
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) आज अपनी पार्टी 'जन सुराज' लॉन्च करने जा रहे हैं. पीके ने ऐलान किया है कि पार्टी की लॉन्चिंग के बाद भी जन सुराज पदयात्रा जारी रहेगी. बिहार में अगले साल ही विधानसभा चुनाव होने हैं. पीके ने कहा है कि जन सुराज 2025 में बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. पार्टी कम से कम 40 विधानसभा सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी. बिहार के रोहतास जिले से ताल्लुक रखने वाले प्रशांत किशोर के परिवार की बात करें तो उनके पिता एक डॉक्टर रहे. पत्नी भी डॉक्टर हैं. उनका एक बेटा है.
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तो सबसे ज्यादा चर्चा हुई एक गैर राजनीतिक नाम की. ये नाम था प्रशांत किशोर का, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी कैंपेन डिजाइन किया था. इसके बाद से ही आम लोगों के अलावा पॉलिटिकल पार्टियों की दिलचस्पी भी प्रशांत किशोर में बढ़ गई. सब लोग उनके बारे में जानना चाहते थे. अब इतने सालों में कई दलों के लिए सफल रणनीति बनाकर अपनी पहचान बना चुके प्रशांत के पारिवारिक जीवन के बारे में कम ही लोग जानते हैं.
बिहार के रोहतास जिले में कोनार गांव के रहने वाले प्रशांत किशोर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता दिवंगत श्रीकांत पांडे डॉक्टर थे. ऐसे में जहां-जहां उनकी पोस्टिंग हुई, वहां के सरकारी स्कूल में शुरुआती पढ़ाई हुई.
कुछ समय बाद वो पटना साइंस कॉलेज चले गए. फिर हिंदू कॉलेज आ गए, तबीयत खराब हुई तो बीच में ही छोड़कर चले गए. आखिरकार ग्रेजुएशन लखनऊ से पूरा किया. फिर हैदराबाद होते हुए अमेरिका, भारत, दक्षिण अफ्रीका और फिर भारत आ गए. प्रशांत ने बताया कि उन्होंने हर दो साल में पढ़ाई छोड़ दी. बारहवीं के बाद तीन साल छोड़ी, फिर ग्रेजुएशन के बाद दो साल छोड़ी. किसी तरह उन्हें यूएन में नौकरी मिल गई.
प्रशांत किशोर की पत्नी जाह्नवी दास असम राज्य की रहने वाली हैं और पेशे से डॉक्टर हैं. प्रशांत और जाह्नवी की मुलाकात यूएन के हेल्थ प्रोग्राम में एक साथ काम करने के दौरान हुई थी. यह मुलाकात दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. कुछ समय बाद विवाह रचा लिया. उनका एक बेटा भी है. फिलहाल जाह्नवी डॉक्टरी छोड़ बिहार में प्रशांत और बेटे के साथ ही रहती हैं. प्रशांत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2018 में उनकी माताजी का देहांत हो गया. बाकी भाई-बहन सब दिल्ली में रहते हैं. बिहार में परिवार का अब कोई नहीं है.
बता दें कि 2014 में पीएम मोदी की सरकार बनने के बाद किशोर ने 2015 में इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (I-PAC) के साथियों के साथ बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इलेक्शन कैंपेन और स्ट्रेटजी की जिम्मेदारी संभाली. उन्होंने 'नीतीश के निश्चय: विकास की गारंटी' के नारे के साथ, सीएम के सात कमिटमेंट्स को जनता तक पहुंचाया. बिहार चुनाव जीतने पर, नीतीश ने किशोर को अपना सलाहकार बनाया था.
2016 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा में चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए प्रशांत किशोर को नियुक्त किया. लगातार दो बार हारने के बाद 2017 में प्रशांत किशोर की रणनीति से चुनाव लड़कर कांग्रेस पंजाब में सत्ता में लौटी. साल 2017 के यूपी चुनावों के लिए कांग्रेस ने किशोर को नियुक्त किया, लेकिन यहां उन्हें सफलता नहीं मिली.
इसके बाद किशोर को मई 2017 में वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया. उन्होंने रेड्डी के चुनावी अभियानों की एक सीरीज को डिजाइन किया और वाईएसआरसीपी ने 175 सीटों में से 151 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की.
किशोर 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के चुनावी रणनीतिकार थे. आदमी पार्टी चुनावों में 70 में से 62 सीटों पर भारी बहुमत से जीतने में सफल रही. किशोर को 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस के सलाहकार बनाया गया तो उनकी सफल रणनीति ने ममता बनर्जी को 294 सीटों में से 213 सीटों पर भारी जीत दिलाई. साल 2021 में वे DMK प्रमुख एम के स्टालिन के रणनीतिकार थे. उनके मैनेजमेंट में DMK ने 159 सीटों के साथ चुनाव जीता और स्टालिन पहली बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने.