
बीते साल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी की सरकार को 'सूट-बूट की सरकार' करार दिया था. इसके बाद से ही विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को उद्योपतियों की हितैषी बताते आई है, लेकिन सोमवार को पेश आम बजट में मोदी सरकार ने इस ओर अपने दाग धोने की कोशिश की है. खुद पीएम मोदी ने जेटली के बजट को गांव के विकास को केंद्रित बजट करार दिया है. यानी कहीं न कहीं राहुल की बात बीजेपी को ऐसी चुभी है कि सरकार ने सूटधारी जगत की अपेक्षाओं पर बूट मारने का काम किया है.
गौर करने वाली बात ये भी है कि प्रधानमंत्री ने हाल ही एक किसान रैली में बजट को लेकर शुरुआती संकेत दे दिए थे. उन्होंने कहा था कि 2022 तक उनकी सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखती है. आम बजट में जेटली ने मोदी के इसी विजन को आगे बढ़ाने का काम किया है. किसानों के लिए बजट में 25 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जबकि ग्रामीण इलाकों में मूलभूत ढांचे से भी सरकार ने सरोकार दिखाया है.
क्या और कितना मिला किसानों को
खेती में किसानों की मदद के लिए नाबार्ड को बीस हजार करोड़ रुपये का सिंचाई फंड दिया गया है, वहीं सिंचाई योजना के लिए 17000 करोड़ रुपये की राशि भी बजट में है. इसी तरह कृषि के लिए अलग से 35984 करोड़ रुपये का फंड है, जबकि गांव में मजदूरों को रोजगार मुहैया करवाने के लिहाज से मनरेगा के तहत 5 लाख तालाब बनवाने की भी घोषणा की गई है.
उद्योग जगत को किया अनसुना
रविवार को उद्योग जगत के बड़े दिग्गजों से लेकर फिक्की जैसी संस्थाओं ने बजट से काफी उम्मीदें जाहिर की थीं. FICCI से जुड़े अशोक कजरिया ने कहा है कि वर्तमान आर्थिक परिदृश्य की मांग है कि सार्वजनिक खर्च पर जोर देने के साथ ही निजी निवेश में तेजी लाने वाली नीतियों को बढ़ावा दिया जाए. जबकि आईटी और दूरसंचार हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियों को उम्मीद थी कि सरकार बजट में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार कोई बड़ा ऐलान करेगी.
सरकार की नजर खेती और उत्पादन पर
दूसरी ओर, सोमवार को अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण और उसके बाद भी साफ कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता देश के गांव हैं. यही कारण है कि बजट में 5 लाख एकड़ में जैविक खेती का ऐलान किया गया है, तो दलहन फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए 500 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है. देश में किसानों के लिए कर्ज को भी आसान बनाने के साथ ही इस ओर 9 लाख करोड़ के इंतजाम की बात की गई है. जबकि फसल बीमा के लिए 5500 करोड़ रुपये का आवंटन है.
यानी जो कुछ उम्मीदें उद्योग जगत को थीं, सरकार ने सूट की न सुनकर गांव पर ही ध्यान लगाया है.
विरोधी ने भी माना लोहा
बीजेपी की विरोधी और कांग्रेस की करीबी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी ट्विटर पर बजट के बाद यही लिखा, 'सूटबूट वालों के फायदे पर ध्यान न देकर सरकार और जेटली ने बड़ी ही चालाकी से विपक्ष के काम को मुश्किल बना दिया है.'
किसानों के लिए जेटली की पोटली
आम बजट 2016-17 में वित्त मंत्री ने आपदा वाले इलाकों में खेती पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है. सरकार इसके लिए सूखाग्रस्त इलाकों के लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना लेकर आई है तो ग्राम पंचायतों को 2.87 करोड़ का फंड भी दिया जाएगा. सिंचाई पर खास ध्यान देते हुए 1 मई 2018 तक सभी गांव में बिजली का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस मद में 8500 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई है.