
बिहार के नवादा में मुफस्सिल थाना क्षेत्र में एक गांव है, नाम है कृष्णा नगर. बुधवार शाम 7 बजे अचानक इस गांव में पास के ही कुछ लोगों ने हमला किया. आरोप है कि गोलियां चलाईं और फिर दलित बस्ती में आग लगा दी. लेकिन ये घटना सामने आते ही दोनों तरफ के नेताओं ने अपने अपने हिसाब से पीड़ित और आरोपी की जाति में अपनी सियासत को हवा देना चाहा है, ऐसे में जरूरी है कि पहले पूरी घटना को समझ लिया जाए.
जिनकी बस्ती में आग लगाई गई वो बिहार के महादलित हैं. इनकी जाति मांझी और रविदास है, जो हमला करने वाले आरोपी हैं वो भी दलित और पिछड़ी जाति के हैं. इनमें आरोपी पासवान, यादव और EBC कोटे से आने वाले चौहान हैं. ये आग... ये हमला जातियों का आपसी संघर्ष नहीं, बल्कि जमीन पर कब्जे की पुरानी लड़ाई की वजह से हुआ है. इस हमले में पीड़ितों ने कच्चे मकान, झोपड़ी, सिर की छत, घर का अनाज और सबकुछ खो दिया है.
अब ये समझना भी जरूरी है कि बिहार में दलित और महादलित क्या हैं? दरअसल, विकास और आर्थिक स्थिति को देखते हुए बिहार में दलितों को दो भागों में बंटा गया है. एक दलित और दूसरे महादलित. जो मुख्य आरोपी बताया गया है उसका नाम नंदू पासवान है, वो दलित है, महादलित नहीं हैं, लेकिन सवाल ये है कि आरोपी का अपराध और पीड़ित का दर्द देखना जरूरी है या जाति?
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी समेत सत्ता पक्ष के नेता इस बात पर फोकस कर रह हैं कि आरोपियों में ज्यादातर यादव हैं और विपक्ष के नेता इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि पीड़ितों में ज्यादातर महादलित.
बस्ती में कुल 80 घर, इनमें 21 जलकर खाक
गरीबों को जमीन ना दे पाने वाली सरकार महादलितों को पक्का घर नहीं दे पाई. सरकार जमीन के विवाद में अपराधियों की मंशा भांप नहीं पाई. अपराधियों के हमले पर आरोपों के मुताबिक पुलिस वक्त से नहीं पहुंची. प्रशासन आग लगने के बाद ढंग से गरीबों को रुकवाने का इंतजाम नहीं कर पाया. घर छिन जाने के बाद बिहार सरकार ने पीड़ितों को चूड़ा और गुड़ के सहारे छोड़ दिया है. जिनके पास अब सिर्फ बुझे हुए चूल्हे हैं और कालिख से सने हुए चंद बर्तन. वहां प्रशासन फिलहाल इस बात पर अपने चेहरे पर लगी अकर्मण्यता की कालिख पोछने में जुटा है कि बस्ती में 80 घर होंगे, लेकिन जले केवल 21 हैं. नवादा के एसपी अभिवन धीमान कहते हैं कि सवा सात बजे सूचना मिली थी, 40-50 घर जलने का दावा था, हमने 21 परिवारों को चिह्नित किया है.
जले हुए घरों से अनाज बटोरने को मजबूर लोग
4 बांस के सहारे पन्नी चढ़ी हुई तिरपालनुमा छप्पर और फूस की जल चुकी झोपड़ियों की गिनती की जा रही है. पीड़ितों का दर्द है कि हे सरकार... काश आप समझ पाए होते कि दलित में महादलित बना देने के सियासी फायदे के बीच आम आदमी वाकई कितना गरीब है. जो जली हुई झोपड़ी में अपने बचे हुए गेहूं को बंटोरता हुआ नजर आता है. काश कि बिहार के सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता ये समझ पाए होते कि एक महादलित परिवार की झोपड़ी में कोई सोफा, अलमारी नहीं मिलती. वो तो किसी कोने में मटकी में चावल संजोकर रखा होगा, जिससे पेट भर जाए. आग लगी तो सब जलना था, जो बच गया उसे एक पीड़ित मां बंटोर रही है. और उनकी बच्ची दूर खड़े हुए ये मंजर देख रही है. उसके मन में शायद ये ख्याल आ रहा हो कि क्या घर जल जाने के बाद पेट में लगी भूख की आग इस चावल से मिटेगी, क्योंकि प्रशासन ने तो कुछ किया नहीं.
पीड़ितों का दर्द
पीड़िता सुनीता देवी ने कहा कि रात में रोड किनारे तिरपाल पर बैठकर बिताए हैं, चूड़ा खाकर रात भर रहे हैं, क्या खाएंगे, क्या रहेंगे क्या बच्चा खाएगा. कोई व्यवस्था दीजिए. पीड़िता रेखा देवी ने कहा कि 4 बच्चे हैं, रात में रोड पर रहे. बच्चों को चूड़ा गुड़ दिया, खाना खोज रहे हैं क्या खाएंगे. बाल बच्चा खाना खोजता रहा. प्रशासन के लोग आए थे, लेकिन हम कहां रहेंगे, क्या खाएंगे.
मुख्य संदिग्ध समेत 15 गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने मुख्य संदिग्ध नंदू पासवान समेत 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, गांव कृष्णा नगर नदीपार में रहने वाले लोगों में दहशत है और नवादा पुलिस अब अपराधियों को पकड़ने के लिए एक साथ छापेमारी कर रही है. इस बीच, इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी गांव में डेरा डाले हुए हैं. प्रारंभिक जांच में पाया गया कि यह घटना भूमि विवाद से उपजी है. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो पास के गांव प्राण बिगहा के भू-माफिया ने भी कई राउंड फायरिंग की. इस घटना के बाद कई घर खाली पड़े हैं, क्योंकि दीवारों पर कालिख लगी हुई है और मलबे से धुआं निकल रहा है. नवादा के एसडीपीओ (मुख्यालय) सुनील कुमार ने कहा कि बाकी संदिग्धों को पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है.
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