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जानिए किन कंपनियों ने बनाए थे एक हफ्ते में बिहार में ढहे तीन पुल? पहले के मामलों में क्या हुआ एक्शन

बिहार में अररिया और सिवान के बाद रविवार को मोतिहारी में पुल गिरने का मामला सामने आया है. एक हफ्ते के अंदर तीन पुल ढहने से राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है. घोड़ासहन प्रखंड में शनिवार की रात जो निर्माणाधीन पुल ध्वस्त हो गया वह लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से बन रहा था.

सीवान में पुल गिरने के बाद की तस्वीर सीवान में पुल गिरने के बाद की तस्वीर
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST

बिहार में पुलों के गिरने के मामले कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं. रविवार को पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के घोड़ासहन ब्लॉक में एक निर्माणाधीन छोटा पुल ढह गया, जो राज्य में एक हफ्ते से भी कम समय में पुल गिरने की तीसरी  घटना है. इससे पहले शनिवार को सीवान और मंगलवार को अररिया में भी पुल ढह गया था.

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रविवार को पुल गिरने की घटना पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के घोड़ासहन ब्लॉक में चैनपुर स्टेशन के लिए पहुंच मार्ग पर हुई है. इसे 2 करोड़ रुपये की लागत से से बनाया जा रहा था.पुल की ढलाई का काम किया जा चुका था.

धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन को मिली थी पुल बनाने की जिम्मेदारी

मोतिहारी के अमवा गांव को प्रखंड के अन्य क्षेत्रों से जोड़ने के लिए राज्य के ग्रामीण निर्माण विभाग (आरडब्ल्यूडी) द्वारा नहर पर 16 मीटर लंबा पुल बनाया जा रहा था. पुल निर्माण की जिम्मेदारी धीरेंद्र कंस्ट्रक्शन मोतिहारी को मिली थी.  गांव के लोग पुल के बनने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की गुणवता पर सवाल उठा रहे हैं. उनका आरोप है कि पुल बनने में जिस स्तर का माल प्रयोग होना चाहिए था.

गनीमत यह रही कि पुल के ढहने से कोई हताहत नहीं हुआ.ऐसा कहा जा रहा है कि स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने शुरू में पुल के कुछ खंभों के निर्माण पर आपत्ति जताई थी. पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है. 

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शनिवार को सीवान में भी ढहा था पुल

इससे पहले शनिवार को सीवान जिले में एक छोटा पुल ढह गया था. यह पुल सुबह करीब पांच बजे ढह गया, जो दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाली नहर पर बनाया गया था.जिलाधिकारी ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ. यह पुल बहुत पुराना था और संभवत: नहर से पानी छोड़े जाने पर खंभे ढह गए.’

यह 30 साल से ज्यादा पुराना बताया जा रहा है. इस पुल को स्थानीय ग्रामीणों ने चंदा जोड़कर बनवाया था. 20 फुट लंबी ईंट की संरचना विधायक के स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के माध्यम से बनाई गई थी. वहीं दरौंदा बीडीओ सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों का दावा है कि पुल का निर्माण 1991 में तत्कालीन महाराजगंज विधायक उमा शंकर सिंह के योगदान से हुआ था. महाराजगंज के उपमंडल मजिस्ट्रेट अनिल कुमार ने कहा कि 20 फीट लंबा पुल विधायक निधि से बना था.

मंगलवार को अररिया में उद्घाटन से पहले ढहा पुल

इससे पहले मंगलवार को  भी अररिया जिले में करीब 180 मीटर लंबा नवनिर्मित पुल ढह गया था. अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर यह पुल बनाया गया था. इस पुल का उद्घाटन किया जाना था, लेकिन इससे पहले ही पुल धड़ाम से गिर गया. सिकटी प्रखंड स्थित बकरा नदी पर 12 करोड़ की लागत से इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया था.

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ठेकेदार हुआ ब्लैकलिस्ट

 ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता इंजीनियर आशुतोष कुमार रंजन को इस पुल निर्माण के जांच की जिम्मेदारी मिली थी. अब इनका कहना है कि नदी की वक्र प्रवृति की वजह पुल गिरने का कारण हो सकती है  सिकटी विधायक विजय मंडल इस मामले में कहा कि जिले के ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा यह पुल तैयार किया गया था. विभागीय मंत्री अशोक चौधरी ने ठेकेदार सिराजुर रहमान के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने व उसे ब्लैक लिस्ट करने का निर्देश दिया.

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कहा जा रहा है कि पुल जमीन पर ही पिलर गाड़कर तैयार किया गया था. एप्रोच रोड भी नहीं बना था. करीब 12 करोड़ की लागत वाले करीब 100 मीटर का यह पुल था. इसका उद्घाटन नहीं हुआ था, पूरी तरह से कंप्लीट भी नहीं था. वहीं पुल गिरने का जो वीडियो सामने आया है. उसमें साफ तौर पर नजर आ रहा है कि घटिया सामग्री का इस्तेमाल पुल के निर्माण में हुआ है. इस कारण पूरा का पूरा पुल भरभारकर मंगलवार को गिर गया. लेकिन, विभागीय अभियंता ने इस बारे में कुछ भी न कहकर उल्टे नदी को हादसे के लिए दोषी ठहरा रहा है.

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बिहार में दो साल में गिरे ये पुल
हालांकि बिहार में यह पहला मामला नहीं है जिसमें कोई पुल निर्माण के दौरान ही जमींदोज हो गया. बीते एक साल में बिहार में पुल गिरने की लंबी फेहरिस्त है. इसी साल मार्च में सुपौल में शुक्रवार तड़के एक निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिर जाने की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि नौ लोग घायल हो गए. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा मधुबनी के भेजा और सुपौल जिले के बकौर के बीच कोशी नदी पर 10.2 किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण किया जा रहा था जिसका एक हिस्सा ढह गया.

खगड़िया पुल हादसा
पिछले साल 4 जून को खगड़िया के अगुवानी गंगा घाट पर निर्माणाधीन पुल तीन पाया समेत पूरा सेगमेंट गंगा में समा गया था. इस पुल के गिरने के लिए घटिया सामग्री के इस्तेमाल और पुल के डिजाइन में गलती को जिम्मेदार बताया था. इस पुलिस की लागत 1700 करोड़ रुपये थी. नीतीश कुमार ने इस मामले में जांच के आदेश भी दिए थे. यह पुल निर्माण के दौरान ही साल 2022 में भी गिर गया था जिसके बाद इसके डिजाइन को तैयार करने वाली फर्म को जिम्मेदार ठहराया गया था.

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फरवरी, 2023 को पटना में भी गिरा था पुल
खगड़िया हादसे से पहले बीते साल फरवरी महीने में राजधानी पटना में बना रहा एक निर्माणाधीन पुल भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया था. बिहटा-सरमेरा फोर लेन मार्ग पर रुस्तमंगज गांव में बन रहा एक पुल भरभरा कर गिर गया था. इस पुल को बनाने में घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल का आरोप लगा था.

नालंदा में दोबारा निर्माण के बाद भी ढह गया था पुल
साल 2022 के 18 नवंबर को बिहार के नालंदा जिल में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया था जिसमें एक शख्स की जान चली गई थी. वेना ब्लॉग में बना रहा ये चार लेन का पुल पहले भी एक बार जमींदोज हो चुका था जिसके बाद इसका फिर से निर्माण किया जा रहा था. यह पुल दूसरी बार भी गिर गया.

सहरसा में दो साल पहले जमींदोज हो गया था पुल
करीब दो साल पहले सहरसा जिले में भी निर्माण के दौरान एक पुल गिर गया था जिसमें तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. यह घटना 9 जून 2022 को हुई थी. सिमरी-बख्तियारपुर प्रखंड के कुंडुमेर गांव में कोशी तटबंध के पूर्वी हिस्से में बना रहा ये पुलिस धाराशायी हो गया था.
 

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