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वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को जब आम बजट पेश करेंगे, तो इसमें जीएसटी में सुधार पर भी काफी ज्यादा फोकस होगा. पिछले साल जुलाई में लागू की गई वन नेशन-वन टैक्स की इस नीति में सुधार को लेकर सरकार कई इंतजाम कर सकती है.
इंडस्ट्री चेंबर कॉन्फेड्रेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने भी वित्त मंत्री अरुण जेटली से कहा है कि वह जीएसटी को सरल और आसान बनाने के लिए बजट में इंतजाम करें. उनके मुताबिक जीएसटी में सुधार से न सिर्फ कारोबारियों को फायदा मिलेगा, बल्कि इससे रिटर्न्स की संख्या बढ़ेगी. इसके साथ ही कारोबारियों के खर्च में कटौती होगी.
सीआईआई ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मांग की है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट समय पर मिल सके, इसका इंतजाम किया जाए. इसके अलावा इनवॉइस मैचिंग और रिटर्न फाइलिंग समेत अन्य चीजों के मामले में सुधार करने की जरूरी बताई गई है. चेंबर का कहना है कि जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए कि वह इनवॉइस स्वीकार कर सके.
सीआईआई की तरफ से इंफोसिस के चेयरमैन और आधार अथॉरिटी यूआईडीएआई के पूर्व चेयरमैन नंदन निलेकणी ने यह सुझाव सरकार को दिए हैं. इसमें कहा गया है कि अगर जीएसटी सिस्टम में खरीददार के सप्लायर इनवॉइस स्वीकार करने की व्यवस्था होती है, तो इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट का पता करने में आसानी होगी.
निलेकणी ने कहा कि मौजूदा समय में खरीददार को ये देखना पड़ता है कि सप्लायर टैक्स भर दे, ताकि वह आईटीसी क्लेम कर सके. ऐसे में फाइलिंग करने के दौरान अगर किसी भी तरह की गलती होती है, तो इसकी वजह से आईटीसी फंड अटक जाता है. इसकी वजह से दिन-प्रतिदिन का कारोबार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
सरकार बजट में जीएसटी टैक्स स्लैब की संख्या भी कम करने का इंतजाम कर सकती है. मौजूदा समय 0, 5, 12, 18, 28 फीसदी के 5 टैक्स स्लैब हैं. सरकार इन्हें 2 से 3 तक ही समेटने को लेकर कोई फैसला ले सकती है.