राइडर्स के लिए लाइफ सेविंग साबित हो सकती है. हालांकि, पहले की गाड़ियां इस तरह के फीचर्स के साथ नहीं आती थीं. बता दें कि ABS भी इसी तरह का फीचर है, जो किसी भी बाइक के लिए बेहद जरूरी है.
क्या होता है ABS:
जब भी आप बाइक चलाते वक्त ब्रेक का उपयोग करते हैं तो ABS सिस्टम गाड़ी को फिसलने से रोकती है. गाड़ी कितनी भी स्पीड में हो फिर भी अचानक ब्रेक लगानी पड़ जाए तो भी बाइक कभी नहीं फिसलेगी. ब्रेक लगने से ये फीचर गाड़ी के पहिए को लॉक होने से रोकता है. चालक का कंट्रोल बाइक के हैंडल पर बना रहता है. इस दौरान बाइक बिना फिसले और अंसतुलित हुए दिशा बदल लेती है या रुक जाती है.
कैसे काम करता है ABS:
ABS यानी एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम. इस ब्रेकिंग सिस्टम में तीन भाग होते हैं. ईसीयू किट, ब्रेक और व्हील स्पीड सेंसर. तीनों गाड़ी के पिछले पहिए में लगे रहते हैं. स्पीड ,सेंसर पहिए के लॉक अप की निगरानी करता है और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट से जुड़ा होता है. यही इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट ब्रेक लगाने पर पहिए को निश्चित दूरी तरह तक रोल होने देता है और निश्चित अंतराल पर ब्रेक लगाता रहता है. इससे गाड़ी के फिसलने का खतरा कम हो जाता है.
गाड़ियों के फिसलने से रोकता है ABS:
पहले की बाइक्स ड्रम ब्रेक्स के साथ आती थीं, हालांकि आज भी किफायती और कम्यूटर सेग्मेंट की बाइक्स में ड्रम ब्रेक्स देखने को मिलते हैं. यह फीचर सामान्य बाइक्स के लिए उपयोगी थी. वहीं स्पोर्ट्स और दूसरे एडवांस बाइक्स के लिए ड्रम ब्रेक्स उस हद तक उपयुक्त नहीं है. ड्रम ब्रेक्स सामान्यत: ब्रेक शू के साथ आते हैं. जब भी राइडर ब्रेक लगाता है तो ये ब्रेक शू ड्रम के संपर्क में आता है. इससे बाइक अचानक रुक जाती है. ऐसे में बाइक के फिसलने का खतरा बना रहता है. गाड़ियों के फिसलने के इसी खतरे को कम करने के लिए एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम को लाया गया है.
प्रीमियम बाइक्स में बतौर स्टैंडर्ड आता है ये फीचर:
इस टेक्नॉलॉजी की मदद से बाइक लवर्स किसी भी परिस्थिति में स्मूथ बाइक राइक राइडिंग कर सकते हैं. ज्यादातर बाइक्स ABS डिस्क ब्रेक्स के साथ आते हैं. ड्रम ब्रेक्स के साथ इस सिस्टम को नहीं लगा सकते हैं. केटीएम ड्यूक, बाजाज पल्सर 220 जैसी प्रीमियम बाइक्स इन-बिल्ट ABS सिस्टम के साथ आती हैं.
स्टंट के प्रोफेशन वाले बाइकर्स के लिए भी उपयोगी:
बाइक्स में ABS सिस्टम राइडर्स को गिरने और फिसलने से बचाता है. कुछ ऐसे भी बाइकर्स होते हैं, जिन्होंने स्टंट को अपना प्रोफेशन बनाया है. वह जब भी स्टॉपी जैसा स्टंट करते हैं तो ABS का रोल महत्वपूर्ण हो जाता है. MotoGP राइडर्स स्लिपर क्लच का उपयोग करते हैं. जब भी वे कर्व्स में झुकते हैं और लगातार ब्रेक्स लगाते हैं और गाड़ी स्पीड में होती है तो भी ABS काम में आता है. फिलहाल ये तकनीक काफी एडवांस हो गई है. आप जरूरत पड़ने पर ABS को ऑन या ऑफ भी कर सकते हैं.
पहले बड़े वाहनों तक सीमित था ये फीचर:
पहले ABS सिर्फ बसों और कारों जैसे प्रीमियम वाहनों में ही लगाया जाता था. हालांकि, बढ़ती दुर्घटनाओं और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए इसे बाइक्स में भी दिया जाने लगा. रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के मुताबिक 150cc कैटेगरी में आने वाली बाइक्स के लिए ABS होना अनिवार्य कर दिया गया है. वहीं 125cc तक के दोपहिया वाहनों में कॉम्बी ब्रेकिंग सिस्टम (CBS) देना जरूरी है. आमतौर पर ABS वाली बाइक की कीमत रेगुलर ब्रेक वाली बाइक्स के मुकाबले ज्यादा होती है. अब बाइक्स में डुअल चैनल एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) का भी चलन है, जो कि दोनों पहियों में संतुलित ब्रेकिंग के लिए काफी उपयुक्त है.