
बिहार के कटिहार में एक बड़ा रेल हादसा टल गया. बताया जा रहा है कि क्रॉस ओवर पर पेट्रोल से लदे 5 टैंकर पटरी से उतर गए. खुरियाल और कुमेदपुर बाइपास के पास शुक्रवार की सुबह मालगाड़ी संख्या (आईओआरजी बीटीपीएल) पटरी से उतर गई है, जो एनजेपी से कटिहार जा रही थी. यह हादसा कटिहार रेल मंडल में हुआ. इस हादसे के कारण रेलवे परिचालन बाधित हो गया है.
पिछले 3 साल में 131 रेल हादसे हुए
RTI के जरिए रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 7 जुलाई 2021 से 17 जून 2024 तक देश में 131 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं हैं, इनमें से 92 ट्रेन डिरेलमेंट की घटनाएं हैं. इन दुर्घटनाओं में 64 पैसेंजर ट्रेन और 28 मालगाड़ी शामिल हैं, पिछले तीन सालों में हर महीने 2 पैसेंजर ट्रेन और 1 मालगाड़ी डिरेल हुई है.
सिर्फ 2% रेल रूट पर कवच सिस्टम इंस्टॉल हुआ
अब आम आदमी पूछने लगा है कि जिस टिकट पर हैप्पी जर्नी रेलवे लिखता है, वाकई वो जनता की जर्नी हैप्पी चाहता भी है या नहीं. क्योंकि अब तक सिर्फ 2% रेल रूट पर ही कवच सिस्टम इंस्टॉल हो पाया है, जिससे दावा होता है कि ट्रेन को टक्कर से बचाया जा सकता है. यानी भारतीय रेलवे नेटवर्क के 97% से ज्यादा हिस्से में टक्कर रोधी सिस्टम अभी लगा तक नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितने साल तक रेल कवच के इंतजार में टक्कर आम आदमी सहता रहे?
रेल कवच के लिए 1100 करोड़ रुपए आवंटित
भारतीय रेलवे में अबकी बार रेल कवच के लिए करीब 1100 करोड़ रुपए आवंटित हुए हैं. दावा है कि सभी रूट पर रेल कवच के लिए जरूरत 45 हजार करोड़ से ज्यादा की है, इस हिसाब से विपक्ष कहता है कि हर रूट पर टक्कर से ट्रेन को बचाने वाला सिस्टम लगाने में कई दशक लग जाएंगे, तो क्या तब तक जनता की जान सस्ती समझी जाएगी.