
बिहार में पुल गिरने का सिलसिला लगातार जारी है. 18 जून से अब तक बिहार में कुल 12 पुल पानी में समा चुके हैं. मंत्रियों के पास अपने-अपने तर्क हैं और विपक्ष लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है. नीतीश सरकार में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि कई नदियों का रूट बदल गया है. उनका कहना है कि ठेकेदार पर एफआईआर का कोई प्रोविजन नहीं है.
'नदियों का रूट बदल गया'
पुलों के गिरने की घटनाओं पर अशोक चौधरी ने कहा, 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पुलों के मेंटेनेंस की पॉलिसी लाने के लिए कहा है. बिहार में जितने भी पुल हैं मुख्यमंत्री ने अलग-अलग विभाग को उन सभी पुलों को लेकर मेंटेनेंस पॉलिसी लाने का स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री सेतु योजना 2016 में बंद हो गई थी. उसको एक बार फिर से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है.'
उन्होंने कहा, 'कई जगहों पर नदी का रूट बदल गया है, जिसकी वजह से कई जगहों पर घटनाएं हुई हैं. जो ठेकेदार काम कर रहे थे उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग की एफआईआर की जाएगी. ठेकेदार पर एफआईआर का कोई प्रोविजन नहीं है लेकिन अगर इस तरह की घटना होगी तो सरकारी धन के दुरुपयोग की एफआईआर निश्चित रूप से हम करेंगे.'
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए अशोक चौधरी ने कहा, 'ये विभाग आरजेडी के पास था. तेजस्वी यादव इसके मंत्री थे. जब जेडीयू के पास विभाग आया उसके बाद चुनाव था और अभी 20 दिन का समय मिला है तो आप बताएं कि कौन इसका जिम्मेदार है.'
'नीतीश का सिस्टम किसी को काम नहीं करने देता'
वहीं आरजेडी के वरिष्ठ नेता रणविजय साहू ने कहा, 'नीतीश कुमार को इस मामले पर जवाब देना चाहिए. नीतीश कुमार दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री हैं. बिहार में लंबे वक्त से डबल इंजन वाली एनडीए की सरकार है. तेजस्वी यादव जब डिप्टी सीएम थे वे काम करना चाहते थे लेकिन नीतीश कुमार का सिस्टम किसी को काम नहीं करने देता.'
'तेजस्वी के मुंह से ये बात अच्छी नहीं लगती'
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, 'ये बेहद गंभीर मामला है. सरकार इसे लेकर एक्शन में है. गिरने वाले सभी पुल पथ निर्माण विभाग के नहीं हैं. इसमें ग्रामीण कार्य विभाग का भी पुल है. इसे लेकर कमिटी भी बनाई गई है. जो संवेदक दोषी हैं उन पर एक्शन होगा.'
विपक्ष पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, 'तेजस्वी यादव के मुंह से ये सब बात अच्छी नहीं लगती. गिरने वाले ज्यादातर पुल आरजेडी और कांग्रेस शासनकाल के हैं. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है. मैं खुद इसे लेकर गंभीर हूं.'
तेजस्वी ने साधा निशाना
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर कहा, '4 जुलाई यानी आज सुबह बिहार में एक पुल और गिरा. कल 3 जुलाई को ही अकेले 5 पुल गिरे. 18 जून से लेकर अभी तक 12 पुल ध्वस्त हो चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर एकदम खामोश और निरुत्तर हैं. सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें? सदैव भ्रष्टाचार, नैतिकता, सुशासन, जंगलराज, गुड गवर्नेंस इत्यादि पर राग अलपा, दूसरों में गुण दोष के खोजकर्ता, कथित उच्च समझ के उच्च कार्यकर्ता, उन्नत कोटि के उत्कृष्ट पत्रकार सह पक्षकार तथा उत्तम विचार के श्रेष्ठ लोग अंतरात्मा का गला घोंट इन सुशासनी कुकृत्यों पर चुप्पी की चादर ओढ़ सदाचारी बन चुके हैं.'
नीतीश कुमार ने की बैठक
पुलों के गिरने के मामले पर सीएम नीतीश कुमार ने अधिकारियों के साथ बुधवार की देर शाम बैठक की. बैठक में राज्य के मुख्य सचिव और पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस पूरे मामले को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
बिहार में लगातार पुल गिरने की बढ़ती घटनाओं का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में ब्रजेश सिंह ने एक रिट याचिका दाखिल कर राज्य में मौजूद और हाल के वर्षों में हुए छोटे बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की गुहार लगाई है. इसके अलावा पुल सहित सरकारी निर्माण की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए एक समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक नीति और उसके परिपालन के लिए गाइड लाइन तैयार करने का आदेश देने की भी गुहार लगाई गई है.
याचिका में पिछले दो सालों में दो बड़े पुलों और छोटे मझौले कई पुलों के निर्माणाधीन या बनने के फौरन बाद गिरने, ढहने और बहने की घटनाएं सामने आई हैं. याचिका में कहा गया है कि बिहार बाढ़ प्रभावित राज्य है. यहां 68, 800 वर्ग किलोमीटर यानी 73.6 फीसद भूभाग भीषण बाढ़ की चपेट में आता है.
याचिका में पिछले दो सालों में 12 पुलों के ढहने या बहने की घटनाओं का हवाला दिया गया है. याचिका में बिहार सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन और उच्च पथ मंत्रालय, हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, बिहार के पथ निर्माण और परिवहन मंत्रालय, पुल निर्माण निगम सहित छह पक्षकार बनाए गए हैं.
बिहार में कब-कब गिरे पुल?