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सिर्फ इलेक्ट्रिक नहीं, CNG समेत हाइब्रिड कार बनाने का इरादा: मारुति सुजुकी

वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड सिर्फ इलेक्ट्रिक कार डेवलप करने की जगह CNG कार और हाइब्रिड वाहन समेत वैकल्पिक टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान देगी. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये जानकारी दी. कंपनी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि देश में सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार या तेल कंपनियों के साथ भागीदारी की जाएगी. अभी देश के पैसेंजर व्हीकल बाजार में कंपनी की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
साकेत सिंह बघेल
  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड सिर्फ इलेक्ट्रिक कार डेवलप करने की जगह CNG कार और हाइब्रिड वाहन समेत वैकल्पिक टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान देगी. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ये जानकारी दी. कंपनी के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने कहा कि देश में सीएनजी वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार या तेल कंपनियों के साथ भागीदारी की जाएगी. अभी देश के पैसेंजर व्हीकल बाजार में कंपनी की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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भार्गव ने कहा, ‘हम सीएनजी, हाइब्रिड और अन्य वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे. हम हर तरह की प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देंगे और महज एक तक खुद को सीमित नहीं रखेंगे.’ उन्होंने कहा कि कंपनी तेल आयात और वायु प्रदूषण कम करना चाहती है और यही सरकार का भी लक्ष्य है.

भार्गव ने आगे कहा, ‘हम देश में पर्यावरण अनुकूल कार चाहते हैं, हम तेल आयात कम करना चाहते हैं, हम वायु प्रदूषण कम करना चाहते हैं. हमारा उद्देश्य वही है जो सरकार का है. इसके लिए हम सारी ऊर्जा महज बैटरी के खर्च में कटौती पर नहीं लगाने वाले हैं. हम अन्य वैकल्पिक तरीकों पर भी ध्यान देना चाहते हैं.’

उन्होंने कहा कि मारुति इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत में कमी आने का इंतजार करने के बजाय सीएनजी जैसे विकल्पों को अपनाना पसंद करेगी.  सरकार बिजली उत्पादन से अधिक परिवहन क्षेत्र में सीएनजी के इस्तेमाल पर जोर दे रही है. हम कारों के लिए सीएनजी का यथासंभव इस्तेमाल करना चाहते हैं. सीएनजी छोटी कारों के लिए सबसे बेहतर है.

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उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार अन्य बाजारों से अलग है. यहां 75 प्रतिशत कारें पांच लाख रुपये से कम की हैं. भार्गव ने कहा, ‘विश्व में ऐसा कोई बाजार नहीं है जहां छोटी कारों का इस कदर वर्चस्व है. इलेक्ट्रिक कारों को देखें तो मौजूदा बैटरी खर्च के कारण इसकी लागत 6-7 लाख रुपये से अधिक होगी. क्या आपको लगता है कि पांच लाख रुपये के बजाय 6-7 लाख रुपये में कोई भी कार खरीदना पसंद करेगा? वहन करने की क्षमता एक बड़ी समस्या है.’

उन्होंने कहा, ‘हम निश्चित इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देंगे पर हमें सीएनजी, हाइब्रिड, एथेनॉल, मेथेनॉल आदि विकल्पों को भूलना नहीं चाहिए. हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए सभी विकल्पों को खुला रखना है.’

(इनपुट-भाषा)

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