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Nitish vs Tejashwi: तीन विधायक इधर से गायब, तीन उधर से गायब... बिहार में तेजी से बदल रहा नंबरगेम!

बिहार में शक्ति परीक्षण की घड़ी आ गई है और खेला जारी है. दोनों ही खेमों से दो-दो विधायक गायब हैं. एक विधायक को पुलिस पटना लेकर आ रही है. बहुमत परीक्षण की घड़ी जैसे-जैसे करीब आ रही है, नंबरगेम भी तेजी से बदल रहा है.

सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव. सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव.
बिकेश तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

बिहार में पिछले कुछ दिनों से सियासी हलचल है. नीतीश कुमार ने जबसे महागठबंधन का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का दामन थाम लिया है, तभी से खेला शब्द चर्चा में है. नीतीश के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे तेजस्वी यादव ने कहा था कि अभी खेला बाकी है. अब विधानसभा में शक्ति परीक्षण की घड़ी आ गई है.

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नीतीश सरकार को विधानसभा में आज बहुमत साबित करना है और इससे पहले तेजस्वी फ्रंट फुट पर हैं. उनकी पार्टी ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण से ठीक पहले भी खेला होने का दावा किया है. बहुमत परीक्षण से पहले की अंतिम रात को जिस तरह तेजी से परिस्थितियां बदलती नजर आईं, उससे यह सवाल और गहरा हो गया है कि क्या बिहार में अभी 'खेला' बाकी है?

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दरअसल, ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि सत्ताधारी खेमे के कई विधायक आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो गए हैं. नीतीश कुमार ने राज्यपाल को सरकार गठन के लिए 128 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा था और अब खुद एनडीए ने ही कहा है कि हमारे पास 127 विधायकों का समर्थन है.

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नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के छह विधायक पार्टी की पहुंच से बाहर बताए जा रहे थे. इनमें से तीन विधायकों के लौट आने का दावा जेडीयू ने किया है. एक विधायक संजीव कुमार को झारखंड से बिहार में प्रवेश करते ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. संजीव कुमार को पुलिस हिरासत में पटना लाए जाने की खबर है. फिलहाल, जेडीयू नेताओं का अपने एक विधायक से संपर्क नहीं हो पा रहा है.

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विधायकों के आउट ऑफ कॉन्टैक्ट होने की समस्या केवल जेडीयू तक सीमित नहीं है, इस तरह की परिस्थिति का सामना बीजेपी और विपक्षी आरजेडी को भी करना पड़ रहा है. बीजेपी के तीन विधायक मिश्रीलाल यादव, भागीरथी देवी और रश्मि वर्मा गायब हैं. भागीरथी देवी को लेकर कहा जा रहा है कि वह विधानसभा में ही हैं लेकिन सदन में मौजूद नहीं हैं.

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जेडीयू विधायक बीमा भारती और दिलीप राय विधानसभा नहीं पहुंचे हैं. जेडीयू और बीजेपी विधायकों के आउट ऑफ कॉन्टैक्ट होने के बाद देर रात से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा यानी हम पार्टी के प्रमुख पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का फोन भी स्वीच ऑफ था. हालांकि, जीतनराम मांझी केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के साथ विधानसभा पहुंच गए हैं जिसके बाद सीएम नीतीश के चेहरे पर मुस्कान भी नजर आई.

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इस तरह की परिस्थितियां विपक्षी खेमे में भी हैं. आरजेडी के दो विधायक चेतन आनंद और नीलम देवी के साथ ही तेजस्वी की पार्टी के एक और विधायक प्रह्लाद यादव ने भी पाला बदल लिया है. प्रह्लाद आरजेडी के संस्थापक रहे हैं. वह तीन बार के विधायक हैं. आरजेडी के ये तीनों विधायक अवधबिहारी चौधरी को स्पीकर पद से हटाए जाने के बाद सदन में पहुंचे और ट्रेजरी बेंच पर बैठ गए हैं.

'आउट ऑफ कॉन्टैक्ट' विधायक कैसे बन सकते हैं मुसीबत

बिहार विधानसभा की स्ट्रेंथ 243 है. ऐसे में बहुमत के लिए नीतीश सरकार को 122 विधायकों का समर्थन चाहिए. एनडीए के पास मांझी की पार्टी के चार विधायकों समेत 128 विधायकों का समर्थन है. मांझी की पार्टी के चार विधायक हटा दें तो भी एक निर्दल सुमित सिंह समेत 124 विधायकों का समर्थन सरकार के पास है. लेकिन जेडीयू और बीजेपी विधायकों के आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो जाने से तस्वीर उलझ गई है.

जेडीयू और बीजेपी, दोनों दलों के कुल पांच विधायक विधानसभा नहीं पहुंचे हैं. ये पांच विधायक अगर विधानसभा की कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं तो सदन की स्ट्रेंथ 238 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 120 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. अगर पुलिस हिरासत में लिए गए जेडीयू विधायक ने भी नीतीश सरकार के पक्ष में मतदान किया तो एनडीए का संख्याबल मांझी की पार्टी के बिना भी बहुमत के लिए जरूरी 120 के आंकड़े तक पहुंच जाएगा. 

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अब दूसरी स्थिति यह है कि अगर संजीव कुमार ने भी विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया और मांझी की पार्टी ने नीतीश सरकार को समर्थन नहीं दिया तो सीन अलग होगा. अगर इस तरह की स्थिति बनती है तो 238 सदस्यों वाली विधानसभा में मांझी की पार्टी के बिना भी एनडीए की स्ट्रेंथ 119 विधायकों की है जो बहुमत के लिए जरूरी जादुई संख्या भी है. जेडीयू के तीन विधायकों का समर्थन भी जोड़ लें तो एनडीए का संख्याबल 122 तक पहुंच जाएगा.

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