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आंदोलन के बीच सियासी लड़ाई... बिहार में BPSC छात्रों का आंदोलन क्यों तेजस्वी बनाम प्रशांत किशोर के क्रेडिट वॉर में बदल गया?

बिहार में बीपीएससी प्रोटेस्ट अभ्यर्थी बनाम आयोग या अभ्यर्थी बनाम सरकार से अधिक तेजस्वी यादव बनाम प्रशांत किशोर हो गया है. इस आंदोलन को लेकर तेजस्वी यादव और पीेके के बीच क्रेडिट वॉर क्यों शुरू हो गया है?

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 01 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST

बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर अभ्यर्थियों के आंदोलन ने अब सियासी रंग ले लिया है. दो दिन पहले जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) ने कथित पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच रविवार को छात्र संसद का आह्वान किया था. छात्र संसद के बाद सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे छात्रों पर पटना पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. अब इसे लेकर सियासत तेज हो गई है.

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बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पीके पर छात्रों को गुमराह कर आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए इसे बड़ी ही चालाकी से आंदोलन कुचलने का प्रयास करार दिया. पीके ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए तेजस्वी पर पलटवार किया. बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों के आंदोलन के बीच अब चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने पीके और तेजस्वी यादव के बीच क्रेडिट वॉर छिड़ गया है. सवाल उठ रहा है कि छात्रों के आंदोलन के बीच सियासी लड़ाई क्यों छिड़ गई?

बीपीएससी प्रोटेस्ट के बीच सियासी लड़ाई क्यों?

जन सुराज पार्टी के औपचारिक सियासी डेब्यू से पहले से ही प्रशांत किशोर के निशाने पर आरजेडी, लालू यादव का परिवार और तेजस्वी यादव रहे हैं. पीके की सत्ता से अधिक विपक्षी दल पर आक्रामकता के पीछे नई पार्टी को चुनावी साल के आगाज से पहले विपक्ष के तौर पर स्थापित करने की रणनीति भी वजह बताई जाती है. दो युवा नेताओं के बीच क्रेडिट वॉर क्यों छिड़ा है, इसे चार पॉइंट में समझा जा सकता है.

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1-बिहार चुनाव करीब

बिहार विधानसभा के चुनाव में अब एक साल से भी कम का समय बचा है. साल 2025 के अंत तक बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. आरजेडी सूबे के विपक्षी गठबंधन महागठबंधन की अगुवाई कर रही है तो वहीं पीके की पार्टी जन सुराज अपनी सियासी जमीन बनाने की कोशिश में जुटी है. ऐसे में, दोनों ही दल नहीं चाहेंगे कि वो युवाओं के भविष्य से जुड़े इस मुद्दे पर क्रेडिट वॉर में पिछड़ जाएं. आरजेडी और जन सुराज, दोनों ही पार्टियों का फोकस इसके पीछे वोटों का गणित भी है. 

2- युवा वोटों का गणित

बीपीएससी प्रोटेस्ट सीधे-सीधे युवाओं से जुड़ा मुद्दा है और बिहार की कुल आबादी में 25 साल से कम आयुवर्ग के लोगों की हिस्सेदारी रिपोर्ट्स के मुताबिक 58 फीसदी के करीब है. युवाओं को एनडीए का कोर वोटर भी माना जाता है. आरजेडी का युवा चेहरा तेजस्वी यादव 2020 के चुनाव से ही रोजगार के वादे के सहारे इस वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं.

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नीतीश कुमार की महागठबंधन सरकार के समय सरकारी नौकरियों को आरजेडी उपलब्धि के तौर पर जनता के बीच लेकर जा रही है. परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर युवाओं के आंदोलन में पीके की एंट्री के बाद आरजेडी को शायद ये लगा हो कि युवा कहीं जन सुराज के साथ न हो जाएं. जन सुराज भी पलायन और बेरोजगारी जैसे मुद्दों के जरिये यूथ पॉलिटिक्स की पिच पर एक्टिव है.

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3- भविष्य की सियासत

बिहार की सियासत में यह बहस भी समय-समय पर छिड़ जाती है कि एनडीए और जेडीयू में नीतीश कुमार का विकल्प कौन होगा? सीएम नीतीश की उम्र बिहार चुनाव तक 74 साल से अधिक हो चुकी होगी. तेजस्वी और उनकी पार्टी के नेता बार-बार उनकी बढ़ती उम्र का जिक्र कर निशाना साधते हैं, थका बताते हैं तो उसके पीछे भी खुद को उनके विकल्प के रूप में प्रोजेक्ट करने की रणनीति ही वजह बताई जाती है. जन सुराज के पीके की नजर भी भविष्य की सियासत पर है. ऐसे में अपनी-अपनी सियासी जमीन मजबूत कर 2025 की चुनावी जंग फतह करने की जुगत में जुटे दो नेताओं के बीच सियासी लड़ाई छिड़ी हुई है.

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4- एनडीए का काउंटर प्लान

पीके और तेजस्वी यादव के बीच छिड़े क्रेडिट वॉर के पीछे जानकार सत्ताधारी गठबंधन के काउंटर प्लान को भी एक वजह बता रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार ओमप्रकाश अश्क ने कहा कि तेजस्वी के हर हथियार की धार नीतीश कुमार कुंद करते चल रहे हैं. रोजगार के मुद्दे को 9 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां देकर और चुनाव से पहले इसे 12 लाख तक पहुंचाने की बात कर नीतीश ने एक हद तक कुंद कर दिया है. महिलाओं के लिए नकद राशि के वादे से तेजस्वी को बहुत उम्मीदें हैं. नीतीश सरकार अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को कैश बेनिफिट देती रही है. ऐसे में इसका असर कितना होगा, इस पर भी कोई अनुमान लगा पाना कठिन है. अब विपक्ष को बीपीएससी प्रोटेस्ट ने जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर बड़ा और नया मुद्दा दे दिया है.

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