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बिहार में हाहाकार, 56 सालों बाद फिर दिख रहा कोसी का कहर, सीतामढ़ी में टूटा तटबंध

बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी ने एक बार फिर रौद्र रूप धारण कर लिया है, बीरपुर में कोसी नदी पर बने बराज से सुबह पांच बजे तक कुल 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 सालों में सबसे ज्यादा है. पानी छोड़े जाने के बाद महानंदा जैसी नदियां उफान पर हैं और कटिहार, पूर्णिया के कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं. लोगों को कटाव का सामना भी करना पड़ रहा है.

**संपादन: पीटीआई वीडियो के माध्यम से स्क्रीनशॉट** बगहा: बिहार के बगहा में भारी बारिश के कारण गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि के बाद बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से गुजरते यात्री, शनिवार, 28 सितंबर, 2024। (पीटीआई फोटो)(पीटीआई09_28_2024_000193ए) **संपादन: पीटीआई वीडियो के माध्यम से स्क्रीनशॉट** बगहा: बिहार के बगहा में भारी बारिश के कारण गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि के बाद बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से गुजरते यात्री, शनिवार, 28 सितंबर, 2024। (पीटीआई फोटो)(पीटीआई09_28_2024_000193ए)
aajtak.in
  • पटना,
  • 29 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:51 PM IST

बिहार में बीरपुर और वाल्मिकीनगर बैराजों से लगातार पानी छोड़े जाने के बाद अब पूरे राज्य पर जल प्रलय का भारी खतरा मंडरा रहा है. अधिकारियों ने कहा कि बिहार सरकार ने रविवार को बीरपुर और वाल्मिकीनगर बैराजों से भारी पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के उत्तरी, दक्षिणी और मध्य हिस्सों में बाढ़ की चेतावनी जारी की है.

सीतामढ़ी में टूटा तटबंध

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उन्होंने बताया कि रविवार को सीतामढी जिले के मधकौल गांव में बागमती नदी का तटबंध टूट गया, जिसकी मरम्मत की जा रही है. सीतामढ़ी के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) रिची पांडे ने कहा, 'इस घटना के कारण, ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और मरम्मत कार्य जारी है.अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.'

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बीरपुर बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण शनिवार की रात गोपालपुर के पास कोसी पूर्वी तटबंध से भी रिसाव की सूचना मिली, जिसे जल संसाधन विभाग (डब्ल्यूआरडी) के इंजीनियरों ने दुरुस्त कर दिया.

56 साल में छोड़ा गया सबसे अधिक पानी

कोसी नदी पर बीरपुर बैराज से सुबह पांच बजे तक कुल 6.61 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 साल में सबसे ज्यादा है. राज्य जल संसाधन विभाग के नए बुलेटिन के अनुसार, आखिरी बार इस बैराज से 1968 में 7.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था.

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अधिकारियों ने कहा कि इससे 13 जिलों के 16.28 लाख से अधिक लोगों की स्थिति खराब हो सकती है, जो पहले से ही भारी बारिश के बाद बाढ़ से प्रभावित थे. इसी तरह गंडक पर वाल्मिकीनगर बराज से शनिवार रात 10 बजे तक 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. 2003 में छोड़े गए 6.39 लाख क्यूसेक के बाद इस बैराज से छोड़ा गया यह सबसे अधिक पानी है. एहतियात के तौर पर कोसी बैराज के पास यातायात की आवाजाही रोक दी गई है.

90 इंजीनियरों की टीम कर रही 24 घंटे काम

जल संसाधन विभाग की टीमें 24x7 आधार पर तटबंधों की निगरानी कर रही हैं ताकि किसी भी कटाव या खतरे का पता चलते ही त्वरित कार्रवाई की जा सके. विभाग के तीन चीफ इंजीनियर, 17 एक्जक्यूटिव इंजीनियर, 25 असिस्टेंट इंजीनियर और 45 जूनियर इंजीनियर 24x7 आधार पर काम कर रहे हैं और हाई अलर्ट पर हैं. राज्य के  जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है.

मंत्री ने की लोगों से अपील

उन्होंने कहा, 'पिछले दो-तीन दिनों से लगातार बारिश के बाद राज्य भर में गंडक, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला बलान और महानंदा, बागमती और गंगा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है. मंत्री ने कहा, नेपाल के कारण सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर नदियां खतरे के स्तर को छू रही हैं या खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं.

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सीमांचल के कई इलाके जलमग्न

अधिकारियों ने कहा कि इन दोनों बैराजों से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद नदी का अतिरिक्त पानी पश्चिम और पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, अररिया, सुपौल, कटिहार, पूर्णिया और कई अन्य जिलों के निचले इलाकों में प्रवेश कर गया है. बिहार के कई जिलों में पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया है क्योंकि आईएमडी ने भारी बारिश की भविष्यवाणी की है और राज्य के कुछ हिस्सों में अचानक बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी है.


 

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