
बिहार में पुलों के टूटने की बार-बार होने वाली घटनाओं की जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और केंद्र सरकार को जवाब देने का अंतिम अवसर दिया है. शीर्ष अदालत ने सोमवार को याचिका पर जवाब दाखिल नहीं करने के बिहार सरकार के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया. अदालत ने बिहार सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 5 हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है. याचिका पर अगली सुनवाई 15 फरवरी 2025 को होनी है. यह याचिका बिहार निवासी वकील ब्रजेश सिंह ने दायर की है. इसमें सुप्रीम कोर्ट से बिहार सरकार को राज्य के सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों का ऑडिट कराने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने भविष्य में पुल ढहने की घटनाओं को रोकने के लिए पुराने और कमजोर पुलों को ध्वस्त करने या उनका पुनर्निर्माण की भी मांग की है.
सेवानिवृत्त तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस साल 29 जुलाई को वकील ब्रजेश सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर बिहार सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित अन्य से जवाब मांगा था. लेकिन बिहार सरकार की ओर से इस संबंध में अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है. याचिकाकर्ता ब्रजेश सिंह ने 14 नवंबर को अपनी लंबित जनहित याचिका को लेकर एक अंतरिम आवेदन दायर किया, जिसमें बिहार में पुलों की खराब स्थिति से संबंधित 15 समाचार रिपोर्टों को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की गई. उन्होंने बिहार के नालंदा जिले की एक हालिया घटना का जिक्र किया जहां एक जर्जर पुल से नदी में गिरने से 18 वर्षीय एक लड़के की मौत हो गई थी.
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याचिकाकर्ता ने कहा था कि राज्य सरकार और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने शीर्ष अदालत द्वारा जुलाई में नोटिस जारी करने के बावजूद आज तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. उन्होंने दावा किया कि हाल ही में 3 नवंबर को दरभंगा जिले में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया था और संबंधित कंपनी को रात में गुप्त रूप से उस मलबे को हटाते देखा गया था. राज्य और एनएचएआई के अलावा, शीर्ष अदालत ने सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और ग्रामीण कार्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी नोटिस जारी किया था. इस साल मई, जून और जुलाई के दौरान बिहार के सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों में पुल ढहने की दस घटनाएं सामने आई थीं. दावा किया गया कि भारी बारिश के कारण ये घटनाएं हुई होंगी.
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जनहित याचिका में बिहार में पुलों की सुरक्षा के बारे में चिंता जताई गई है, जहां आमतौर पर मानसून के दौरान भारी बारिश और बाढ़ आती है. एक उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ पैनल स्थापित करने के अलावा, याचिका में एनएचएआई द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार पुलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग की भी मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिहार भारत में सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है. राज्य में कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68,800 वर्ग किमी है जो इसके कुल भौगोलिक क्षेत्र का 73.06 प्रतिशत है. पुल ढहने की घटनाओं के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण और ग्रामीण कार्य विभाग को राज्य के सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और तत्काल मरम्मत की आवश्यकता वाले पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया है.