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दरभंगा के पैतृक घर में हुई मुकेश सहनी के पिता की निर्मम हत्या, जानिए दो भाई समेत फैमिली में कौन-कौन है?

VIP के सुप्रीमो मुकेश सहनी का दरभंगा के सुपौल बाजार के अफजला पंचायत में पैतृक घर है. यहां उनके पिता जीतन साहनी अकेले रहते थे. मंगलवार सुबह उनका शव घर में पड़ा मिला. बिहार में ये बहुत बड़ी वारदात मानी जा रही है. मुकेश की गिनती बिहार में बड़े नेताओं में होती है.

VIP चीफ मुकेश सहनी (दाएं) के पिता जीतन सहनी (बाएं) की हत्या हो गई है. (फाइल फोटो) VIP चीफ मुकेश सहनी (दाएं) के पिता जीतन सहनी (बाएं) की हत्या हो गई है. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

बिहार में विकासशील इंसान पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी (70 साल) की हत्या से सनसनी फैल गई है. ये घटना दरभंगा के सुपौल बाजार की है. मुकेश के पिता की धारदार हथियार से हत्या की गई है. मंगलवार सुबह जीतन सहनी का शव घर में क्षत-विक्षत हालत में पड़ा मिला है. दरभंगा एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने घटना की पुष्टि की है. घटना का कारण साफ नहीं हो सका है. पुलिस का कहना है कि जल्द ही स्थिति साफ होगी. मुकेश हाल ही में लोकसभा चुनाव प्रचार में RJD नेता तेजस्वी यादव के साथ हेलिकॉप्टर यात्रा से चर्चा में आए थे.

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जीतन साहनी का दरभंगा के सुपौल बाजार के अफजला पंचायत में घर है. बिहार में ये बहुत बड़ी वारदात मानी जा रही है. मुकेश सहनी की गिनती बिहार में बड़े नेताओं में होती है. उनकी अपनी VIP पार्टी है. मुकेश बिहार सरकार में पशुपालन और मत्स्य संसाधन मंत्री रहे हैं. जीतन सहनी की जिस तरह हत्या की गई है, वो दिल-दहलाने वाली है. हमलावरों ने निर्मम तरीके से घटना को अंजाम दिया है. शरीर के कई अंगों पर धारदार हथियार से हमला किया है.

गांव में रहते थे मुकेश के पिता...

जानकारी के मुताबिक, मुकेश इस समय मुंबई में हैं. वे वहां से रवाना हो गए हैं. जल्द ही अपने पैतृक घर पहुंचेंगे. मुकेश के पिता जीतन सहनी गांव में स्थित घर में अकेले रहते थे. पत्नी का 8 साल पहले निधन हो गया था. उनके दोनों बेटे मुकेश सहनी और संतोष सहनी बाहर रहते हैं. एक बेटी रिंकू सहनी हैं, जिनकी शादी हो गई है और वो मुंबई में रहती हैं. बाकी खानदान के अन्य सदस्य भी गांव में रहते हैं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, घर में दो नौकर और एक ड्राइवर आते-जाते रहते थे.

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पिता गांव में मछली बेचने का काम भी करते रहे हैं. फिलहाल, पुलिस का कहना है कि वो इस एंगल पर भी जांच कर रहे हैं कि हमलावर चोरी के उद्देश्य तो नहीं घर में घुसे थे. जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी है.

जीतन सहनी. (File Photo)

निषाद समुदाय की राजनीति करते हैं मुकेश

मुकेश सहनी को बिहार में 'सन ऑफ मल्लाह' भी कहा जाता है. सहनी मल्लाह/निषाद समाज से आते हैं और अपने समुदाय से जुड़े वोटर्स पर खासी पकड़ रखते हैं. सहनी शुरुआती दिनों से लेकर अब तक मल्लाहों की राजनीति करते रहे हैं. बिहार में निषाद जाति बड़ा वोट बैंक मानी जाती है. इनकी आबादी पासवान समेत दूसरी कई जातियों से काफी ज्यादा है. बिहार में मल्लाहों की आबादी करीब सात फीसदी है. जबकि सहनी इस समुदाय की आबादी करीब 14 प्रतिशत बताते हैं.

बिहार में मल्लाह समुदाय की 34 लाख आबादी

मुकेश सहनी अन्य राज्यों की तरह निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को मुद्दा बनाकर पार्टी और खुद को स्थापित करने में जुटे हैं. बिहार में निषादों में करीब दो दर्जन उप जातियां हैं. निषाद जाति का सबसे ज्यादा प्रभाव दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, वैशाली, खगड़िया जैसे क्षेत्रों में है. 2023 में बिहार की जातिगत जनगणना के आंकड़ों में मल्लाह जाति की आबादी 34 लाख से ज्यादा है. यह बिहार की कुल आबादी का 2.60 फीसदी है.

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तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं मुकेश

मुकेश की पार्टी VIP इस समय महागठबंधन और इंडिया ब्लॉक का हिस्सा है. मुकेश को राजद नेता तेजस्वी यादव का बेहद करीबी माना जाता है. हाल ही में लोकसभा चुनाव में मुकेश ने तेजस्वी यादव के साथ हेलिकॉप्टर से पूरे प्रदेश में चुनावी सभाएं की थीं. हालांकि, सहनी की पार्टी के उम्मीदवारों को जीत नहीं मिली थी. सहनी की पार्टी को लोकसभा चुनाव में तीन सीटें दी गई थीं. राजद ने अपने कोटे की तीन सीटें सहनी को दी थीं.

तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी ने हेलिकॉप्टर में मछली खाने का वीडियो बनाया था, जिसके बाद नवरात्रि में मछली खाने के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया था. उसके बाद तेजस्वी ने चुनाव में 200 सभाएं पूरी करने पर हेलिकॉप्टर में केक काटकर सेलिब्रेट किया था. मुकेश खुद सरप्राइज के तौर पर केक लेकर आए थे.

यह भी पढ़ें: चोरी या कोई रंजिश ? मुकेश सहनी के पिता की इतने निर्मम तरीके से हत्या के पीछे सच क्या है

2015 में पहली बार चर्चा में आए थे मुकेश

मुकेश सहनी साल 2015 में सियासी गलियारों में तब चर्चा में आए थे, जब वो बीजेपी नेता अमित शाह के साथ बिहार की रैलियों और चुनाव प्रचार पर निकले थे. उस समय सहनी की पार्टी नहीं थी. उन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया था. सहनी को शाह की खोज भी बताया जाता है. वे शाह के साथ हेलिकॉप्टर से चुनावी रैलियों में जाते थे. हालांकि, कुछ समय बाद ही वो एनडीए से अलग हो गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में वो महागठबंधन का हिस्सा बने और तीन सीटों पर चुनाव लड़े थे. हालांकि, तब भी उन्हें तीनों सीटों पर हार मिली थी. सहनी खुद खगडिया सीट से हार गए थे. 

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2022 में महागठबंधन में शामिल हो गए थे मुकेश

2020 में जब विधानसभा चुनाव आए तो मुकेश और आरजेडी के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बनी. नाराज मुकेश ने महागठबंधन का साथ छोड़ा और एनडीए का हिस्सा बन गए थे. उन्होंने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार विधायक चुने गए थे. मुकेश विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाए तो बीजेपी ने उन्हें विधान परिषद भेज दिया और नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए. लेकिन साल 2022 के मार्च में उनके तीन विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद बीजेपी के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई थी और वो महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे. 2023 में आरक्षण की मांग करने के लिए उन्होंने बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में 100 दिवसीय निषाद आरक्षण यात्रा शुरू की थी.

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पहले फिल्मों में सेट डिजाइन करते थे मुकेश

मुकेश सहनी एक समय बॉलीवुड में सेट डिजाइनर थे. बाद में वो 2013 में राजनीति में आए. शुरुआत में उन्होंने बिहार के अखबारों में विज्ञापन दिए और खुद को सन ऑफ मल्लाह के रूप में प्रोजेक्ट किया था. मुकेश पहले निषाद विकास संघ नाम का संगठन भी चलाते थे. धीरे-धीरे वे अपने समुदाय के बीच चर्चा में आए और राजनीति में पकड़ बनानी शुरू कर दी. जानकार बताते हैं कि मुकेश सहनी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. यही वजह है कि 19 साल की उम्र में वो काम की तलाश में दरभंगा से मुंबई चले गए थे. मुकेश ने मुंबई में एक कॉस्मेटिक दुकान में काम किया. वहां संपर्क और पहचान बढ़ाई. फिर वो बॉलीवुड फिल्मों में सेट डिजाइन का काम करने लगे. बताते हैं कि मुकेश ने बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान की फिल्म देवदास और दबंग फेम एक्टर सलमान की फिल्म बजरंगी भाईजान का सेट डिजाइन किया. बाद में मुकेश को बॉलीवुड में तेजी से काम मिलने लगे. उन्होंने मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी भी बनाई थी.

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