
पूर्व चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अब बिहार के सियासी मैदान में उतर गए हैं. बुधवार को महात्मा गांधी की जयंती पर उन्होंने पटना में अपने राजनीतिक दल 'जन सुराज' का ऐलान किया. प्रशांत पिछले दो साल से बिहार में जन सुराज अभियान के तहत पदयात्रा कर रहे थे. भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके मनोज भारती को जन सुराज का पहला कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है. जानिए PK की पार्टी में प्रमुख चेहरे कौन-कौन हैं?
मनोज भारती
मनोज भारती मूलत: मधुबनी जिले के रहने वाले हैं और दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वे पिछले दो साल से जन सुराज के लिए बिहार में सक्रिय हैं. भारती अगले साल मार्च तक कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे और सांगठनिक चुनाव के बाद नियमित अध्यक्ष होंगे. जन सुराज में अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल के लिए होगा. आज जन सुराज के नेतृत्व समिति की घोषणा कर दी जाएगी. इसका कार्यकाल दो साल के लिए होगा. PK का कहना था कि मनोज को योग्यता और समर्पण के आधार पर चुना गया है.
मनोज भारती ने संयुक्त बिहार के सबसे प्रतिष्ठित सरकारी स्कूल नेतरहाट (अब झारखंड के रांची में) से पढ़ाई की. उन्होंने आईआईटी कानपुर इंजीनियरिंग की. उसके बाद साल 1988 में यूपीएससी परीक्षा पास की और आईएफएस अधिकारी बने. भारतीय विदेश सेवा में रहते हुए मनोज ने चार देशों इंडोनेशिया, बेलारूस, यूक्रेन और तिमोर लेस्ते में भारत के राजदूत के तौर पर काम किया. मनोज, राजदूत बनने से पहले म्यांमार, तुर्किए, नेपाल, नीदरलैंड और ईरान में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है. साल 2017 में तारास शेवचेंको नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कीव (यूक्रेन) से इंटरनेशनल रिलेशन (ऑनर्स) में मास्टर डिग्री हासिल की. कई किताबें भी लिखीं हैं. मनोज को कई भाषाओं का भी ज्ञान है. वे हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, फारसी के साथ-साथ बंगाली, रूसी, बहासा, फ्रेंच भी जानते हैं.
देवेंद्र प्रसाद यादव
आरजेडी नेता रहे देवेंद्र प्रसाद यादव भी जन सुराज का हिस्सा हैं. वे झंझारपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं और बड़े समाजवादी नेता माने जाते हैं. देवेंद्र यादव 1977 में पहली बार विधायक बने. कर्पूरी ठाकुर के लिए विधायक पद से इस्तीफा देकर सीट खाली की. 1996 में केंद्रीय मंत्री बने. देवेंद्र कहते हैं कि मैंने 1996 में प्रधानमंत्री पद के लिए मुलायम सिंह यादव का समर्थन किया तो लालू प्रसाद भड़क गए थे. इसके ठीक एक साल बाद मुझे केंद्रीय मंत्री पद से हटा दिया गया. यादव झंझारपुर से 5 बार सांसद रह चुके हैं. इससे पहले वे जेडीयू और राजद में रह चुके हैं.
देवेंद्र प्रसाद यादव 1989, 1991 और 1996 में एकीकृत जनता दल, 1999 में जदयू और 2004 में आरजेडी के टिकट पर झंझारपुर से चुनाव जीते और सांसद रहे. वे एचडी देवेगौड़ा की सरकार मे केंद्रीय खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री थे. उन्होंने समाजवादी जनता दल डेमोक्रेटिक का भी गठन किया था, जिसका आरजेडी में विलय हो गया था.
जागृति ठाकुर
दिवंगत समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर की पोती जागृति ठाकुर भी जन सुराज का हिस्सा बनी हैं. जागृति के पिता वीरेंद्र नाथ ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे हैं. दिवंगत कर्पूरी ठाकुर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद समेत राज्य के कई बड़े नेताओं के गुरु के रूप में देखा जाता है.
कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्हें 'जननायक' भी कहा जाता है. उनका निधन 1988 में हुआ. 36 साल बीतने के बाद उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया है. केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती से ठीक एक दिन पहले ये घोषणा की थी. बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव दोनों कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक विरासत पर दावा करते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू से कर्पूरी ठाकुर के बड़े बेटे रामनाथ ठाकुर राज्यसभा सांसद हैं और मोदी सरकार में राज्य मंत्री भी हैं. कर्पूरी ठाकुर बिहार की अति पिछड़ी जाति नाई से ताल्लुक रखते थे. बिहार में अति पिछड़ी जातियां सबसे बड़ा जातीय समूह है. ये राज्य की आबादी के करीब 36 फीसदी है. उसके बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जो राज्य में 27.12 फीसदी आबादी है. इस वोट बैंक पर हर पार्टी की नजर है.
माना जा रहा है कि कर्पूरी ठाकुर के छोटे बेटे वीरेंद्र नाथ ठाकुर पेशे से डॉक्टर रहे हैं. पिछले साल ही वे रिटायर हुए हैं. जागृति के साथ अपने दादा की पहचान है और आने वाले दिनों में प्रशांत की पार्टी चाहेगी कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर की विरासत के तौर पर पेश किया जाए. चूंकि, बिहार के ओबीसी वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा अब तक नीतीश और लालू यादव की पार्टियों के साथ रहा है. बिहार में नई ताकत बनकर उभर रहे प्रशांत किशोर भी हर वर्ग के बीच पैठ बनाने में जुटे हैं. अगर वो कामयाब होते हैं तो जेडीयू, आरजेडी के साथ बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
राजनयिक से राजनेता बने पवन वर्मा
प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को एक समय नीतीश का बेहद करीबी माना जाता था. हालांकि, साल 2020 में नीतीश कुमार ने पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को जदयू से बाहर कर दिया था. जनवरी 2020 में पवन वर्मा ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर नीतीश कुमार के स्टैंड पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने बीजेपी के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर भी आपत्ति जताई थी. पवन वर्मा ने कहा था कि नीतीश कुमार ने बीजेपी और आरएसएस के सामने सरेंडर कर दिया है. उसके बाद पवन वर्मा, ममता बनर्जी की पार्टी TMC में शामिल हो गए. ममता ने उन्हें टीएमसी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था. बाद में उन्होंने टीएमसी छोड़ दी. अब वे प्रशांत किशोर के जन सुराज का हिस्सा हैं.
पवन वर्मा ने जनवरी 2013 से फॉरेन सर्विस से रिटायर होने के बाद बिहार की राजनीति में एंट्री की थी. पवन का जन्म 5 नवंबर 1953 में हुआ था. वे सबसे पहले मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार बने थे. उसके बाद जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए. वो जून, 2014 से जुलाई 2016 तक राज्य सभा के सदस्य रहे. राजनीतिज्ञ के साथ-साथ वो अपने लेखन के लिए भी जाने जाते हैं. पवन अब तक 10 के करीब फिक्शन और नॉन फिक्शन लिख चुके हैं. उन्होंने कई किताबों का उर्दू या हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है.
मोनाजिर हसन
जन सुराज के सदस्यों में बिहार के पूर्व मंत्री मोनाजिर हसन का नाम भी शामिल है. हसन राजद के साथ-साथ जद (यू) से भी जुड़े रहे हैं. वे सांसद भी रहे हैं और राज्य विधानमंडल का भी हिस्सा रहे हैं. उनका लंबा कार्यकाल रहा है. वे राजनीति में मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं.
रामबली सिंह
पूर्व राजद एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी ने भी जन सुराज अभियान जॉइन किया है. रामबली सिंह को हाल ही में अनुशासनहीनता के आरोप में विधान परिषद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा
पूर्व आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा भी जन सुराज का हिस्सा हैं. आनंद इस साल बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने पद से इस्तीफा भी दे दिया था. हालांकि, बाद में जब बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो वे बक्सर से निर्दलीय चुनाव लड़े थे.
जदयू नेता मंगनी लाल मंडल की बेटी प्रियंका भी जन सुराज में शामिल हुईं हैं. मंगनी लाल जदयू के पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी रहे हैं.
केंद्र में मंत्री रह चुके डीपी यादव, बीजेपी के पूर्व सांसद छेदी पासवान, पूर्व सांसद पूर्णमासी राम भी जन सुराज से जुड़े हैं. इसके अलावा, लेखक और मानसिक विज्ञान के प्रोफेसर केसी सिन्हा, पूर्व मंत्री रघुनाथ पांडेय की पुत्रवधू विनीता विजय, पूर्व सांसद सीताराम यादव का नाम भी शामिल है. पार्टी के साथ 100 से ज्यादा पूर्व आईएएस और आईपीएस अधिकारी जुड़े हुए हैं. 2023 में बिहार पुलिस में अलग-अलग पदों पर रह चुके भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 12 पूर्व अधिकारी भी जन सुराज अभियान से जुड़े थे. इससे पहले प्रशांत किशोर के जन सुराज अभियान से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 6 पूर्व अधिकारी भी जुड़े थे.
क्या दावे कर रहे हैं प्रशांत किशोर?
प्रशांत किशोर ने ठीक दो साल पहले चंपारण से बिहार में जन सुराज पैदल यात्रा की शुरुआत की थी. ये पदयात्रा 3,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी रही. प्रशांत खुद I-PAC के संस्थापक हैं. उन्होंने कुछ साल पहले चुनावी रणनीतिकार के काम से खुद को दूर कर लिया है. प्रशांत ने कहा, जन सुराज एक अभियान है इसका उद्देश्य बिहार के लोगों को यह समझाना है कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और नौकरी के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. उन्होंने कभी भी इन मुद्दों पर वोट नहीं दिया है. हमें राज्य में शिक्षा में सुधार के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की जरूरत होगी. हम शराबबंदी कानून को खत्म करके धन जुटाएंगे, जिससे सालाना 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. मैं दोहराता हूं कि जन सुराज सत्ता में आएगा. शराब पर प्रतिबंध एक घंटे के भीतर हटा दिया जाएगा.