
आपने त्योहारों में लगने वाला मेला तो खूब देखा होगा लेकिन क्या कभी सांपों का मेला देखा है ? आप ये पढ़कर चौंक गए होंगे लेकिन ये पूरी तरह सच और बिहार के समस्तीपुर जिले मे सांपों का ये विशेष मेला लगता है. दावा है कि इस मेले में पकड़े गए सांपों को लेकर जो भी व्यक्ति अपनी मन्नत मंदिर में मांगता है उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है.
समस्तीपुर में नागपंचमी के दिन हर साल सांपों का यह अद्भुत मेला लगता है. इस मेले को देखने के लिए दूसरे राज्यों से काफी संख्या में लोग वहां पहुंचते है. ऐसी मान्यता है कि इस मेले में मांगी गई मुरादें पूरी होती है. बीते तीन सौ सालों से परंपरागत तरीके से सांपों के इस मेले का आयोजन किया जाता है.
यह मेला जिले के सिंघिया में नागपंचमी के दिन लगता है जिसमें नदी से सैकडों की संख्या में भगत (सांपों को पकड़ने वाले लोगों के लिए संबोधन) बूढ़ी गंडक नदी में डुबकी लगाते हैं और फिर सांपों को पकड़ने का खेल शुरू होता है. इसमें कोबरा जैसे कई जहरीले और जानलेवा सांप भी होते हैं लेकिन आस्था उन्हें बचाए रखती है.
नदी से भगत तरह-तरह के प्रजातियों के सांप निकालते है और लोग ये देखकर अपने दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. भगत नदी में डुबकी लगाकर इन सांपों को हाथ और मुंह से पकड़ कर निकालते हैं. इसके बाद इन सांपों को गले में लपेटे कर या फिर सिर पर बांध कर सिंघिया बाज़ार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा अर्चना करते हैं और फिर ढोल नगाड़े के साथ नदी में जाकर फिर से सांप निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता है. वहां इस बात की प्रतियोगिता होती है कि कौन नदी से कितनी जल्दी कितने सांप निकाल सकता है.
इस हैरतअंगेज मेले को देखकर लोग इसे श्रद्धा से जोड़ कर भगवान का चमत्कार बताते हैं. लोगों का कहना है की इस दिन यहां मंदिर में मांगी गयी मुरादें पूरी हो जाती हैं. सांप निकालने वाले भगतों का कहना है कि सिद्धि पूरी होने पर नदी से निकाले गए सांपों को सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाता है. लोगों का दावा है कि पूरे देश में सिर्फ समस्तीपुर में ही सांपों के मेले का आयोजन किया जाता है.