
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नंद किशोर यादव सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा के नए स्पीकर चुन लिए गए हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन के नेता और तेजस्वी यादव नेता विरोधी दल चुने गए. नंद किशोर यादव विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद जब चेयर की ओर जाने लगे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव अपनी कुर्सी से उठे और आगे बढ़कर उनका स्वागत किया. दोनों उन्हें आसन तक छोड़कर आए. इस दौरान तेजस्वी ने नंद किशोर के पांव छूकर आशीर्वाद लिया.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि आपको बहुत अनुभव है. कई बार मंत्री रह चुके हैं. आप सदन को बेहतर तरीके से चलाएंगे. तेजस्वी यादव ने भी नंद किशोर यादव को स्पीकर चुने जाने पर बधाई देते हुए कहा कि आपके लिए सदन के सभी सदस्य बराबर हैं. हमें पूरा भरोसा है कि आप निष्पक्ष होकर सदन चलाएंगे. इसके बाद सदन की कार्यवाही 19 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई. पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक रहे नंद किशोर यादव ने अपने पूर्ववर्ती राजद के अवध बिहारी चौधरी के अविश्वास प्रस्ताव में हार के एक दिन बाद मंगलवार को अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था.
अवध बिहारी चौधरी के स्पीकर पद से हटने के बाद जद (यू) नेता और विधानसभा के उप सभापति महेश्वर हजारी बजट सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे. नंद किशोर यादव 1969 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं. बिहार में उनकी गिनती यादव समाज के बड़े नेता के रूप में होती है. वह 2003 में बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक रहे. जब नीतीश कुमार ने राजग का साथ छोड़कर राजद के साथ सरकार बनाने का फैसला किया था, तब नंद किशोर यादव को बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष बनाया.
नंद किशोर यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा 1978 में शुरू की, जब वह 1982 में पटना नगर निगम के पार्षद और बाद में पटना के डिप्टी मेयर बने. वह पहली बार 1995 में विधायक चुने गए. नीतीश कुमार की सरकार में वह पहले भी कई बार मंत्री रह चुके हैं. अध्यक्ष पद के लिए भाजपा द्वारा नंद किशोर यादव के चयन को वर्तमान सरकार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और सामान्य वर्ग के बीच जातीगत समीकरण साधने के भगवा पार्टी के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.