
राहुल गांधी और बिहार कांग्रेस के नेताओं की मुलाकात के बाद से नेता काफी उत्साहित हैं और बिहार चुनाव को लेकर साफ निर्देश जारी करने के लिए उनकी तारीफ कर रहे हैं. बिहार के पूर्व अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि यह एक शानदार बैठक थी, बहुत अप्रत्याशित थी और सभी नेताओं को बोलने का मौका मिला. मदन मोहन झा ने कहा कि हम आश्वस्त और उत्साहित होकर लौटे क्योंकि राहुल गांधी ने सभी को ध्यान से सुना, इससे भी ज्यादा वह बारीकियों से अवगत थे और उन्हें इस बात की स्पष्टता थी कि इनसे कैसे निपटा जा सकता है.
एकजुट होकर लड़ना होगा
दिल्ली की हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद है कि वह एकजुट होकर काम करेगा, क्योंकि उसके सामने न सिर्फ एनडीए को उखाड़ फेंकने की चुनौती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि INDIA ब्लॉक का अस्तित्व खतरे में न आए और सहयोगियों के साथ उसके सियासी समीकरण साफ तौर पर परिभाषित हों.
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इंडिया टुडे को एक सूत्र ने बताया कि बैठक में राहुल गांधी ने राज्य के 32 शीर्ष नेताओं के ग्रुप से कहा कि पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए अब अपनी कमजोरियों पर काम करने का समय आ गया है. हमें कड़ी मेहनत करने और अपनी पार्टी को मजबूत करने की जरूरत है. हमें विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है और यह तभी हो सकता है जब आप एकजुट हों. तभी हमें सम्मान मिलेगा. नेता ने कहा कि कमजोरों का कोई सम्मान नहीं करता. अगर हम दूसरों पर निर्भर रहेंगे तो हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे हमारा सम्मान करेंगे?'
यह बयान प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की टिप्पणी के जवाब में था जिसमें उन्होंने कहा था कि 'कांग्रेस को उचित हिस्सेदारी के लिए कोशिश करनी चाहिए और अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए, आरजेडी अक्सर बिहार में कांग्रेस को उसका हक नहीं देती है.' हालांकि राहुल गांधी ने बीच में ही कहा कि सम्मान हासिल किया जाना चाहिए और सहयोगी दल कांग्रेस का तभी सम्मान करेंगे जब हम कड़ी मेहनत करेंगे.
जातिगत समीकरणों पर फोकस
बैठक में मौजूद एक अन्य नेता ने कहा कि राहुल गांधी ने हमें जातिगत समीकरणों के बारे में विस्तार से समझाया. बैठक में शामिल एक सांसद ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि हमें जातिगत समीकरणों को समझने की जरूरत है, अगर हम अकेले चलते हैं तो बीजेपी को फायदा होगा, मुस्लिम वोट बंट जाएगा और यादव समुदाय हमें वोट नहीं देगा, हम विपक्ष को नुकसान पहुंचाएंगे. इसलिए हमें सहयोगियों के साथ मिलकर लड़ने की जरूरत है और कांग्रेस को दलितों और गैर यादव समुदाय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आरजेडी के साथ नहीं जाएंगे लेकिन हमें एक विकल्प के रूप में देख सकते हैं.'
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साल 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने गठबंधन में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसका स्ट्राइक रेट 19.48% वोट शेयर के साथ पिछले चुनावों से 8 कम यानी 19 सीटों का निराशाजनक था, जबकि लेफ्ट को 16 सीटें मिलीं और आरजेडी को कुल 243 सीटों में से 75 सीटें मिली थीं. राहुल गांधी का यह बयान गुटबाजी से मुक्त हो चुकी बिहार यूनिट को प्रेरित करने की रणनीति का हिस्सा लगता है, साथ ही यह संदेश भी देता है कि चुनाव INDIA गठबंधन के बैनर तले लड़ा जाएगा और नेताओं को आरजेडी के बारे में शिकायत करने के बजाय अपने प्रदर्शन पर ध्यान देने की जरूरत है.